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सेनाध्यक्ष ने दी थी घूस की पेशकश की जानकारीः रक्षा मंत्री

थल सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह के सनसनीखेज खुलासे पर रक्षामंत्री ए के एंटनी ने राज्यसभा में बयान देते हुए कहा कि सेनाध्यक्ष ने उन्हें 14 करोड़ घूस की पेशकश की जानकारी दी थी.

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ए के एंटनी
ए के एंटनी

रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने माना है कि सेनाध्यक्ष वीके सिंह ने उन्हें करीब डेढ़ साल पहले रिटायर्ड जनरल तेजिंदर सिंह द्वारा 14 करोड़ घूस की पेशकश किए जाने की जानकारी दी थी. सेना अध्यक्ष के इस सनसनीखेज खुलासे पर राज्यसभा में बयान देते हुए रक्षामंत्री ए के एंटनी ने कहा कि सेनाध्यक्ष ने घूस की पेशकश किए जाने की जानकारी दी थी.

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जिसके बाद उन्होंने सेनाध्यक्ष को इस मामले पर आगे कार्रवाई करने का सुझाव दिया था. रक्षा मंत्री ने कहा कि हालांकि सेनाध्यक्ष ने उस वक्त इस मामले पर आगे की कार्रवाई करने न करने की बात कही थी.

राज्यसभा में रक्षामंत्री ने बयान देते हुए कहा कि मैं किसी भी हाल में भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं करुंगा खासकर सेना मामलों में. अगर भविष्य में आरोप साबित हुए तो करार रद्द किए जाएंगे.

उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए मैं किसी भी हद तक जाउंगा. इससे पहले भी भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण 6 कंपनियों को ब्लैकलिस्ट किया था.

गौरतलब है कि एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में वीके सिंह ने कहा था कि सेना के लिए 600 घटिया गाड़ियां खरीदने के बदले एक लॉबिस्ट ने उन्हें 14 करोड़ रुपए घूस देने की कोशिश की थी.

सेनाध्यक्ष के इस खुलासे के बाद राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई थी. जिसके बाद रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने इसे बेहद गंभीर मामला करार देते हुए सीबीआई जांच के आदेश भी दे दिए थे.

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एंटनी ने कहा कि सोमवार को उन्हें लोकसभा में सवालों के जवाब देने थे, इसलिए वह रक्षा सचिव से बातचीत कर संसद आ गए. संसद से लौटने के बाद उन्होंने अखबार में छपी रिपोर्ट के तथ्यों की व्यापक सीबीआई जांच के लिखित आदेश दिए. रक्षा मंत्री ने सदन को आश्वासन दिया कि जांच में दोषी पाए जाने पर किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा भले ही वह कितना ही प्रभावशाली क्यों नहीं हो.

उन्होंने कहा, ‘इस मामले में मैंने अपनी ओर से बेहतर निर्णय करने का प्रयास किया है. यदि मैंने कोई गलती की है तो आप सजा दे सकते हैं.’ रक्षा मंत्री ने अपने बयान के शुरू में कहा कि वह 1958 में छात्र राजनीति के माध्यम से सार्वजनिक जीवन में आए. उसके बाद से अभी तक उन्होंने सार्वजनिक जीवन में शुचिता और भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम को सर्वाधिक अहमियत दी है. वह तीन बार केरल के मुख्यमंत्री और इससे पहले एक बार केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं.

पिछली बार उन्होंने केंद्रीय पद से इस्तीफा दिया था तो सभी संसद सदस्य उन्हें ऐसा नहीं करने की सलाह दे रहे थे. लेकिन उन्होंने किसी की बात नहीं मानी. एंटनी ने कहा कि इस बार भी जब उन्हें रक्षा मंत्री बनाने की बात आयी तो वह शुरू में हिचकिचाए. लेकिन पार्टी नेतृत्व ने उनसे यह मंत्रालय संभालने को कहा कि क्योंकि यह मंत्रालय रक्षा सौदों के कारण विवादों में रहता है.

