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72 Hoorain: क्या है '72 हूरों' की सच्चाई, जिनके लिए खुद को बम से उड़ा देते हैं आतंकी

जब आतंकवाद के पीछे छिपे कारण टटोले गए, तो जो सबसे बड़ा कारण उभरकर सामने आया, वो था जन्नत. इनका मानना है कि वहां इन्हें '72 हूरें' मिलेंगी. आज इसी कॉन्सेप्ट पर बात करते हैं.

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फिल्म '72 हूरें' का ट्रेलर के रिलीज होने के बाद बहस छिड़ गई है.
फिल्म '72 हूरें' का ट्रेलर के रिलीज होने के बाद बहस छिड़ गई है.

'तुमने जो जिहाद का रास्ता चुना है, वो रास्ता तुम लोगों को सीधा जन्नत में लेकर जाएगा. कुंवारी, अनछुई हुई तुम्हारी होंगी, तुम्हारी, हमेशा के लिए...' तमाम विवादों के बीच फिल्म 72 हूरों का ट्रेलर रिलीज हो गया है. इसमें कसाब और ओसामा बिन लादेन जैसे आतंकियों को भी दिखाया गया है. हालांकि इससे पहले ट्रेलर को आपत्तिजनक मानते हुए सेंसर बोर्ड (सीबीएफसी) ने सर्टिफिकेट देने से इनकार कर दिया था. बावजूद इसके मेकर्स ने फिल्म के ट्रेलर को डिजिटल प्लैटफॉर्म पर रिलीज कर दिया है. 

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इसी के साथ एक बार फिर '72 हूर' को लेकर बहस छिड़ गई है. लेकिन अब हम आपको जो कहानी बताने जा रहे हैं, वो फिल्म नहीं बल्कि फिल्म के कॉन्सेप्ट पर है. यानी कि'72 हूर' वाला कॉन्सेप्ट. वही कहानी जो पूरी दुनिया लंबे वक्त से सुनती आ रही है. जन्नत वाली जिंदगी का लालच जिसके लिए आतंकी खुशी खुशी निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतार देते हैं. दुनिया भर में तमाम आतंकियों के जब बयान लिए गए, तो उन्होंने भी इसका जिक्र किया. 

मतलब बात ये है कि '72 हूरों' के लिए वो जान ले भी सकते हैं और जान दे भी सकते हैं. जब बाली में अमरोजी नाम के आतंकी को मौत की सजा मिल रही थी, तब वो मुस्कुरा रहा था. उसने सुनवाई में कहा था कि वो 'शहीद' हो रहा है. इस आतंकी ने एक नाइटक्लब में बमबारी की थी. आतंकी बनने के पीछे का कारण पैसा कम और मौत के बाद की काल्पनिक दुनिया तक पहुंचना ज्यादा होता है. कई मामलों में ये भी देखा गया कि आतंकी अच्छे पढ़े लिखे परिवार से होते हैं, पैसे की कोई कमी नहीं, मगर फिर भी वो आतंक की राह चुनते हैं और पूछे जाने पर कारण बताते हैं, 'जन्नत'.  

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72 हूरों को लेकर तमाम कहानियां प्रचलित हैं (तस्वीर- फिल्म के ट्रेलर से लिया गया स्क्रीनशॉट)
72 हूरों को लेकर तमाम कहानियां प्रचलित हैं (तस्वीर- फिल्म के ट्रेलर से लिया गया स्क्रीनशॉट)

1990 के दशक के आखिर में पाकिस्तानी पत्रकार नसरा हसन ने उग्रवादी फलस्तिनियों के कैंप में रहने वाले 250 संभावित बॉम्बर्स, उनके परिवारों और उन्हें ट्रेनिंग देने वालों से बात की. इस दौरान सबसे अधिक ध्यान इस बात पर गया कि फलस्तीनी कट्टरपंथी समूह हमास के सदस्यों ने बताया कि कैसे संभावित हमलावरों को विश्वास हो गया था कि धमाकों के दूसरी तरफ जन्नत है.

शहादत की चाह रखने वाले युवाओं को बताया जाता कि शहीद होने पर जो खून बहेगा, उसकी पहली बूंद उनके पाप धो देगी. वो जन्नत जाने के लिए अपने करीबी और प्रिय लोगों में से 70 का चयन कर सकेंगे. वहां उनका स्वागत 72 हूरें करेंगी, जो खूबसूरत वर्जिन लड़कियां होंगी. मरने से पहले खुद को बम से उड़ाने वाले तमाम आतंकियों ने लिखित बयान में ये भी कहा कि ये दर्दरहित मौत है और जन्नत तक जाने का छोटा रास्ता यानी शॉर्टकट है. 

मगर ये देखा गया है कि आतंकियों ने कहां कहां और कितने लोगों को बम धमाकों में मारा है. इसका शिकार भारत से लेकर अमेरिका तक बने हैं. शायद ही दुनिया का कोई देश हो, जो आतंकवाद से अछूता रहा है. उनकी हिंसा का शिकार निर्दोष पुरुषों और महिलाओं के साथ मासूम बच्चे भी बने हैं. 

