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भ्रष्टाचार और काले धन के खिलाफ सरकार पर शुरू होगा डबल अटैक

भ्रष्टाचार और काले धन के खिलाफ मंगलवार से सरकार पर शुरू होगा डबल अटैक. साईं के शहर शिर्डी से अन्ना हजारे महाराष्ट्र की यात्रा शुरू करेंगे तो छत्तीसगढ़ के दुर्ग से बाबा रामदेव की यात्रा शुरू होगी.

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अन्ना हजारे और बाबा रामदेव
अन्ना हजारे और बाबा रामदेव

भ्रष्टाचार और काले धन के खिलाफ मंगलवार से सरकार पर शुरू होगा डबल अटैक. साईं के शहर शिर्डी से अन्ना हजारे महाराष्ट्र की यात्रा शुरू करेंगे तो छत्तीसगढ़ के दुर्ग से बाबा रामदेव की यात्रा शुरू होगी.

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सरकार के खिलाफ निर्णायक लड़ाई के लिए रामदेव का हरिद्वार से कूच. छत्तीस गढ़ के दुर्ग के लिए रवाना हो चुके हैं रामदेव. मंगलवार सुबह 11 बजे रामदेव दुर्ग से अपनी यात्रा शुरु करेंगे तो शाम 5 बजे अन्ना हजारे महाराष्ट्र के शिरडी से भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी जंग का आगाज करेंगे.

अन्ना और रामदेव की ये यात्रा पूरे महीने अलग-अलग चलती रहेगी. तपती गर्मी में अन्ना महाराष्ट्र के पैंतीस जिलों का चक्कर लगाएंगे तो रामदेव देश के अलग अलग राज्यों में अलख जगाएंगे.

रामदेव छत्तीसगढ़ के दुर्ग से यात्रा शुरू कर मध्यप्रदेश के ग्वालियर, भिंड और मुरैना जाएंगे. मध्यप्रदेश से वो उत्तर प्रदेश के मेरठ में आएंगे फिर वहां से हरिद्वार का रुख करेंगे, फिर वो राजस्थान के चूरी और झुंझुनू होते हुए हरियाणा आएंगे. पलवल से गुड़गांव होते हुए रामदेव उत्तर प्रदेश के नोएडा और फिर गाजियाबाद जाएंगे. फिर वहां से दिल्ली का रुख करेंगे.

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दूसरी तरफ अन्ना शिरडी से दौरा शुरु कर औरंगाबाद, लातूर, नांदेड़, यवतमान, गडचिरौली, नागपुर अमरावती, नासिक, पुणे सांगली रत्नागिरी होते हुए मुंबई जाएंगे. जनलोकपाल और विदेशों से काला धन वापस लाने का आंदोलन समानांतर चलता रहेगा.

महीने भर अलग-अलग यात्रा करने के बाद अन्ना हजारे और बाबा रामदेव दिल्ली पहुंचेंगे. तीन जून को साझा सांकेतिक आंदोलन करेंगे. इसके बाद अगस्त में बड़ी क्रांति की तैयारी होगी. रामदेव का दावा है कि अगस्त की क्रांति के लिए देश भर में करीब 1 करोड़ कार्यकर्ता तैयार हो चुके हैं.

अन्ना और रामदेव को लगता है कि पिछले एक सालों में दोनो ने जो मुहिम चलाई है उससे भ्रष्टाचार के खिलाफ जनमानस तैयार हुआ है. ऐसे में नए आंदोलन के लिए ये वक्त बिलकुल सही है.

लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या अन्ना और रामदेव की जोड़ी 2014 तक आंदोलनों में लोगों को रुची जगाए रह पाएगी. रामलीला मैदान के दो आंदोलनों में जो झलक दिखी थी क्या आंदोलन की वैसी ही तस्वीर दोबारा दिखेगी.

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