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एंटनी ने कहा कि उन्होंने रक्षा मंत्री का पद संभालने के बाद सैनिक नेतृत्व से मुलाकात की और यह स्पष्ट कर दिया कि वह आधुनिकीकरण के पक्ष में हैं लेकिन भ्रष्टाचार को तनिक भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि रक्षा खरीद के किसी भी चरण में यदि भ्रष्टाचार की बात साबित हुई तो पूरे सौदे को रद्द कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि वह हर शिकायत को गंभीरता से लेते हैं और उसे रक्षा मंत्रालय के जरिए सेना के पास भेज देते हैं ताकि आरोपों का पता लगाकर जरूरत के अनुसार कार्रवाई की जा सके.

उन्होंने कहा कि वह गुमनाम शिकायतों की भी अनदेखी नहीं करते. एंटनी ने कहा कि उन्होंने आदर्श भूमि घोटाले सहित विभिन्न मामलों में सीबीआई जांच के आदेश दिए. इससे पहले कभी इतने मामलों में सीबीआई जांच के आदेश नहीं दिए गए. इन्हीं जांचों का नतीजा है कि चार विदेशी सहित छह कंपनियों को दस साल के लिए काली सूची में डाला गया है.

उन्होंने कहा कि उन पर आरोप लगता है कि वह रक्षा सौंदों में विलंब करते हैं. उन्होंने कहा कि भले ही विलंब हो लेकिन भ्रष्टाचार को किसी भी कीमत पर सहन नहीं किया जाएगा. रक्षा मंत्री ने कहा कि वह नियमित तौर पर तीनों सेनाओं के प्रमुखों से मिलते हैं और यह मुलाकात अलग-अलग की जाती है. इन मुलाकातों में सैन्य प्रमुख ताजा परिस्थितियों से उन्हें अवगत कराते रहते हैं और अपनी समस्याएं बताते हैं.

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रक्षा मंत्री एंटनी ने कहा कि भारत रक्षा उपकरणों का एक बड़ा बाजार बन रहा है और रूस, अमेरिका, इजराइल, जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस सहित विभिन्न देशों की कंपनियां यहां ठेके लेना चाहती हैं. एक ठेका किसी कंपनी को मिलने पर अन्य कंपनियां शिकायत करती हैं. लेकिन मंत्रालय किसी भी शिकायत की अनदेखी नहीं करता. एंटनी ने कहा कि पिछले साल हमने रक्षा खरीद बजट का 100 प्रतिशत खर्च किया था. उन्होंने यह भी कहा कि वह रक्षा सौदा प्रक्रिया तंत्र को दुरूस्त करने पर भी विचार कर रहे हैं.

विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने रक्षा मंत्री से स्पष्टीकरण मांगते हुए कहा कि पिछले कुछ समय से सेना और रक्षा मंत्रालय के जो मामले सामने आ रहे हैं, वे परेशान करने वाले हैं. उन्होंने कहा कि इन मामलों को बंद दरवाजों के पीछे ही सुलझा लिया जाना चाहिए था. उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार ने कई मामलों में आंखें मूंदे रखीं.

जेटली ने कहा कि जब सैन्य प्रमुख को यह मालूम था तो उन्होंने कार्रवाई क्यों नहीं की. भाजपा के ही एस एस अहलूवालिया ने सरकार से जानना चाहा कि इस मामले में सीबीआई जांच के जो आदेश दिए गए हैं उनमें जांच का दायरा क्या है. माकपा के टी के रंगराजन ने जानना चाहा कि जब रक्षा मंत्री को मामले के बारे में एक साल पहले ही पता चल गया था तो उन्होंने इसे गंभीरता से क्यों नहीं लिया और उसी समय जांच के आदेश क्यों नहीं दिए गए.

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