अन्ना हजारे ने राजधानी दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक बार फिर से हुंकार भरते हुए कहा है कि भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए अभी लंबी लड़ाई लड़नी है.
सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार और आपराधिक मामलों का सामना कर रहे 14 केंद्रीय मंत्रियों और अन्य नेताओं के खिलाफ अगस्त तक प्राथमिकी नहीं दर्ज किये जाने पर जेल भरो आंदोलन शुरू करने की धमकी दी है. हालांकि उन्होंने मजबूत लोकपाल विधेयक की सीमा को 2014 तक बढ़ा दिया.
जंतर-मंतर पर अपने एक दिवसीय उपवास की समाप्ति पर हजारे ने कहा, ‘जिन मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार या अपराध के मामले हैं, उनके खिलाफ अगर अगस्त तक प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी, तो एक नियत तिथि से जेल भरो आंदोलन शुरू किया जायेगा. हमें इसके लिए तैयार रहना होगा. तिथि की घोषणा बाद में की जायेगी.’
अन्ना हजारे ने कहा, ‘इस विषय पर पहले विभिन्न पक्षों और जनता से विचार विमर्श किया जायेगा.’
टीम अन्ना के सदस्य अरविंद केजरीवाल ने कहा कि संप्रग सरकार के कुछ प्रमुख मंत्रियों के खिलाफ मामले हैं और अगर लोकपाल विधेयक अमल में आ जाता है तो सरकार के 14 मंत्रियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जा सकती है.
केजरीवाल ने भ्रष्टाचार के सिलसिले में शरद पवार, एसएम कृष्णा, पी चिदंबरम, प्रफुल्ल पटेल, कपिल सिब्बल, कमलनाथ, फारूक अब्दुल्ला, अजित सिंह, श्री प्रकाश जायसवाल, सुशील कुमार शिंदे, विलासराव देशमुख, एम के अलागिरि, जी के वासन समेत 25 राजनीतिज्ञों के नाम लिये.
केजरीवाल ने कहा कि देश में 4,120 विधायक हैं, जिनमें से 1176 विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले हैं. इनमें से 513 के खिलाफ संगीन आरोप हैं. उन्होंने कहा, ‘फास्ट ट्रैक अदालत बनाकर छह महीने में इन मामलों की सुनवाई की जानी चाहिए.’
भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ करने वालों की सुरक्षा पर कोई ध्यान नहीं देने वाली सरकार को ‘गूंगी और बहरी’ करार देते हुए सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने जंतर मंतर पर एक दिवसीय उपवास के दौरान सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले सरकार के पास दो विकल्प हैं, ‘लोकपाल लाओ या सत्ता छोड़ो.’
लोकपाल आंदोलन में नयी जान फूंकने का प्रयास करते हुए हजारे ने अपने उपवास की समाप्ति पर लोगों से कहा, ‘लोकपाल लाओ या 2014 के लोकसभा चुनाव में सत्ता से बाहर हो.’ दिसंबर में मुम्बई में अन्ना हजारे का आंदोलन सफल नहीं रहा था और स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उन्हें अनशन वापस लेना पड़ा था.
उपवास के दौरान केजरीवाल, किरण बेदी, शांति भूषण और हजारे ने अपने भाषण के माध्यम से अपनी योजनाओं का खुलासा किया.
उपवास के दौरान टीम अन्ना ने भाजपा नेता बीएस येदियुरप्प, तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता के साथ भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ करने वाले कार्यकर्ता की हत्या के मामले में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी निशाना बनाया. संसद में लोकपाल विधेयक पर चर्चा के दौरान हजारे को निशाना बनाने वाले जद यू अध्यक्ष शरद यादव, राजद प्रमुख लालू प्रसाद और माकपा नेता वासुदवे आचार्य की क्लिपिंग भी दिखायी गई.
हजारे ने कहा कि अब से वह बाबा रामदेव के साथ मिलकर कर काम करेंगे. ‘जब हम आंदोलन करेंगे तब बाबा रामदेव के लोग सहयोग करेंगे और जब योगगुरु कालाधन आदि विषयों पर आंदोलन करेंगे तब हम उनका समर्थन करेंगे.’
भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए प्रभावी लोकपाल कानून बनाने के संबंध में सरकार में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी का आरोप लगाते हुए हजारे ने कहा कि जनता की शक्ति के आगे एक दिन केंद्र को मजबूत लोकपाल विधेयक लाने को मजबूर होना होगा. हजारे ने कहा, ‘यदि यह अभी नहीं हुआ, तो कभी नहीं होगा. इसलिए वह पूरे देश में घूमेंगे और लोगों को जागृत करने का काम करेंगे.’
उन्होंने कहा कि जन लोकपाल विधेयक हालांकि सभी समस्या का समाधान नहीं है लेकिन इससे लोगों को अधिकार सम्पन्न बनाने और व्यवस्था को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने और सुचिता स्थापित करने में सहायता मिलेगी.
लोगों से सरकार पर दबाव बनाने का आह्वान करते हुए हजारे ने कहा कि देश के लोग अब जाग गए है और वे अब देश के संसाधनों की लूट नहीं होने देंगे.
