एयर इंडिया पायलटों की 11 दिन पुरानी हड़ताल से निपटने में नरमी और सख्ती दोनों तरह का रवैया अपनाते हुये सरकार ने शुक्रवार को संकेत दिया कि वह इंडियन पायलट गिल्ड पदाधिकारियों को छोड़कर अन्य सभी बर्खास्त पायलटों को काम पर ले सकती है.
एयर इंडिया ने इसके साथ ही भारतीय वायु सेना को सतर्क करते हुये बीमारी की छुट्टी पर गये पायलटों की चिकित्सा जांच के लिये विशेष मेडिकल बोर्ड बनाने को कहा है. इससे पहले सरकार ने बीमार पायलटों की चिकित्सा जांच के लिये उनके घर पर डाक्टरों की टीम भेजी थी.
स्थापित नियमों के अनुसासर पायलटों को अपना उड़ान लाईसेंस बरकरार रखने के लिये पायलटों के 14 दिन से अधिक बीमार रहने पर उन्हों विशेषतौर पर गठित मेडिकल बोर्ड से पूरी स्वास्थ्य जांच करानी होगी. पायलटों के लिये यह समयसीमा सोमवार को समाप्त हो रही है.
सूत्रों का कहना है कि यदि पायलट चिकित्सा जांच में पूरी तरह फिट पाये जाते हैं तो वह तुरंत काम शुरु कर सकते हैं. इसके साथ ही सरकार ने उम्मीद जाहिर की है कि आंदोलनकारी पायलट अगले कुछ दिनों में काम पर लौट आयेंगे.
सूत्रों ने दो दिन पहले ही नागरिक उड्डयन मंत्री अजीत सिंह द्वारा संसद में दिये गये उस बयान का हवाला भी दिया जिसमें मंत्री ने कहा कि मंत्रालय और एयर इंडिया प्रबंधन पायलटों के काम पर लौटने पर उनके साथ बदले की भावना से व्यवहार नहीं करेगा. सिंह ने यह भी कहा है कि पायलटों के काम पर लौटने के बाद वह बिना शर्त बातचीत को तैयार हैं.
उधर, आईपीजी ने भी कहा है कि यदि उनके बर्खास्त 71 पायलट सदस्यों को वापस काम पर लिया जाता है तो वह भी बातचीत के लिये तैयार है. इससे पहले न्यायालय भी पायलटों की हड़ताल को अवैध ठहरा चुका है. सूत्रों के अनुसार ऐसे में आईपीजी के पदाधिकारियों को काम पर लेना और यूनियन की मान्यता फिर से बहाल करना मुश्किल होगा.