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57 दिनों के बाद समाप्त हुई एयर इंडिया के पायलटों की हड़ताल

एयर इंडिया के पायलटों ने मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष कहा कि वे 58 दिनों से चल रही अपनी हड़ताल को तत्काल प्रभाव से खत्म करेंगे.

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एयर इंडिया के पायलटों ने मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष कहा कि वे 58 दिनों से चल रही अपनी हड़ताल को तत्काल प्रभाव से खत्म करेंगे.

पायलटों ने न्यायमूर्ति रेवा खेत्रपाल को अपनी वकील गीता लूथरा के जरिये यह भी बताया कि सभी पायलट अगले 48 घंटों में अपनी सेवाओं पर लौटेंगे. साथ ही जिन पायलटों को हड़ताल के दौरान बख्रास्त किया गया था, वे नौकरी पर वापस लौटने की इच्छा जताते हुए रिपोर्ट दाखिल करेंगे.

एयर इंडिया प्रबंधन द्वारा अदालत को यह आश्वासन दिया गया कि वह पायलटों की शिकायतों को सहानुभूतिपूर्वक सुनेगा.

प्रबंधन और पायलटों के बीच विवाद के निपटारे के लिये गंभीर प्रयास किये गये हैं. साथ ही दोनों पक्षों के वकीलों ने अदालत को आश्वासन दिया है कि विवाद के निपटारे में दोनों पक्ष पूरा सहयोग देंगे.

पायलटों का पक्ष रखते हुए लूथरा ने अदालत को बताया कि पायलट तुरंत ही हड़ताल को खत्म कर देंगे और अगले 48 घंटों में अपनी सेवाओं पर लौटेंगे.

न्यायमूर्ति खेत्रपाल ने कहा कि एयरइंडिया प्रबंधन सहानुभूतिपूर्वक पायलटों की शिकायतों को सुने. इसमें हड़ताल के दौरान बख्रास्त किये गये पायलटों की पुन: बहाली की मांग भी शामिल है. हड़ताली पायलटों ने अदालत से प्रबंधन को 101 बर्खास्त पायलटों को वापस लेने का निर्देश दिए जाने की अपील की थी. इनमें इंडियन पायलट गिल्ड के दस पदाधिकारी भी शामिल थे.

अदालत ने पायलटों और प्रबंधन को पांच जुलाई को साढ़े चार बजे मुख्य श्रम आयुक्त एन के प्रसाद के समक्ष पेश होने के लिये निर्देशित किया है.  

समाधान से जुड़े अधिकारी से नौ जुलाई तक रिपोर्ट मांगने वाले न्यायमूर्ति खेत्रपाल आंदोलनरत पायलटों की यूनियन के आवेदन पर सुनवाई कर रहे थे. यूनियन ने आरोप लगाया था कि एयर इंडिया प्रबंधन ने हड़ताली पायलटों को बख्रास्त और उनकी मान्यता खत्म कर ‘प्रतिकूल माहौल’ पैदा कर दिया है. कल अदालत ने पायलटों और प्रबंधन से विवाद का अदालत के बाहर सौहार्दपूर्ण ढंग से समाधान करने को कहा था.

प्रबंधन के वकील ललित भसीन ने आज अदालत से कहा कि उसे पायलटों के आग्रह पर विचार नहीं करना चाहिए क्योंकि वे अदालत की अवमानना मामले से घिरे हैं.

उन्होंने कहा कि यदि पायलट एक बार हड़ताल खत्म कर देते हैं तो प्रबंधन पायलटों से बातचीत करने को तैयार है.

भसीन ने कहा, 'वे (पायलट) पिछले दो महीने से पूरी तरह अदालत के आदेशों की अवमानना के मामले से घिरे हैं और उन्हें अपनी मांगों पर प्रबंधन से बातचीत करने से पहले हड़ताल खत्म करने की जरूरत है.’ उन्होंने कहा, ‘पायलटों के वकील इस अदालत के समक्ष बयान दें कि वे आज हड़ताल खत्म करने को तैयार हैं. उन्हें हड़ताल खत्म करने के लिए कोई पूर्व शर्त नहीं रखनी चाहिए. पहले उन्हें अदालत के आदेश का पालन करना चाहिए और फिर प्रबंधन से बात करनी चाहिए.’ पायलटों की ओर से पेश वकील ने कहा कि प्रबंधन ने पायलटों को दो श्रेणियों में रखा है. वे पायलट जिन्हें बख्रास्त कर दिया गया है और वे पायलट जो सेवा में हैं लेकिन हड़ताल का हिस्सा हैं.

उन्होंने अदालत से कहा कि प्रबंधन को निर्देश दिया जाए कि बर्खास्त पायलटों सहित सभी 434 आंदोलनरत पायलटों के साथ एक जैसा बर्ताव किया जाए और बर्खास्त पायलटों को बहाल किया जाए.

न्यायमूर्ति खेत्रपाल ने प्रबंधन से कहा कि वह मुद्दे के समाधान के लिए पायलटों से अनौपचारिक वार्ता करे.

उन्होंने कहा, ‘मेरी चिंता यह है कि मुद्दे का जल्द से जल्द समाधान होना चाहिए. किसी को भी परेशानी नहीं हो, न पायलटों को और न एयरइलाइंस को. पायलट ‘गुंडा’ या आपराधिक तत्व नहीं हैं. आप उनसे बात करने के बाद उनकी शिकायत पर विचार करें.'

भसीन ने अदालत को सूचित किया कि एयरलाइंस को रोजाना पांच करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है और हड़ताल के कारण लोगों को भारी असुविधा हो रही है. सुनवाई के दौरान इस दलील पर अदालत ने कहा कि पायलट हड़ताल को वापस लें.

पायलट एसोसिएशन ने अपने आवेदन में कहा था कि वे अपने काम पर लौटने के लिए तैयार हैं लेकिन प्रबंधन ने ऐसा ‘प्रतिकूल’ माहौल पैदा कर दिया है जिससे पायलटों को भूख हड़ताल करनी पड़ रही है.

पायलटों ने यह भी कहा कि भूख हड़ताल के कारण कई पायलटों का स्वास्थ्य बिगड़ गया है लेकिन प्रबंधन को इसकी चिंता नहीं है.

इंडियन पायलट्स गिल्ड से संबद्ध 400 से अधिक पायलट गत सात मई से हड़ताल पर हैं और मुंबई और दिल्ली में करीब 20 पायलट अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं. ये लोग पदोन्नति और अपने 101 साथियों के खिलाफ जारी बर्खास्तगी का आदेश वापस लेने की मांग कर रहे हैं.

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