भाजपा संसदीय दल के अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने राज्यसभा में लोकपाल पर चर्चा के ठप पड़ जाने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर आरोप लगाया कि इस बहस से सरकार के भाग खड़े होने को उन्होंने कथित रूप से षड्यंत्रपूर्ण चुप्पी साध कर उसे मौन स्वीकृति दी जबकि देश को उनसे ईमानदार और पारदर्शी नेतृत्व प्रदान करने की अपेक्षा थी.
आडवाणी ने कहा कि संप्रग सरकार के लिए 2011 भयावह साल रहा. कांग्रेस नीत सरकार ने अपने आप को एक के बाद एक घोटाले की दलदल में फंसा पाया. हर घोटाले से शासन करने की उसकी वैधता कम होती गयी.
उन्होंने कहा कि एक ओर हर घोटाले के साथ ही कांग्रेस नेतृत्व और सरकार की छवि धराशायी होती गई और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तथा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी बड़े नामों को बचाने के लिए छोटे प्यादों को बलि का बकरा बनाते रहे.
लोकपाल पर राज्यसभा में अधूरी चर्चा के लिए भी भाजपा नेता ने प्रधानमंत्री को दोषी ठहराया. उन्होंने कहा कि मजबूत और स्वतंत्र लोकपाल नहीं बनने देने में संप्रग सरकार ने अहंकार, अक्षमता, अयोग्यता और छल सबका सहारा लिया. आडवाणी ने कहा इस सबको देखते हुए उन्हें यह देख कर आश्चर्य नहीं हुआ कि सरकार अपने ही बनाए लोकपाल के प्रारूप को पारित कराने से भाग खड़ी हुई.
सिंह को अलग से निशाना बनाते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री न सिर्फ अपनी जिम्मेदारी से भागे बल्कि उन्होंने पूरे घटनाक्रम पर षड्यंत्रपूर्ण चुप्पी साध कर उसे मौन स्वीकृति दी, जबकि देश को उनसे अपेक्षा थी कि वे ईमानदार और पारदर्शी नेतृत्व प्रदान करें.