मिस्र के पोर्ट सईद शहर के एक फुटबॉल स्टेडियम में बुधवार रात हुई झड़पों और भगदड़ में कम से कम 73 लोगों की मौत हो गई है और करीब 1,000 घायल हो गए.
समाचार एजेंसी आरआईए नोवोस्ती के मुताबिक पोर्ट सईद की घरेलू टीम अल-मासरी द्वारा अल-अहले टीम को 3-1 से हराए जाने के बाद कई प्रशंसक मैदान में उतर पड़े थे. अल-अहले काहिरा में मिस्र का शीर्ष फुटबॉल क्लब है. अल-मासरी टीम के प्रशंसक पहले तो अल-अहले टीम के प्रशंसकों से भिड़ गए और फिर उन्होंने उनके खिलाड़ियों व प्रशिक्षकों के दल पर हमला कर दिया.
इस हमले के फलस्वरूप स्टेडियम में भगदड़ मच गई. उस समय स्टेडियम में करीब 40,000 लोग मौजूद थे. मिस्र के स्वास्थ्य मंत्रालय के एक प्रवक्ता का कहना है कि ज्यादातर मौतें भगदड़ के कारण लोगों को आई चोटों की वजह से हुईं. लोगों के सिरों में गहरी चोटें आई थीं.
पोर्ट सईद में हुए हंगामे की खबर आने के बाद काहिरा में अल-इस्माइली और जमलेक टीमों के बीच होने वाला एक अन्य फुटबॉल मैच रद्द कर दिया गया. काहिरा के प्रशंसक पोर्ट सईद की हिंसा से नाराज थे और उन्होंने स्टेडियम को आग के हवाले कर दिया.
राष्ट्रीय टीवी चैनल के मुताबिक आग पर काबू पा लिया गया है और किसी को नुकसान नहीं पहुंचा है. मिस्र फुटबॉल संघ ने देश की चैम्पियनशिप के सभी मैच अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिए हैं और गुरुवार को संसद का आपातकालीन सत्र बुलाया है. देश की सत्ता की बागडोर सम्भाल रही सुरक्षा बलों की सर्वोच्च परिषद (एससीएएफ) ने पोर्ट सईद प्रांत के गवर्नर और सुरक्षा विभाग के प्रमुख को बर्खास्त कर दिया है.
मिस्र के सरकारी टीवी पर सभी मिस्रवासियों से रक्तदान कर पोर्ट सईद में घायलों की मदद करने के लिए कहा गया है. सेना को गम्भीर रूप से घायलों को काहिरा के अस्पतालों में लाने के लिए दो विमान दिए गए हैं. फीफा के अध्यक्ष जोसफ ब्लैटर ने इसे फुटबॉल के लिए काला दिवस बताया है.
उन्होंने कहा कि ऐसी भयावह स्थिति कल्पना से परे है और ऐसा नहीं होना चाहिए. उन्होंने वक्तव्य में कहा, 'मैं यह पता चलने के बाद से बहुत हतप्रभ और दुखी हूं कि पोर्ट सईद में एक मैच के बाद बड़ी संख्या में फुटबॉल समर्थकों की मौत हो गयी या वे घायल हो गए.'
यह 1996 में ग्वाटेमाला सिटी की घटना के बाद से फुटबॉल के इतिहास में हुआ यह सबसे भयावह हादसा है. ग्वाटेमाला सिटी में ग्वाटेमाला व कोस्टारिका के बीच विश्व कप क्वालीफाइंग मैच से पहले मची भगदड़ में 80 लोग मारे गए थे और 180 घायल हुए थे.