2जी मामले में गृहमंत्री पी चिदंबरम को सह आरोपी बनाए जाने को लेकर जनता पार्टी अध्यक्ष सुब्रह्मण्यम स्वामी की याचिका दिल्ली की एक अदालत में खारिज किए जाने से जुड़े घटनाक्रम इस प्रकार हैं:
15 दिसंबर 2010: सुब्रह्मण्यम स्वामी ने विशेष सीबीआई अदालत का रूख कर 2जी मामले में तत्कालीन संचार मंत्री ए राजा पर अभियोजन चलाने और सरकारी वकील के रूप में अपनी (स्वामी की) नियुक्ति की मांग की.
7 जनवरी 2011: अदालत ने ए राजा के खिलाफ स्वामी की शिकायत को विचार करने योग्य बताया.
25 मार्च 2011: स्वामी की शिकायत विशेष अदालत में भेजी गई, जिसका गठन 2जी घोटाले के सभी मामलों की सुनवाई के लिए किया गया था.
23 अगस्त 2011: स्वामी ने 2जी मामले में गृहमंत्री और तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम के खिलाफ सीबीआई जांच के लिए उच्चतम न्यायालय का रूख किया.
26 अगस्त 2011: स्वामी ने विशेष सीबीआई अदालत से कहा कि वह चिदंबरम को सह आरोपी बनाने के लिए उसके समक्ष एक याचिका दायर करेंगे.
7 सितंबर 2011: उच्चतम न्यायालय ने स्वामी को 2जी घोटाले में चिदंबरम की कथित भूमिका की जांच को लेकर उनकी याचिका के सिलसिले में सीबीआई के साथ हुए पत्राचार को सौंपने का निर्देश दिया.
15 सितंबर 2011 : स्वामी ने अदालत से कहा कि वह इस बारे में नये तथ्य पेश करेंगे कि 2जी स्पेक्ट्रम की कीमतों एवं प्रवेश शुल्क पर फैसला करने में चिदंबरम और राजा की भूमिका थी.
22 सितंबर 2011: सीबीआई ने उच्चतम न्यायालय में चिदंबरम का बचाव किया, संचार विभाग को जिम्मेदार ठहराया.
10 अक्तूबर 2011: उच्चतम न्यायालय ने 2जी घोटाले में चिदंबरम की कथित भूमिका की जांच की मांग को लेकर दायर स्वामी की याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया.
7 जनवरी 2012: स्वामी ने चिदंबरम के खिलाफ अपनी निजी शिकायत के समर्थन में दस्तावेजों की विभिन्न प्रमाणित प्रतियां पेश कीं.
21 जनवरी 2012: विशेष अदालत ने अपना फैसला चार फरवरी के लिए सुरक्षित रख लिया.
2 फरवरी 2012: उच्चतम न्यायालय ने 2जी मामले में चिदंबरम की भूमिका की जांच के लिए सीबीआई को आदेश देने से इनकार कर दिया और इस विषय पर फैसला विशेष अदालत के हाथों में छोड़ दिया.
4 फरवरी 2012: विशेष अदालत ने चिदंबरम को सह आरोपी बनाने की मांग करने वाली स्वामी की याचिका खारिज कर दी.