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2जी: केंद्र ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा

सरकार ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में उस फैसले की समीक्षा के लिये उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जिसमें कहा गया है कि जन सेवकों के खिलाफ शिकायत दर्ज किये जाने से पहले ही मुकदमा चलाने की अनुमति दी जा सकती है.

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सरकार ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में उस फैसले की समीक्षा के लिये उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जिसमें कहा गया है कि जन सेवकों के खिलाफ शिकायत दर्ज किये जाने से पहले ही मुकदमा चलाने की अनुमति दी जा सकती है. साथ ही सरकार ने रद्द किये गये 2जी लाइसेंस की नीलामी के लिये चार महीने की समय-सीमा में छूट दिये जाने का भी अनुरोध किया है.

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सरकार की शुक्रवार को एक और याचिका दायर करने की योजना है. इसमें साल 2008 में 2जी स्पेक्ट्रम लाइसेंसों के आवंटन के लिए जो नीति उसने अपनाई थी उसकी उपयुक्तता पर सवाल उठाने वाले शीर्ष अदालत के आदेश की समीक्षा करने का अनुरोध किया जाएगा.

केंद्र ने दो अलग-अलग याचिका दायर कर न्यायालय से राहत देने का अनुरोध किया. न्यायालय ने करीब एक महीने पहले तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा द्वारा पहले-आओ-पहले-पाओ के आधार पर आवंटित 122 2जी लाइसेंस रद्द कर दिया था. जन सेवकों के खिलाफ अभियोजन चलाने की मंजूरी मामले में दायर पुनरीक्षा याचिका में सरकार ने दलील दी कि शिकायत दर्ज करने के बाद केवल संज्ञान लिये जाने की स्थिति में ही अभियोजन चलाने की मंजूरी का मामला बनता है.

केंद्र ने शीर्ष अदालत के 31 जनवरी के उस फैसले की समीक्षा का अनुरोध किया है जिसमें प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भेजी गयी अर्जी दबाकर बैठने का आरोप लगाया गया है. इस अर्जी में 2जी मामले में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा के खिलाफ अभियोजन चलाने की मंजूरी देने का अनुरोध किया गया था.

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सरकार ने कहा कि वह फैसले को चुनौती नहीं दे रही है बल्कि निर्णय में कुछ त्रुटियां लगती हैं, जिसमें सुधार के लिये सीमित दायरे में समीक्षा चाह रही है. एक अन्य आवेदन में सरकार ने स्पेक्ट्रम की नीलामी के लिये 400 दिन की समय-सीमा प्रस्तुत की. न्यायालय ने लाइसेंस रद्द करते हुए इसकी नीलामी के लिये चार महीने का समय दिया हुआ है.

केंद्र ने अपने आवेदन में कहा, ‘चूंकि लाइसेंस (स्पेक्ट्रम) केवल मार्च 2013 में या इसके आसपास जारी हो सकते हैं और 2 जून, 2012 के प्रभाव से लाइसेंस रद्द किये गये हैं. ऐसे में उन लाइसेंस धारकों के ग्राहकों के लिए सेवा में अपरिहार्य बाधा उत्पन्न होगी जिनके लाइसेंस इस न्यायालय के फैसले से रद्द हुए हैं.’

सरकार ने कहा, ‘न्यायालय के फैसले से अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होने वाले ग्राहकों की संख्या 6.9 करोड़ से ज्यादा है जो भारत में कुल मोबाइल उपभोक्ताओं के करीब 7.5 हैं.’ केंद्र ने आगे कहा कि उसने नीलामी की प्रक्रिया का विस्तृत परीक्षण किया है और उसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि पूरी प्रक्रिया में कम से कम 400 दिन का समय लगेगा.

सरकार न्यायालय में शुक्रवार को एक याचिका दायर कर सकती है. इसमें साल 2008 में 2जी स्पेक्ट्रम लाइसेंसों के आवंटन के लिए जो नीति उसने अपनाई थी उसकी उपयुक्तता पर सवाल उठाने वाले शीर्ष अदालत के आदेश की समीक्षा करने का अनुरोध किया जाएगा. समीक्षा याचिका में नीति निर्माण के संबंध में शीर्ष अदालत के अधिकार क्षेत्र पर यह दलील देते हुए सवाल खड़ा किया जा सकता है कि न्यायालय के आदेशानुसार 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी से उसके नीतिगत उद्देश्य प्रभावित होंगे.

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सरकार यह भी पूछ सकती है कि क्या न्यायपालिका वैकल्पिक नीति पर फैसला कर सकती है जैसा उसने काफी कम मात्रा में उपलब्ध सभी प्राकृतिक संसाधनों की नीलामी करने की बात सरकार से कहकर इस मामले में किया है. याचिका में इस बात की दलील दी जा सकती है कि साल 2008 में जिस पहले-आओ-पहले-पाओ की नीति के तहत 122 लाइसेंस आवंटित किए गए थे उसने दूरसंचार घनत्व को बढ़ाने और वायरलेस सेवा को सस्ता बनाने में मदद की थी.

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