टीम अन्ना और रामदेव के बीच मतभेद जारी हैं और आरटीआई कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने योग गुरु के इस दावे का खंडन किया कि अनशन स्थल पर भाषण के दौरान राजनीतिज्ञों का नाम नहीं लेने या किसी पर व्यक्तिगत हमले नहीं करने का प्रोटोकाल तय किया गया था.
केजरीवाल रविवार को अचानक मंच से उठकर चले गए थे और रामदेव ने दावा किया था कि बैठक के लिए प्रोटोकाल तय किया गया था और यह फैसला हुआ था कि किसी का नाम नहीं लिया जाएगा क्योंकि इससे काला धन वापस लाने और भ्रष्टाचार के मुद्दों से ध्यान हटेगा.
हालांकि, केजरीवाल ने कहा, ‘ऐसा कोई प्रोटोकाल नहीं था कि हम किसी का नाम नहीं ले सकते. जब मैंने भाषण के दौरान नाम लिए, तो मुझे एक चिट मिली जिसमें लिखा था कि मैं किसी का नाम नहीं ले सकता. मुझे नहीं बताया गया था कि नाम नहीं लिए जा सकते.
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों से वह स्वस्थ महसूस नहीं कर रहे और उन्होंने अन्ना हजारे तथा रामदेव से आयोजन स्थल से जाने की अनुमति मांगी क्योंकि उन्हें दवा लेनी थी.
उन्होंने कहा, ‘मैंने उनसे पूछा कि क्या मैं दवा लेने के बाद वहां बैठ सकता हूं, उन्होंने कहा कि नहीं.’
केजरीवाल ने कहा, ‘रामदेव संत हैं. वह दार्शनिक ढंग से सोचते हैं कि हमें नाम नहीं लेने चाहिए और हमें केवल मुद्दों के बारे में बात करनी चाहिए. वह भी सही हैं और मैं भी सही हूं.’
उनका दावा ऐसे समय आया जब केजरीवाल के अचानक उठकर चले जाने से नवगठित रामदेव-अन्ना हजारे गठबंधन में दरारें दिखाई दीं.
रविवार रात रामदेव ने बयान जारी कर कहा था, ‘हम गरिमा के साथ आंदोलन चलाना चाहते हैं. हम नाम नहीं लेना चाहते और मुद्दों से ध्यान नहीं हटाना चाहते.’