विमानन कम्पनी एयर इंडिया के पायलटों की जारी हड़ताल को देखते हुए सरकार अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में और कटौती करने की सोच रही है. पायलटों की हड़ताल शुक्रवार को 11वें दिन पहुंच गई और इस संकट कम्पनी का नुकसान बढ़कर 200 करोड़ रुपये हो गया है.
नागरिक उड्डयन मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'पायलट यदि काम पर नहीं लौटते अथवा उनकी हड़ताल में यदि अधिकारी वर्ग के पायलट शामिल हो जाते हैं तो अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में और कटौती किए जाने का प्रस्ताव है. हमारे पास यदि पायलट नहीं होंगे तो विमान कैसे उड़ेंगे?'
विमान कम्पनी पहले की आपात योजना के तहत अंतरराष्ट्रीय उड़ानें संचालित कर रही है और अमेरिका एवं यूरोप के गंतव्यों के लिए उसे कई स्थानों पर अन्य विमानों से सामंजस्य बिठाना पड़ रहा है.
अधिकारी के मुताबिक, 'वायु सेना के डॉक्टर दो से तीन दिनों में हड़ताली पायलटों के स्वास्थ्य की जांच करेंगे. यदि वे वास्तव में बीमार हैं तो उनका चिकित्सा अवकाश पर जाना वैध है लेकिन यदि जांच में उनका स्वास्थ्य ठीक पाया जाता है तब वे काम पर आ सकते हैं अथवा उन्हें इस्तीफा देना होगा.'
अधिकारी ने कहा कि कर्मचारियों का उपयोग नहीं होने, विमानों के खड़े रहने और टिकटें रद्द किए जाने के कारण कम्पनी को अब तक 200 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है. अधिकारी के मुताबिक विमानन कम्पनी ने 22 मई तक के लिए एक विशेष योजना लागू की है, जिसके तहत यात्री बिना अतिरिक्त शुल्क के अपनी यात्रा को आगे बढ़ा सकते हैं, स्थगित कर सकते हैं या फिर टिकट रद्द कर सकते हैं.
कम्पनी ने अंतरराष्ट्रीय मार्गों पर ए-320, ए-321 और ए-330 जैसे विमान लगा रखे हैं. कम्पनी के 17 बोइंग 777 विमानों में से सिर्फ आठ का संचालन किया जा रहा है, जिसे इंडियन पायलट गिल्ड (आईपीजी) के हड़ताल करने वाले पायलट उड़ाते थे.
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री अजित सिंह ने गुरुवार को विमानन कम्पनी के सभी कर्मचारी संघों को अगले सप्ताह वार्ता के लिए बुलाया था. इसके अलावा गुरुवार को ही दिल्ली उच्च न्यायालय ने हड़ताल जारी रखने की इच्छा रखने वाले एयर इंडिया के पायलटों की याचिका खारिज कर दी और कहा कि यदि वे खुल्लमखुल्ला अदालत के आदेश का उल्लंघन करते हैं, तो उनके खिलाफ अदालत की अवमानना से सम्बंधित प्रक्रिया शुरू की जा सकती है.
पायलट्स गिल्ड ने अदालत के पहले के एक आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें पायलटों को अवैध हड़ताल समाप्त करने के लिए कहा गया था. अदालत ने गिल्ड की इस याचिका को खारिज कर दिया. पुरानी विमानन कम्पनी इंडियन एयरलाइंस के पायलटों को बोइंग-787 ड्रीमलाइनर का प्रशिक्षण उपलब्ध कराने के फैसले का विरोध करते हुए आईपीजी से सम्बंधित पायलट आठ मई को सामूहिक चिकित्सा अवकाश पर चले गए थे.