टीम अन्ना की सदस्य और मैग्सेसे पुरस्कार विजेता किरण बेदी ने जनलोकपाल बिल के लिए सिविल सोसाइटी के आंदोलन की सफलता का श्रेय 74 वर्षीय गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे और देश की युवा पीढ़ी को दिया.
भ्रष्टाचार के खिलाफ इंडिया टुडे ग्रुप की मुहिम में शामिल हों
माइंड रॉक्स इंडिया टुडे यूथ समिट 2011 में अपना मत रखते हुए पूर्व आईपीएस ऑफिसर किरण बेदी ने कहा, 'इस आंदोलन की सफलता के लिए युवा पीढ़ी जिम्मेदार है और मैं भी इसी वर्ग का हिस्सा हूं.'
अपने कार्यकाल के दौरान तिहाड़ सेंट्रल जेल की व्यवस्था में कई सुधार करने वाली किरण बेदी ने कहा, 'केंद्र सरकार ने सीबीआई को लोकपाल के अंदर लाने पर रक्षात्मक रवैया अपना रखा था. खासकर पुराने केसों को फिर से चालू करने के मुद्दे पर.'
...और 'रॉकस्टार' ने उतारी अपनी शर्ट
उन्होंने कहा, 'जीवन में आप अपनी प्रतिबद्धता के साथ रहते हैं. दिल्ली पुलिस के कमिश्नर पद के लिए मुझे नजरअंदाज किया गया. अगर मेरी नियुक्ति होती तो पुलिसिया तंत्र को ये हाल न होता.' ज्ञात हो कि देश की पहली महिला आईपीएस ऑफिसर किरण बेदी ने साल 2007 में स्वैच्छिक रिटायरमेंट ले लिया था.
पुलिस तंत्र की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए किरण बेदी ने कहा, 'भ्रष्टाचार ने पूरी व्यवस्था को अपंग बना दिया है जिसकी वजह से पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लाजमी हैं. किसी भी मुद्दे पर चर्चा नहीं होती और न बोलने पर बिल्कुल रोक है. पुलिस प्रणाली में सुधार की कवायद पर गृह मंत्रालय की तोड़-मरोड़ नीति की मैं खुद ही गवाह रही हूं. मेरे लिए पारदर्शिता सबसे महत्वपूर्ण है.'
देखें इंडिया टुडे यूथ समिट 2011 पर विस्तृत कवरेज
उन्होंने कहा, 'जब मैं आपकी युवा थी तो मेरे अंदर ऊर्जा की कोई कमी नहीं थी. मुझे पहले से ही एहसास हो गया था कि मैं आत्मनिर्भर बनूंगी, जबकि मेरे दोस्तों ने दूसरा राश्ता चुना. मैंने खुद को हर स्तर पर साबित किया है. मैं क्या करना चाहती थी इसको लेकर मेंरे अंदर कोई संदेह नहीं था.'
युवा प्रशंसकों का उत्साह का बढ़ाते हुए उन्होंने कहा, 'अगर आज मैं इस मुकाम तक नहीं पहुचती तो मेरी भी कोई पहचान नहीं होती. इसलिए मैंने कभी भी प्राथमिकता के साथ समझौता नहीं किया. मात्र 16 साल की उम्र में मुझे पता था कि कब हाँ और कब ना कहना है. क्योंकि किशोरावस्था में फैसले लेने की क्षमता 20-23 साल की उम्र में आपकी आदत बन जाती है.'