वर्ष 2001-2007 के दौरान दूरसंचार स्पेक्ट्रम आबंटन में अपनी आरंभिक जांच के करीब 19 महीने बाद सीबीआई ने उस दौर के संबंध में जांच बंद कर दी है जब अरुण शौरी दूरसंचार मंत्री थे.
सीबीआई सूत्रों ने कहा कि शौरी के कार्यकाल से जुड़े दस्तावेजों और जांच के दौरान उनसे पूछताछ से कोई अनियमितता सामने नहीं आई.
जनवरी, 2011 में आरंभिक जांच का मामला दर्ज करने के बाद सीबीआई ने दो मंत्रियों, दिवंगत प्रमोद महाजन और द्रमुक नेता दयानिधि मारन. के कार्यकाल के दौरान कथित अनियमितताएं पाई थीं और इस मामले में उसने एफआईआर दर्ज की थीं.
यह जांच 2001 से 2007 के दौरान दूरसंचार स्पेक्ट्रम आबंटन से संबंधित थी और शौरी जनवरी, 2003 से मई, 2004 तक राजग सरकार में दूरसंचार मंत्री थे. उनसे पहले राजग सरकार में महाजन के पास दूरसंचार मंत्रालय का प्रभार था.
वर्ष 2004 में संप्रग के सत्ता में आने के बाद मारन 2007 तक दूरसंचार मंत्री थे. सीबीआई सूत्रों ने कहा कि शौरी के कार्यकाल में अपनाई गई पहले आओ पहले पाओ की नीति कम आकषर्क क्षेत्रों में दूरसंचार सेवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए थी. ये ऐसे क्षेत्र थे जहां दूरसंचार आपरेटर जाने के अनिच्छुक थे.