उच्चतम न्यायालय ने 2जी मामले में 122 लाइसेंस रद्द करने के उसके दो फरवरी के फैसले पर पुनर्विचार के लिये दायर केन्द्र सरकार की एक याचिका को छोड़कर अन्य सभी पुनर्विचार याचिकायें बुधवार को खारिज कर दी. खारिज की गई याचिकाओं में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा और सात दूरसंचार कंपनियों की पुनर्विचार याचिकायें भी शामिल हैं.
शीर्ष अदालत ने केन्द्र सरकार की एक पुनर्विचार याचिका पर 13 अप्रैल को सुनवाई का फैसला किया है. केन्द्र ने उच्चतम न्यायालय से उसके 2 फरवरी के फैसले पर पुनर्विचार का आग्रह किया है. फैसले में न्यायालय ने केन्द्र की पहले आओ पहले पाओ नीति को असंवैधानिक करार दिया था. हालांकि, न्यायालय ने केन्द्र सरकार के उस आग्रह को ठुकरा दिया जिसमें उसने न्यायालय के ‘शिकायत दर्ज होने से पहले ही लोक सेवक के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने के फैसले पर भी पुनर्विचार का आग्रह किया था.’
न्यायमूर्ति जी.एस. सिंघवी और के.एस. राधाकृष्णन की पीठ ने राजा की तरफ से दायर उस याचिका को भी खारिज कर दिया जिसमें पूर्व दूरसंचार मंत्री ने आशंका जताई थी कि 2जी मामले में लाइसेंस रद्द करने के न्यायालय के निर्णय से निचली अदालत में मामले में उसके (राजा) के खिलाफ पूर्वाग्रह बनेगा. उच्चतम न्यायालय ने सात दूरसंचार कंपनियों द्वारा दायर पुनर्विचार याचिकाओं को भी खारिज कर दिया. न्यायालय ने वीडियाकोन टेलिक्म्युनिकेशंस लि., एस. टेल लिमिटेड, सिस्तेमा श्याम टेलि सर्विसेज लिमिटेड, टाटा टेलिसर्विसेज लिमिटेड, यूनिटेक वायरलेस (तमिलनाडु) प्रा. लि., एतिसलात डीबी टेलिकॉम प्रा लिमिटेड और आइडिया सेल्यूलर लिमिटेड शामिल हैं.
उच्चतम न्यायालय की पीठ ने सात दूरसंचार कंपनियों द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका पर अलग से आदेश देते हुये कहा, ‘हमने पुनर्विचार याचिका और मामले के रिकार्ड पर सावधानीपूर्वक गौर किया और हम इस बात से संतुष्ट हैं कि जिस फैसले पर पुनर्विचार का आग्रह किया गया है, उसमें ऐसी कोई गलती नहीं है जिससे इसके पुनर्विचार की जरूरत महसूस होती हो.’ न्यायालय ने कहा कि उसके उस फैसले में भी कोई त्रुटि नहीं है जिसमें प्रधानमंत्री कार्यालय की भी ‘अनुमति’ दिये जाने के मामले पर खिंचाई की गई थी. पीठ ने कहा उसके निर्णय में किसी तरह की गलती नहीं दिखाई देती है और इस संबंध में दायर पुनर्विचार याचिका को देखते हुये इसमें फिर से सुनवाई अथवा पुनर्विचार नहीं किया जा सकता है.
पीठ ने कहा, ‘हमने पुनर्विचार याचिका में दी गई दलीलों और कथन को ध्यानपूर्वक देखा, जिस आधार पर याचिकाकर्ता ने पुनर्विचार का आग्रह किया है उस फैसले में हमें कोई गलती नहीं दिखती जिससे उसपर पुनर्विचार किया जाये.’ पीठ ने कहा कि पुनर्विचार की आड़ में याचिकाकर्ता न्यायालय द्वारा तय किये गये मुद्दे की फिर से सुनवाई और पुनर्विचार की मांग नहीं कर सकता. इसलिये पुनर्विचार याचिका खारिज की जाती है.’
पीठ ने राजा की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत और न्यायिक मानदंडों का उल्लंघन किये जाने के आधार पर आदेश की समीक्षा किये जाने की मांग की गई थी. राजा की याचिका में कहा गया था कि उनका पक्ष सुने बिना देषी करार दिया गया, ‘क्योंकि आदेश में ही स्पष्ट कर दिया गया था कि आदेश के तहत दी गई व्यवस्था में याचिकाकर्ता समेत अन्य लोगों के साथ भेदभाव नहीं होगा जो सीबीआई की ओर से दर्ज मामले में अभियोग का सामना कर रहे है या जो आरोपपत्र के आधार पर अभियोक का सामना करेंगे जिसे सीबीआई भविष्य में दायर करेगी. सीबीआई न्यायाधीश इस आदेश के आलोक में मामले पर निर्णय करेंगे.’ पीठ ने कहा, ‘यह भी स्पष्ट किया गया है कि आदेश के आलोक में ऐसे किसी व्यक्ति के साथ भेदभाव नहीं किया जायेगा जो किसी अन्य जांच एजेंसी के कार्रवाई के दायरे में आ सकते हैं जिसपर आयकर अधिनियम 1961, धनशोधन रोकथाम अधिनियम 2002 या अन्य के तहत कार्रवाई होगी.’
पीठ ने कहा, ‘इस व्यवस्था के साथ समीक्षा याचिका खारिज की जाती है.’ सात दूरसंचार कंपनियों की समीक्षा याचिका के संदर्भ में पीठ ने अलग अलग आदेश पारित किया. पीठ ने कहा कि यूनीटेक वायरलेस के 22 लाइसेंस रद्द किये जाने में कानूनी दुर्बलता का कोई पहलू नहीं है जिसके कारण इस पर फिर से विचार किया जाए. जबकि सिस्टेमा श्याम टेलीसर्विसेज के संदर्भ में पीठ ने कहा कि एक ही प्रकार की समीक्षा याचिका होने के कारण याचिकाकर्ता की याचिका को खारिज किया जाता है. सिस्टेमा श्याम टेलीसर्विसेज को 21 लाइसेंस प्रदान किये गए थे और यह एमटीएस के नाम से परिचालन कर रही थी.
वीडियोकोन की याचिका को खारिज करते हुए पीठ ने कहा कि समीक्षा याचिका की आड़ में याचिकाकर्ता इस मामले की फिर से सुनवाई कराना चाहता है और इसमें कोई वैध आधार नहीं है. पीठ ने स्वान टेलीकाम की समीक्षा याचिका को भी अस्वीकार कर दिया जिसके 15 लाइसेंस रद्द किये गए हैं. टाटा टेलीसर्विसेज की असम, जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर में तीन लाइसेंस को रद्द किये जाने के निर्णय की समीक्षा करने की याचिका को भी खारिज कर दिया गया. इस संदर्भ में एस टेल की याचिका को भी खारिज कर दिया गया. आइडिया सेल्यूलर की 13 लाइसेंस को रद्द करने की समीक्षा याचिका भी अस्वीकार कर दी गई.