मुम्बई आतंकवादी हमले के लिए लश्कर-ए-तैयबा ने 10 नहीं बल्कि 12 आतंकियों को प्रशिक्षित किया था. हालांकि बाद में उनमें से 10 को ही भारत भेजा गया. यह बात हमले के भारतीय षड़यंत्रकारी अबू जिंदाल ने जांच अधिकारियों को बताई.
इस खुलासे से भारतीय जांच अधिकारी हैरान हैं कि आखिर हमले के लिए नहीं पहुंचने वाले वे दो अन्य आतंकवादी कौन थे. इस जघन्य हमले में देश और दुनियाभर के 166 लोग मारे गए थे और 230 से अधिक अन्य लोग घायल हो गए थे.
अबू जिंदाल अंसारी (यह नाम उसकी प्राथमिकी और उसकी पुलिस हिरासत पर दिल्ली की अदालत के आदेश में सैयद जाकिउद्दीन की जगह दिया गया है) को सऊदी अरब में गिरफ्तार किया गया था और 21 जून को उसे भारत में प्रत्यर्पित किया गया था. दिल्ली हवाईअड्डे पर पहुंचने के तुरंत बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया था.
गिरफ्तारी के दिन ही दिल्ली की एक अदालत में उसकी पेशी की गई, जिसने आतंकी को पांच जुलाई तक दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ की हिरासत में भेज दिया.
एक जांच अधिकारी ने कहा, ‘मुम्बई हमले के लिए लश्कर-ए-तैयबा के कुल 12 आतंकवादियों को प्रशिक्षित किया गया था, उसमें एक मात्र जीवित बचा आतंकी अजमल कसाब भी शामिल था, जिसे 28 नवम्बर को गिरफ्तार किया गया था.’
अधिकारी ने कहा, ‘यह बात जिंदाल ने बताई, जिसने खुद 12 लोगों को हिंदी भाषा में बोलने का प्रशिक्षण दिया था और मुम्बई की संस्कृति से परिचित कराया था.’
जिंदाल के मुताबिक हालांकि आखिर समय में योजना बदल गई और लश्कर ने सभी 12 को हमले के लिए नहीं भेजा.
10 आतंकियों में से नौ को राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड, नौसेना और आर्मी के कमांडो ने मुठभेड़ में मार गिराया था.
जिंदाल ने जांच अधिकारियों को यह भी बताया कि उसने चुने हुए 12 लोगों से 2007 में पाकिस्तान के मुरिदके और थाकोट में लश्कर के प्रशिक्षण केंद्र में मुलाकात की थी.
जिंदाल 2006 में औरंगाबाद हथियार मामले और उसी वर्ष अहमदाबाद रेलवे स्टेशन बम विस्फोट में शामिल था और इसके बाद वह भारत से भाग गया था. वह बांग्लादेश के रास्ते पाकिस्तान पहुंच गया था.
उसने बताया कि लश्कर के एक सदस्य सौकत ने उसे भागने में मदद की थी.
जांच अधिकारी ने कहा, ‘सौकत उसे नेपाल, बांग्लादेश और फिर पाकिस्तान ले गया, जहां उसे सभी तरह की सुविधा दी गई.’
जिंदाल ने पहली बार 2006 में लश्कर-ए-तैयबा के सरगना जकी-उर-रहमान लखवी से भी मुलाकात की थी.
अधिकारी ने बताया कि हथियारों की तस्करी में जिंदाल की भूमिका से लखवी प्रभावित हुआ और तबसे जिंदाल लश्कर का समर्पित सदस्य बन गया.
जिंदाल ने बताया कि वह लगातार लखवी और लश्कर के शक्तिहीन प्रमुख हाफिज सईद से मिलता रहा, जिन्होंने उसकी मुलाकात पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलीजेंस के दो अधिकारियों से भी कई बार कराई थी.