कई जीवन ऐसे होते हैं, जिनमें रंगों की कमी होती है. ऐसे ही कुछ सूनी आंखों को हम अकसर सड़क किनारे कूड़ा चुनते हुए देखते हैं. फटे हुए कपड़े. बदबूदार बोरी और गंदी जगहों से अपने पेट भरने का आसरा बिनते. दिल्ली के लाजपत नगर की सड़कों पर कूड़ा बिनने वाले ऐसे कुछ बच्चों ने अपने सपनों में रंग भरने की कोशिश की है, और एक ऐसी चीज इन्वेंट की है जो वाकई अनोखी है.
इन बच्चों ने होली के लिए 3डी (ड्राइ, डिग्रेडेबल, डिजाइनर) पिचकारी बनाई है. सड़कों के इन उदास चेहरों ने यह काम लाजपत नगर के चेतना सेंटर पर रोज आकर किया है. वे इस एनजीओ पर रोज आते और आर्ट तथा क्राफ्ट में हाथ आजमाने की कोशिश करते. पिचकारी को कार्टन शीट्स और सूखे गुलाल से बनाया गया है. पिचकारी पर हैंड प्रिंट किया गया है. जिसका बटन दबाने पर इसमें से रंगों की बौछार निकलती है.
ये बच्चे अपने इस नन्हे और रंगों भरे आविष्कार से बेहद खुश हैं और वे इसे अगली होली में बाजार में बिकते देखना चाहते हैं. चेतना के डायरेक्टर संजय गुप्ता कहते हैं, ‘यह उनकी छोटी-सी कोशिश दिखलाती है कि सड़कों के बच्चे भी बहुत होशियार हैं, उन्हें जरूरत है तो सिर्फ अच्छे मौके की. खास यह कि पिचकारी को बेकार समान से बनाया गया है, जो डिग्रेडेबल है. इसमें सिर्फ सूखे रंग का इस्तेमाल होता है.’ इस जज्बे को सलाम.