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लोकपाल पर दिल्ली में मंथन, मुंबई में अन्‍ना का अनशन

अन्ना हजारे अनशन के लिए एमएमआरडीए मैदान के लिए रवाना हो चुके हैं उनका काफिला विले पार्ले पहुंच गया है. उधर संसद भी लोकपाल बिल पर बहस करने बैठ गई है और प्रधानमंत्री ने लोकपाल बिल के पास होने की उम्मीद जताई है.

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अनशन पर अन्ना
अनशन पर अन्ना

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अन्ना हजारे अनशन के लिए एमएमआरडीए मैदान के लिए रवाना हो चुके हैं उनका काफिला विले पार्ले पहुंच गया है. उधर संसद भी लोकपाल बिल पर बहस करने बैठ गई है और प्रधानमंत्री ने लोकपाल बिल के पास होने की उम्मीद जताई है.

संसद और संसद के बाहर यह मंथन तीन दिनों तक चलने वाला है और समाधान इस बात पर निर्भर करेगा कि संसद के भीतर सत्ता पक्ष और विपक्ष किस हद तक साथ आ पाते हैं और इन्हीं तीन दिन अन्ना भी अनशन पर रहेंगे.

भाजपा और वाम दलों ने आज संशोधन पेश करने के लिए नोटिस दिया है. उन्होंने लोकपाल और लोकायुक्त विधेयक, 2011 में कुछ संशोधन प्रस्ताव रखने का फैसला किया है. सरकार ने टीम अन्ना से विधेयक पर संसद के फैसले का इंतजार करने को कहा है. लेकिन हज़ारे ने मुंबई के एमएमआरडीए मैदान में अनशन पर बैठने से पहले अपने रुख में किसी तरह की नरमी नहीं आने का संकेत देते हुए कहा कि उनकी चार मांगों पर समझौता संभव नहीं है.

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वायरल संक्रमण से जूझ रहे 74 वर्षीय हजारे ने सेहत दुरुस्त नहीं होने के बीच भी कहा कि वह अपना अनशन करेंगे और उन्होंने यह दावा भी किया कि उनका आंदोलन किसी व्यक्ति, पक्ष या दल के खिलाफ नहीं है. हालांकि उनके सचिव सुरेश पठारे ने बताया कि अन्ना की सेहत ठीक है और वो निर्धारित समय पर ही अनशन स्थल के लिए रवाना होंगे. उनके साथ किरण बेदी और जस्टिस हेगड़े होंगे.

मुंबई के एमएमआरडीए मैदान में अन्ना अपने सहयोगियों के साथ रहेंगे तो उनके अन्य साथी दिल्ली के रामलीला मैदान में प्रदर्शन करेंगे.

सरकार की मुसीबतें बढ़ाते हुए मुख्य विपक्षी दल भाजपा और वाम दलों ने भी ऐलान कर दिया है कि अगर सरकार उनके सुझावों पर सहमत नहीं हुई तो वे विधेयक पर संशोधन लाए जाएंगे.

विश्लेषकों का मानना है कि लोकसभा में विधेयक को पारित कराने में सरकार को ज्यादा मुश्किल नहीं आएगी लेकिन राज्यसभा में अनिश्चितता बरकरार है जहां भाजपा का समर्थन जरूरी होगा. कांग्रेस ने पहले ही अपने सांसदों को तीन लाइन का व्हिप जारी कर संसद में मौजूद रहने को कहा है और संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने कहा कि ऐसा घबराकर नहीं किया गया है और यह एक विधिसंगत संसदीय कवायद है.

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हजारे के करीबी सहयोगी प्रशांत भूषण ने दिल्ली में कहा कि लोकपाल विधेयक में उनके पक्ष द्वारा सुझाये गये चार बदलावों पर समझौता नहीं किया जा सकता और सांसदों के आवासों के बाहर धरने पर बैठने की योजना को तभी छोड़ा जा सकता है जब सरकार प्रस्तावित विधेयक में संशोधनों पर सहमत हो जाती है.

