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'लड़ाई के 13 साल बाद भी ‘आधुनिक’ नहीं हो पाई सेना'

सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि कारगिल में भारतीय क्षेत्र में घुस आये पाकिस्तानी घुसपैठियों को मार भगाने के 13 साल बीत जाने के बाद भी भारतीय सेना हथियारों की भारी कमी का सामना कर रही है.

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कारगिल
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सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि कारगिल में भारतीय क्षेत्र में घुस आये पाकिस्तानी घुसपैठियों को मार भगाने के 13 साल बीत जाने के बाद भी भारतीय सेना हथियारों की भारी कमी का सामना कर रही है. साथ ही मंथर गति से चल रही सैन्य आधुनिकरण की प्रक्रिया को तेज नहीं किया गया तो आने वाले समय में स्थिति विकट हो सकती है.

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रक्षा मामलों के विशेषज्ञ सेवानिवृत्त मेजर जनरल दीपांकर बनर्जी ने बताया, ‘कारगिल युद्ध के जीत के बाद बनाई ‘कारगिल समीक्षा रिपोर्ट’ ने इन्फैंट्री को आधुनिक बनाये जाने की सिफारिश की थी लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि इतने साल बीत जाने के बाद भी यह प्रक्रिया बहुत धीमी गति से चल रही है. इन्फैंट्री के जवानों को एक लड़ाकू मशीन के रूप में बदलने की योजना ढीली पड़ गई है.’

बनर्जी ने कहा कि करगिल युद्ध के समय पहाड़ों में लड़ने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था, जिसके लिये समिति ने मध्यम दूरी तक मार करने वाली नयी तोपों को खरीदने की सिफारिश की थी जिस पर अभी तक कुछ खास प्रगति नहीं हो पाई है.

भारत ने बोफोर्स के बाद कोई तोप नहीं खरीदी है. रक्षा मामलों की पत्रिका इंडियन डिफेंस रिव्यू के संपादक भारत वर्मा का मानना है कि राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी की वजह से भारत की सेनाओं के आधुनिकीकरण में बाधा आ रही है.

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उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सत्ता में आने के बाद कारगिल समीक्षा रिपोर्ट के लागू नहीं होने के कारणों की पड़ताल के लिये जिस कार्यबल का गठन किया था उसके अब इतने समय बाद अगले महीने तक रिपोर्ट देने की संभावना है.’

वर्मा ने कहा, ‘आज तीनों सेनाओं को आधुनिक बनाये जाने की सख्त जरूरत है. हमें सबसे पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनाना होगा जिसकी सख्त कमी हमें कारगिल युद्ध के दौरान महसूस हुई थी. चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनने से तीनों सेनायें संयुक्त रूप से कार्रवाई कर सकेंगी.’

उन्होंने कहा, ‘यह होना बहुत जरूरी है क्योंकि इससे तीनों सेनाओं में समन्वय बढ़ेगा. अफगानिस्तान में अमेरिकी वायुसेना, थलसेना और यहां तक की नौसेना मिलकर कार्रवाई कर रही हैं और इससे उनको सफलता मिली है.’ वर्मा ने कहा, ‘थल सेना की एक स्ट्राइक कोर बनाने की योजना परवान नहीं चढ़ पाई है. सेना को लड़ाकू हेलीकाप्टरों की सख्त जरूरत है जो वायु सेना के साथ खींचतान में फंस गई है.’

उल्लेखनीय है कि 26 जुलाई 1999 के दिन भारतीय सेना के जांबाज जवानों ने अद्भुत वीरता और शौर्य का प्रदर्शन करते हुये करगिल युद्ध में पाक घुसपैठियों को मार भगाया था. तभी से यह दिन ‘करगिल विजय दिवस’ के रूप में मनाया जाता है. इस जंग में भारतीय सेना के 500 से अधिक जवान और अधिकारी शहीद हो गये थे जबकि पाकिस्तान के हजारों जवान और आतंकवादी मारे गये थे.

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