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सेतु समुद्रम परियोजना के लिए वैकल्पिक मार्ग व्यावाहारिक नहीं: रिपोर्ट

सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि एक उच्चस्तरीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सेतु समुद्रम परियोजना के लिए पौराणिक राम सेतु को छोड़कर वैकल्पिक मार्ग आर्थिक एवं पारिस्थितिकी रूप से व्यावहारिक नहीं है.

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सुप्रीम कोर्ट
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सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि एक उच्चस्तरीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सेतु समुद्रम परियोजना के लिए पौराणिक राम सेतु को छोड़कर वैकल्पिक मार्ग आर्थिक एवं पारिस्थितिकी रूप से व्यावहारिक नहीं है.

हालांकि, सॉलिसिटर जनरल रोहिन्टन नरीमन ने न्यायमूर्ति एचएल दत्तू और न्यायमूर्ति सीके प्रसाद की पीठ के समक्ष कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल को अभी जाने माने पर्यावरणविद आके पचौरी के नेतृत्व वाली समिति द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट पर विचार और फैसला करना है.

पीठ ने परियोजना के आगे के घटनाक्रम के बारे में जानकारी देने के लिए सरकार को आठ हफ्ते का समय दिया.

नरीमन ने कहा कि पचौरी समिति ने वैकल्पिक मार्ग के मुद्दे पर विचार किया, लेकिन वह इस निष्कर्ष पर पहुंची कि यह ‘आर्थिक एवं पारिस्थितिकी रूप से व्यावहारिक नहीं है.’ अपनी रिपोर्ट में समिति ने जोखिम प्रबंधन के मुद्दे पर विचार किया और पाया कि तेल रिसाव से पारिस्थितिकी को खतरा पैदा होगा.

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सुप्रीम कोर्ट में महत्वाकांक्षी सेतु समुद्रम परियोजना के खिलाफ दायर कई याचिकाओं के चलते राम सेतु का मुद्दा न्यायिक निगरानी में आ गया है. परियोजना के कार्यान्वयन से कथित पौराणिक पुल नष्ट हो सकता है.

सेतु समुद्रम परियोजना पौराणिक पुल राम सेतु को तोड़कर भारत के दक्षिणी हिस्से के इर्द गिर्द समुद्र में छोटा नौवहन मार्ग बनाए जाने पर केंद्रित है. कहा जाता है कि इस पुल को भगवान राम की बंदर भालुओं की सेना ने लंका के राजा रावण तक पहुंचने के लिए बनाया था. सेतु समुद्रम परियोजना के अनुसार 30 मीटर चौड़ा, 12 मीटर गहरा और 167 किलोमीटर लंबा नौवहन चैनल बनाए जाने का प्रस्ताव है.

इससे पूर्व, 19 अप्रैल को केंद्र ने राम सेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने पर कोई कदम उठाने से इनकार कर दिया था और इसकी बजाय सुप्रीम कोर्ट से इस पर फैसला करने को कहा था. सरकार ने कहा था कि वह 2008 में दायर अपने पहले हलफनामे पर कायम रहेगी जिसे राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने मंजूरी दी थी. इसमें कहा गया था कि सरकार सभी धर्मों का सम्मान करती है.

केंद्र द्वारा पहले दो हलफनामे वापस लिए जाने के बाद संशोधित हलफनामा दायर किया गया जिनमें भगवान राम और राम सेतु के अस्तित्व पर सवाल उठाए गए थे.

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भगवान राम और राम सेतु के अस्तित्व पर सवाल उठाए जाने पर संघ परिवार के रोष के बाद शीर्ष अदालत ने 14 सितंबर 2007 को केंद्र को 2,087 करोड़ रुपये की परियोजना की नए सिरे से समीक्षा करने के लिए समूची सामग्री के फिर से निरीक्षण की अनुमति दे दी थी.

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