उन्होंने कहा कि संतोषजनक विधेयक पारित नहीं होने पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और महासचिव राहुल गांधी के आवासों के सामने भी धरने पर बैठा जा सकता है.

भाजपा की मांग है कि इस विधेयक पर गौर करने वाली संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट में भाजपा सदस्यों ने जो ‘असहमति नोट’ दिए थे उन्हें सरकार कल संसद में संशोधन के रूप में पेश करे तो अच्छा रहेगा अन्यथा वह स्वयं संशोधन पेश करेगी और उन पर अड़ी रहेगी.

भाजपा प्रवक्ता शाहनवाज़ हुसैन ने संकेत दिया कि उनकी पार्टी की ओर से लोकपाल को चुनना और हटाना सरकार के अधिकार में नहीं होने, जांच एजेंसी को सरकार के अधिकार से बाहर रखने तथा लोकपाल में धर्मआधारित आरक्षण नहीं होने संबंधी संशोधन लाए जा सकते हैं. उन्होंने कहा सरकार या तो इन बिंदुओं पर खुद संशोधन ले आए ‘वरना हम संशोधनों पर पूरी तरह अड़े रहेंगे.’

समझा जाता है कि राज्यसभा में विपक्ष के नेता और जानेमाने वकील अरुण जेटली इन संशोधनों को तैयार कर रहे हैं. माकपा ने भी सरकार के लोकपाल विधेयक को अप्रभावी बताते हुए कहा कि वह सीबीआई को लोकपाल के दायरे में लाने सहित कुछ ठोस संशोधन पेश करेगी. पार्टी के पोलित ब्यूरो के सदस्य सीताराम येचुरी ने कहा कि इसके अलावा माकपा यह भी चाहती है कि कारपोरेट आपराधों को लोकपाल के दायरे में लाया जाए विशेष तौर पर ऐसे मामले जिनमें लोक सेवकों की सहभागिता हो और सरकारी खजाने को नुकसान हुआ हो.

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टीम अन्ना यह मांग भी कर रही है कि लोकपाल और लोकायुक्तों को बिना किसी शिकायत या मामला भेजे जाने के स्वत: संज्ञान लेते हुए अपने स्तर पर जांच शुरू करने का अधिकार होना चाहिए. साथ ही लोकपाल और लोकायुक्तों के दायरे में सीधे तौर पर तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को रखना चाहिए.

उल्लेखनीय है कि लोकपाल विधेयक पारित कराने के उद्देश्य से ही संसद का शीतकालीन सत्र तीन दिन के लिए बढाया गया है. पहले सत्र 22 दिसंबर को संपन्न होना था लेकिन अब यह 29 दिसंबर को संपन्न होगा.

इस बीच संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने लोकपाल विधेयक को मजबूत बताते हुए राजनीतिक दलों से अपील की है कि वे इसे संसद में पारित कराने में मदद करें.

हजारे ने अपने तीन दिन के अनशन के लिए मुंबई रवाना होने से पहले अपने गांव में संवाददाताओं से कहा, ‘उन्होंने (सरकार ने) एक संयुक्त मसौदा समिति बनाई और फिर संयुक्त समिति में वे पलट गये. उन्होंने एक स्थाई समिति बनाई लेकिन फिर पलट गये.’ हजारे ने आशंका जताई कि सरकार उनके तथा उनके समर्थकों के खिलाफ बल प्रयोग कर सकती है. उन्होंने कहा, ‘हम जानते हैं कि सरकार बहुत ताकतवर है. सभी ने देखा कि उन्होंने रामदेव के साथ क्या किया. रात में सोती महिलाओं पर लाठियां चलाई गयीं. हम जानते हैं कि ऐसा हमारे साथ भी हो सकता है लेकिन हम मौत से डरते नहीं हैं.’ हजारे ने अपने समर्थकों और खासतौर पर युवाओं से यह अनुरोध भी किया कि अहिंसा बरतें.

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उन्होंने कहा, ‘कुछ लोग अड़चन पैदा करने की कोशिश करेंगे लेकिन मेरा अनुरोध है कि कोई हिंसा नहीं होनी चाहिए. अहिंसा में बहुत शक्ति है.’

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