राजधानी दिल्ली के अस्पतालों की बदहाली की खबरें तो आपने कई बार सुनी होगी. आज हम आपको बता रहे उसकी खस्ताहाली और लापरवाही की दिल दहला देने वाला सच.
दिल्ली के बड़े से बड़े से सरकारी अस्पताल चाहे वो केंद्र सरकार के जिम्मे हों या फिर दिल्ली सरकार के सबकी कहानी कमोबेश एक जैसी ही मालूम पड़ती है. आजतक के स्टिंग आपरेशन में सबसे पहले बात सफदरजंग अस्पताल की, जो दिल्ली का सबसे बड़ा अस्पताल माना जाता है.
दिल्ली का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल, फिर भी मरीज इतने कि अस्पताल में जगह कम पड़ रही है. इसीलिए इस हाड़ गला देने वाली ठंड में भी मरीज जमीन पर लेटे मिल जाएंगे और वहीं आसपास आवारा कुत्ते भी घूमते दिख जाएंगे. अब जहां ऐसी अफरातफरी हो वहां इलाज कैसा होता है जरा ये भी सुनिए-
आजतक- भाई साहब क्या हुआ बच्चे को.
अटेंडेंट - एक महीने का है सांस लेने में दिक्कत हो रही है
एक महीने का बच्चा जिसे सांस लेने में काफी तकलीफ है उसका पिता उसे अपनी गोद में उठाए हुए है. बच्चे को ऑक्सीजन मास्क लगा है और पिता ने एक हाथ से ग्लूकोज की बॉटल थाम रखी है. आजतक ने अभी उनसे बात शुरू ही की थी कि बार्ड व्वॉय ने अचानक ऑक्सीजन के सिलिंडर को बंद कर दिया.
आजतक- क्या हुआ
बार्ड ब्वॉय- गैस खत्म हो गया
रिपोर्टर- गैस खत्म हो गया?. जल्दी लेकर चलो, तुमने चेक नहीं किया था.
बार्ड ब्वॉय- उस समय कम रही होगी, ध्यान से निकल गया.
एक महीने बच्चा जो ऑक्सीजन पर जिंदा था उसका ऑक्सीजन एकाएक खत्म हो गया था. बच्चे को लेकर हम तेजी से बार्ड की तरफ भागे.
अब सवाल यह उठता है कि मासूम की जान से खिलवाड़ क्यों? सबसे बड़े अस्पताल में पर्याप्त स्ट्रेचर नहीं? सफदरजंग अस्पताल में ज्यादातर अटेंडेंट अपने मरीजों को लेकर खुद ही इधर-उधर भटकते दिखे-
सफदरजंग अस्पताल के अल्ट्रासाउंड, एक्सरे,सीटी-स्कैन सेंटर कई घंटे तक हमें इसी तरह खाली दिखे जबकि बाहर मरीज हलकान हो रहे थे. सफदरजंग अस्पताल में हम जैसे-जैसे आगे बढ़े, हर कदम पर बदहाली और बेऱुखी की एक नई कहानी मिली.