आरुषि हत्याकांड में तलवार दम्पत्ति के खिलाफ आरोप तय करने को लेकर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत में अभियोजन और बचाव पक्ष की दलील बुधवार को पूरी हो गई. अदालत इस मामले में अपना आदेश गुरुवार को सुनाएगी.
सीबीआई के अभियोजक आर. के . सैनी ने इस मामले में आरोपी आरुषि के माता-पिता नूपुर और राजेश तलवार पर हत्या, षड्यंत्र और सबूत मिटाने का आरोप तय करने पर जोर दिया.
अभियोजन पक्ष के वकील ने दावा किया कि आरुषि को उसके माता-पिता ने ही मारा. साथ ही यह भी कहा कि सीबीआई की ओर से इस मामले में पहले दाखिल क्लोजर रिपोर्ट को आरोप-पत्र में बदल दिया जाए.
सीबीआई ने कहा कि तलवार दम्पत्ति ने अपना अपराध छिपाने के लिए घटनास्थल से सबूत मिटा दिए. वहीं, बचाव पक्ष के वकील सत्यकेतु सिंह ने अदालत में कहा कि जांच एजेंसी हत्या के पीछे का मकसद बताने में विफल रही है.
सीबीआई की ओर से दिसम्बर, 2010 में दाखिल क्लोजर रिपोर्ट से जाहिर होता है कि उसके पास तलवार दम्पत्ति के खिलाफ कोई सबूत नहीं है.
इस मामले से तलवार दम्पत्ति को बरी करने का अनुरोध करते हुए बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि न तो कोई प्रत्यक्ष अथवा परिस्थितिजन्य साक्ष्य आरोप तय करने की सीबीआई की दलील का समर्थन करते हैं.
सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश लाल इस मामले में गुरुवार को निर्णय लेंगे कि तलवार दम्पत्ति को आरोप मुक्त किया जाए या उनके खिलाफ आरोप तय कर मामले की सुनवाई शुरू की जाए.
इससे पहले सोमवार को अदालत ने सीबीआई की ओर से तलवार दम्पत्ति को सौंपे गए दस्तावेजों के अध्ययन के लिए एक दिन का समय देते हुए मंगलवार तक अदालत की कार्यवाही स्थगित कर दी थी. बचाव पक्ष ने इन कागजातों के अध्ययन के लिए 15 दिन का समय मांगा था, जिसे अदालत ने नामंजूर कर दिया.
अदालत ने 16 मई को सुनवाई सोमवार तक के लिए स्थगित करते हुए आरुषि के माता-पिता को कागजात उपलब्ध कराने के लिए कहा था. सत्र न्यायालय में इस मामले की सुनवाई 11 मई को शुरू हुई थी.
आरुषि (14) का शव 16 मई, 2008 को नोएडा स्थित उसके घर में मिला था. अगले ही दिन तलवार दम्पत्ति के घरेलू नौकर हेमराज का शव भी घर की छत पर मिला था.