भाजपा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस नीत संप्रग सरकार नीतिगत लकवे का शिकार हो गई है और इसकी वजह से देश की अर्थव्यवस्था में जड़ता आ गई है.
पार्टी के वरिष्ठ नेता अरूण जेटली ने सीआईआई की वार्षिक आम सभा के समापन सत्र में कहा कि 1991 के बाद से भारत की कहानी सफलता की कहानी बन गई थी. लेकिन कांग्रेस की अगुवाई में संप्रग का शासन शुरू होने से अचानक सरकार नीतिगत लकवे का शिकार बन गई और सफलता की कहानी असफलता की कहानी में बदलने लगी.
राज्यसभा में विपक्ष के नेता ने कहा कि समस्या की मुख्य वजह आर्थिक से कहीं ज्यादा राजनीति में गडबड़ी है.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बजाय संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास असली शक्ति होने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा, किसी कंपनी में तो यह संभव है कि उसमें एक तरफ बोर्ड आफ डायरेक्टर्स हो और दूसरी ओर प्रोफेशनल सीईओ कहीं और से संगठन का संचालन कर रहा हो. लेकिन विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र इस ढंग से काम नहीं कर सकता है.’
उन्होंने कहा, ‘इस सरकार में नॉर्थ ब्लाक यानी वित्त मंत्रालय यह तय करता है कि क्या कर लगाए जाएं, लेकिन सोनिया गांधी तय करती है कि कहां खर्च किया जाए.’
जेटली ने आशंका जताई कि देश एक बार फिर 1991 से पहले की स्थिति की ओर जाता दिख रहा है, क्योंकि अर्थव्यवस्था और ढांचागत विकास में जड़ता आ गई है.
मनरेगा के बारे में टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा, ‘मैंने वित्त मंत्री से कहा कि रोज़गार देने की योजना को परिसंपत्ति निर्माण से क्यों नहीं जोड़ा जा सकता है. मनरेगा के तहत आप केवल गड्ढे खुदवा रहे और फिर उन्हें पटवा रहे हैं. आप परिसंपत्ति निर्माण के बारे में नहीं सोच रहे हैं.’