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काफी वायरल हुआ था वीडियो

हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफी वायरल हुआ था. जिसमें पाकिस्तानी पत्रकार आरज़ू काज़मी ने मौलाना साजिद रशीदी के साथ इस मसले पर काफी बहस हो गई थी. उन्होंने पूछा था, 'हमारे यहां जो जन्नत का नक्शा खींचा गया है कि वहां पर शराब मिलेंगी, 72 हूरें मिलेंगी, वो भी तो हमें अय्याशी का अड्डा लगेगा कि नहीं. मर्दों को 72 हूरें मिलेंगी, ऐसी होंगी वैसी होंगी, कपड़ों में भी बॉडी नजर आएगी. वहां शराब पीने का कहा गया है. तो औरतों के लिए कुछ है? या सिर्फ 72 हूरों का जिक्र है, शराब होगी, ड्राय फ्रूट होंगे. हमारे यहां के कितने लोग बताते हैं, तो ये सब क्या अय्याशी नहीं है?' 

इस पर साजिद रशीदी ने कहा, 'कुरआन में शराब की मनाही है. लेकिन जन्नत में शराब ए तुहुर कहा गया है, यानी पाक पानी. अगर जन्नत में खुदा इसे दे रहा है, तो इस पर एतराज नहीं होना चाहिए.' पत्रकार ने पूछा कि मानें मैं इस्लाम के सारे नियम मानती हूं, तो मुझे जन्नत में जाकर क्या मिलेगा? इसके जवाब में मौलाना ने कहा, 'आप जन्नत में उन 72 हूरों की सरदार होंगी. आपकी जिंदगी में जो शौहर हैं, वही जन्नत में भी होंगे.'

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(तस्वीर- फिल्म के ट्रेलर से लिया गया स्क्रीनशॉट)
(तस्वीर- फिल्म के ट्रेलर से लिया गया स्क्रीनशॉट)

आजमी ने कहा, 'मर्दों के लिए 72 हूरें और महिलाओं के लिए वही वाला शौहर, ये तो बड़ी गलत बात है? क्या औरतों का दिल नहीं है? उन्हें भी कोई चॉइस दीजिए. मान लो शौहर नापसंद हो, किसी तरह उससे गुजारा कर लिया हो तो वहां जाकर वो फिर गले पड़ जाएगा, ये तो अजीब सी बात है और आप 72 हूरें लेकर घूमेंगे. हमारे यहां मौलवी भी कहानियां बताते हैं, बहुत हसीन होंगी, ऐसी होंगी वैसी होंगी.' इस पर मौलाना ने कहा, 'ये सवाल मुझसे नहीं बनता, ये आप खुदा से पूछिए. जिन्होंने जन्नत में मुसलमान के लिए ये चीजें रखी हैं. ये सवाल खुदा से बनता है.' 

72 हूरों की सच्चाई क्या है?

इस कॉन्सेप्ट के बारे में जानने के लिए हमने उत्तर प्रदेश के लखनऊ के रहने वाले इस्लामिक स्कॉलर अल्लामा ज़मीर नक़वी से बातचीत की. उन्होंने बताया, 'ऐसा माना जाता है कि अगर हम अच्छे कर्म करेंगे, तो हमें स्वर्ग मिलेगा. अगर आपने अच्छे कर्म किए हैं, तो ईश्वर भी आपको वैसी ही सुविधाएं प्रदान करेगा. इसका मतलब ये नहीं है कि वहां कोई जिस्मानी रिश्ते हों, या वहां कोई गंदगी हो, क्योंकि वो स्वर्ग की कल्पना है. ईश्वर कोई गंदगी बर्दाश्त नहीं करेगा.'  

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उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि 'अगर कोई कहे कि आप हमारे यहां खाने पर आइए और तीन चार बार कहा. तो आदमी कहता है कि मैंने तो तुम्हें सैकड़ों बार बुलाया लेकिन तुम आए नहीं. तो सैकड़ों बार बुलाना जो हुआ वो कल्पना है, मैंने तो इतनी बार नहीं कहा. ये जोर देने के लिए कहा गया कि मैंने तो सैकड़ों बार बुलाया था. आप आए नहीं. तो ये एक कल्पना है, 72 बार 70 बार. ऐसे में 72 हूर वाला कॉन्सेप्ट काल्पनिक है. ये कॉन्सेप्ट गलत बताया गया है और ये बहकावे की चीज है.' 

(तस्वीर- फिल्म के ट्रेलर से लिया गया स्क्रीनशॉट)
(तस्वीर- फिल्म के ट्रेलर से लिया गया स्क्रीनशॉट)

जब उनसे पूछा गया कि अधिकतर आतंकियों ने जन्नत का जिक्र किया है, इस पर आप क्या कहेंगे. उन्होंने कहा, 'खुदा जमीन के किसी भी भाग पर फसाद पसंद नहीं करता. इसका उल्लंघन का मतलब है कि शैतान भड़का रहा है. कुरआन कहती है कि अगर आपने किसी एक की भी हत्या की तो मतलब पूरे संसार की हत्या कर दी. अगर आपने किसी एक की जान बचा ली, तो पूरे संसार की जान बचा ली. तो हत्या करने वाला, या आतंकवादी कुरान विरोधी है. बहकाने वाला भी कुरान विरोधी है.' 

उन्होंने आगे कहा कि मुसलमान आतंकवादी नहीं हो सकता, अगर उसने कलमा पढ़ा है तो आतंकवाद और किसी का खून बहाना उसके लिए निषिद्ध है. अगर आपका पड़ोसी भूखा है, तो तब आपका खाना खाना हराम है. आप दरिया के किनारे अगर नमाज पढ़ रहे हैं और कोई व्यक्ति डूब रहा है, तो आप फौरन उसे बचाइए और नमाज छोड़िए. 

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उन्होंने आगे कहा कि जो इस्लाम इतनी सख्त पाबंदियां आयत कर रहा है,  वो आतंकवाद को कैसे पसंद करेगा. ये तो घोर अपराध है.

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