पाकिस्तानी आतंकी अजमल कसाब और उसके साथियों को लश्करे तय्यबा के हुक्मरानों ने 26/11 आतंकी हमले में ज्यादा से ज्यादा लोगों को बंधक बनाने को कहा था ताकि वे भारत सरकार से ‘मुस्लिमों के लिए अलग राज्य’ की मांग कर सकें.
कसाब को मिली मौत की सजा पर सुनवाई कर रही बम्बई उच्च न्यायालय को सरकारी वकील उज्ज्वल निकम ने यह जानकारी दी. कसाब को 26-27 नवंबर 2008 को हुए आतंकी हमलों
के दौरान जिंदा पकड़ा गया था.
भारत में मुस्लिमों के लिए अलग राज्य और कश्मीर की आजादी के लिए लश्कर के सरगनाओं ने आतंकियों को फोन पर विशिष्ट लोगों को बंधक बनाने को कहा ताकि सरकार उनकी मांग
पूरी करने को मजबूर हो जाए.
निकम ने अदालत से ‘राष्ट्र के खिलाफ युद्ध छेड़ने’ के आरोप पर कसाब की सजा को स्पष्ट करने का आग्रह किया.
सरकारी वकील ने कहा कि 26/11 हमलें के दौरान आतंकियों की पाकिस्तान में बैठे हुक्मरानों से हुई बातचीत के रिकॉर्ड से यह बात सामने आई है.
उन्होंने कहा कि लश्कर के सरगनाओं ने हमलावरों को यह भी सलाह दी कि वे खुद को भारतीय मुजाहिदीन से संबंध भारतीय मुस्लिम बताएं और अपनी पाकिस्तानी पहचान को छिपाएं.
न्यायमूर्ति रंजना देसाई और न्यायमूर्ति आरवी मोर की पीठ को निकम ने बताया, ‘दिमाग में यही लक्ष्य रखकर कसाब और उसका साथी मालाबार हिल इलाके की ओर बढे जहां उच्च
न्यायालय के न्यायाधीश, मंत्री और राज्पाल जैसे विशिष्ट नागरिक निवास करते हैं ताकि वे इन्हें बंधक बना अपनी मांगें पूरी करा सके.’
कसाब की स्वीकारोक्ति का हवाला देते हुए निकम ने कहा कि मारा गया आतंकी अबु इस्माइल को मालाबार हिल जाने की वजह की जानकारी थी जबकि कसाब को इस्माइल ने कहा था कि वहां पहुंचने पर ही वह योजना का खुलासा करेगा.
अदालत में हुई सुनवाई के दौरान कसाब वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से हाजिर हुआ.