मुंबई में 26/11 को हुए आतंकवादी हमले का उदाहरण देते हुए अमेरिका के एक शीर्ष सैन्य कमांडर ने भविष्य के युद्ध में प्रौद्योगिकी की बड़े पैमाने पर उपलब्धता से उत्पन्न खतरों के प्रति आगाह किया है.
वर्जीनिया बीच में मंगलवार को ज्वाइंट वारफाइटिंग कंफ्रेंस-2012 की छठीं वार्षिक बैठक को संबोधित करते हुए मरीन कोर के लेफ्टिनेंट जनरल जॉर्ज जे. फ्लीन ने कहा, 'अब, कई तरीकों से प्रौद्योगिकी बड़े पैमाने पर उपलब्ध है.'
सूचना की अत्यधिक उपलब्धता का हवाला देते हुए जो पारंपरिक एवं गैर-पारंपरिक संस्थाओं को सशक्त बना रही है, फ्लीन ने 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले का विवरण देने वाले हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू के एक लेख का उल्लेख किया, लेख में इस हमले को एक उदाहरण के रूप में पेश किया गया है.
फ्लीन ने कहा, '26/11 अभियान के लिए सभी योजनाएं गूगल अर्थ के जरिए बनाई गईं.'
उन्होंने कहा कि आतंकवादियों ने संकेत एवं नियंत्रण के लिए सेल्युलर फोन और भारतीय कमांडों के प्रयासों को चुनाती देने और जानकारी पाने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया.
सैन्य अधिकारी ने पूछा, 'आतंकवादी क्षमता हासिल करने के लिए कितनी प्रौद्योगिकी अथवा कितने निवेश की जरूरत पड़ी?'
फ्लिन ने कहा कि सूचना तक पहुंच आसान होने के चलते भविष्य के अभियानगत माहौल में प्रौद्योगिकी एवं चुनौतियां दोनों तीव्र गति से बढ़ेंगी.
उन्होंने कहा, 'घटनाओं में अंतरिक्ष और साइबर अपनी बढ़ी भूमिका निभाना जारी रखेंगे, इसलिए यह एक नया क्षेत्र होगा, जहां हमें इनसे निपटना होगा.'