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वर्ष 2010 में नवंबर तक बिहार में 37 को फांसी, 1735 को उम्रकैद

बिहार में अपराधों पर काबू पाने के लिए वर्ष 2006 से शुरू किए गए त्वरित सुनवाई अभियान के तहत इस साल नवंबर माह तक कुल 12941 लोगों को सजा सुनाई गई. इनमें से 37 को फांसी और 1735 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई.

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बिहार में अपराधों पर काबू पाने के लिए वर्ष 2006 से शुरू किए गए त्वरित सुनवाई अभियान के तहत इस साल नवंबर माह तक कुल 12941 लोगों को सजा सुनाई गई. इनमें से 37 को फांसी और 1735 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई.

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बिहार के अपर पुलिस महानिदेशक (मुख्यालय) पी के ठाकुर ने बताया कि इस वर्ष नवंबर तक जिन 12941 लोगों को सजा सुनायी उनमें प्रदेश की राजधानी पटना में सर्वाधिक 1213 लोगों को विभिन्न मामलों में सजाएं सुनायी गई. बांका जिला दूसरे स्थान पर है जहां 1027 लोगों को सजाएं सुनाई गई.

उन्होंने बताया कि बेगूसराय जिले में इस वर्ष 827 लोगों को और सिवान में 634 लोगों को सजाएं सुनायी गई.

गत पांच अक्तूबर को मुंगेर की एक अदालत ने राज्य की पूर्ववर्ती राबड़ी सरकार में मंत्री रहे संजय कुमार सिंह और उनके सात समर्थकों को शेखपुरा में 26 दिसंबर 2001 को हुए टाटी नरसंहार मामले में दोषी ठहराया. दोषी करार दिये जाने के एक घंटे बाद ही संजय कुमार सिंह की मृत्यु हो गयी.

अपर सत्र न्यायाधीश तृतीय एससी श्रीवास्तव की विशेष अदालत ने इस मामले में गत 25 अक्तूबर को सात अन्य दोषियों को उम्र कैद के साथ-साथ 10-10 हजार रुपये का जुर्माना तथा गैरकानूनी तौर पर एकत्रित होने के जुर्म में एवं शस्त्र कानून के तहत तीन-तीन साल की सजा सुनाई थी. अदालत ने इन सजाओं के साथ-साथ चलने का फैसला सुनाया था.

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{mospagebreak} उल्लेखनीय है कि 26 दिसंबर 2001 को राजद के आठ कार्यकर्ताओं की शेखपुरा शहर से तीन किमी दूर टाटी पुल पर गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी. भोजपुर जिले की एक अदालत ने गत 12 अगस्त को चरपोखरी थाना के नगरी बाजार में हुये नरसंहार मामले में तीन अभियुक्तों को फांसी और आठ को उम्रकैद की सजा सुनाई. साक्ष्य के अभाव में चार लोगों को बरी कर दिया गया.

गौरतलब है कि 11 मई 1998 को भूस्वामियों के प्रतिबंधित संगठन रणवीर सेना के करीब 80 सशस्त्र सदस्यों ने नगरी बाजार में दिनदहाड़े 10 लोगों को मार डाला तथा एक को घायल कर दिया था

पटना की एक विशेष अदालत ने गत सात अप्रैल को बिहार के अरवल जिले के लक्ष्मणपुर-बाथे नरसंहार मामले में 16 अभियुक्तों को फांसी और दस को उम्रकैद की सजा सुनाई.

अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश विजय प्रकाश मिश्र ने इस मामले में 26 को दोषी ठहराते हुए उनमें से 16 को फांसी और दस को उम्रकैद तथा 31-31 हजार रूपये के जुर्माने की सजा सुनाई. 19 लोगों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया. इस मामले के दो अन्य आरोपी भूखल सिंह और सुदर्शन सिंह की मुकदमे की सुनवाई के दौरान ही मृत्य हो गयी थी.

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भूमि विवाद को लेकर हुए इस नरसंहार में भूपतियों और उच्च जाति के प्रतिबंधित संगठन रणवीर सेना के लोगों ने एक दिसंबर 1997 को लक्ष्मणपुर-बाथे गांव में 58 दलितों की हत्या कर दी थी. मरने वालों में 27 औरतें 16 बच्चे शामिल थे. रणवीर सेना के करीब 100 सशस्त्र सदस्य आरा से सोन नदी के जरिए लक्ष्मणपुर-बाथे गांव पहुंचे थे और इस नृशंस घटना को अंजाम दिया था.

{mospagebreak} बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने पिछले कार्यकाल में वर्ष 2006 से आपराधिक मामलों के त्वरित निष्पादन के तहत त्वरित सुनवाई अभियान शुरू किया था. तब से इस वर्ष नवंबर महीने तक प्रदेश की विभिन्न अदालतों ने कुल 54786 अपराधियों को सजा सुनायी हैं जिनमें 132 को फांसी 9423 को उम्रकैद, 2597 को दस वर्षों से अधिक और 29147 को दस वर्षों से कम, तथा 13487 को दो वर्षों से कम की सजा सुनाई जा चुकी है. बिहार के अपर पुलिस महानिदेशक :मुख्यालय: पी के ठाकुर ने बताया कि बिहार में वर्ष 2006 के दौरान कुल 6839 लोगों को सजाएं सुनाई गई. इनमें से 17 को फांसी, 1389 को उम्रकैद, 366 को दस वर्ष से अधिक और 5067 को दस वर्ष से कम की सजा सुनाई गई.

उन्होंने बताया कि बिहार में वर्ष 2007 में कुल 9853 अपराधियों को सजा सुनाई गई थी जिनमें से 39 को फांसी, 2168 को उम्रकैद, 680 को दस वर्ष से अधिक और 9063 को दस वर्ष से कम की सजा दी गई.

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ठाकुर ने बताया कि वर्ष 2008 में कुल 12007 लोगों को सजा दी गई. इनमें से 27 को फांसी और 2307 को उम्रकैद, 610 को दस वर्ष से अधिक और 9063 को दस वर्ष से कम की सजा सुनाई गई.

उन्होंने बताया कि वर्ष 2009 में कुल 13146 लोगों को सजाएं सुनाई गई जिनमें से 12 को फांसी और 1824 को उम्रकैद, 375 को दस वर्ष से अधिक से की सजा, 5831 को दस वर्ष से कम की सजा और 5104 को दो वर्ष से कम की सजा सुनाई गई थी.

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