हजारे ने कहा, ‘जन लोकपाल विधेयक के लिए आंदोलन के बाद उनका अलग कदम लोगों को ‘राइट टू रिजेक्ट’ दिलाने की दिशा में संघर्ष करने का होगा. इसके बाद ग्राम सभा में शुचिता का विषय आयेगा और फिर किसानों के विषय को उठाया जायेगा.’
भूमि अधिग्रहण का उल्लेख करते हुए हजारे ने कहा कि इस प्रकार का कानून बनाना चाहिए जिसके तहत किसानों की जमीन अधिग्रहित किये जाने से पहले ग्राम सभा की मंजूरी लिया जाना सुनिश्चित किया जाये.
उन्होंने कहा, ‘यह लड़ाई लोकशाही, प्रजातंत्र और गणतंत्र को बहाल करने के लिए है.’ उन्होंने कहा कि उनका कोई घर नहीं है, मंदिर में सोते है, एक थाली में खाना खाते हैं और किसी रिश्तेदार के बच्चों का नाम तक नहीं जानते. लेकिन वह छह कैबिनेट मंत्रियों के आगे नहीं झुके.
अन्ना पूर्व की तरह दिल्ली में विरोध प्रदर्शन शुरू करने से पहले राजघाट गए. इसके बाद पूर्वाह्न करीब 11 बजे जंतर मंतर पहुंचे जहां हाथों में तिरंगा लिये हुए बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं और लोगों ने ‘भारत माता की जय और वंदे मातरम’ के उद्घोष के बीच उनका स्वागत किया. उनका उपवास दिवंगत आईपीएस अधिकारी नरेन्द्र कुमार के परिवार को न्याय देने और भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ करने वालों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए कड़ा कानून बनाने की मांग के लिए है.
उपवास के अवसर पर जंतर मंतर पर मध्यप्रदेश में माफिया के हाथों कथित तौर पर मारे गए आईपीएस अधिकारी नरेन्द्र कुमार के परिवार के लोग और भ्रष्टाचार का भंड़ाफोड़ करते हुए अपना बलिदान देने वाले 12 अन्य लोगों के परिवार के सदस्य आए थे. साथ ही 25 लोगों के बलिदान की कहानी को लोगों के समक्ष पेश किया गया. अपना उपवास शुरू करने से पहले अन्ना ने कहा कि वह ‘गूंगी और बहरी’ सरकार के खिलाफ बड़ा विरोध प्रदर्शन आयोजित करेंगे जो भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ करने वालों को निशाना बनाये जाने पर आंखे मूंदे हुए हैं.
उपवास शुरू करने से पहने अन्ना ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष करते हुए काफी लोगों ने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया. उन्होंने आरोप लगाया कि इनमें से कई मामलों के तीन वर्ष गुजर जाने के बावजूद सरकार ने जांच नहीं करायी.
अन्ना ने कहा, ‘उनके (भ्रष्टाचार का भंड़ाफोड़ करने वालों) माता, बच्चें, पिता, पत्नी न्याय के लिए कराह रहे हैं लेकिन सरकार गूंगी और बहरी हो गई है. उसे लोगों की कराह सुनाई नहीं दे रही है.’
राजघाट जाने से पूर्व अन्ना ने संवाददाताओं से कहा, ‘इसके लिए बड़ा आंदोलन होगा. तब सरकार ध्यान देगी. सरकार ने मनरेगा योजना शुरू की लेकिन ये लोग (भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ करने वाले) इसे बेहतर बनाने की कोशिश में मारे गए.’ टीम अन्ना ने कहा कि जन लोकपाल जहां भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ करने वालों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है, वहीं संप्रग सरकार का प्रस्तावित लोकपाल विधेयक काफी कमजोर है और इसमें पर्याप्त प्रावधान नहीं हैं.
टीम अन्ना के सदस्य अरविंद केजरीवाल ने कहा कि संप्रग सरकार के कुछ प्रमुख मंत्रियों के खिलाफ मामले हैं और अगर लोकपाल विधेयक अमल में आ जाता है तो सरकार के 14 मंत्रियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जा सकती है.
टीम अन्ना के वरिष्ठ सदस्य और पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण ने कहा कि कोई भी राजनीतिक दल ऐसा लोकपाल कानून नहीं चाहता जो देश की आंकाक्षा पर खरा उतरे. उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था परिवर्तन की लड़ाई है जिसमें हमें यह सुनिश्चित करना है कि देश की संसद सही अर्थ में जनआकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करे.
भूषण ने कहा कि कांग्रेस सरकार की मजबूरी है कि वह इस विधेयक को पारित नहीं कर सकती क्योंकि अगर यह विधेयक पारित हो गया तो उसके कई मंत्री जेल चले जाएंगे.
उन्होंने कहा कि पहले ऐसा लगता था कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ईमानदार हैं लेकिन 10.70 लाख करोड़ के कोयला घोटाले के बाद यह धारणा बदली है क्योंकि वह खुद भी कोयला मंत्री रह चुके हैं.