सरकार ने बुधवार को कहा कि विमानन कम्पनी किंगफिशर की संचालन क्षमता और उड़ान सुरक्षा पर नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) की रिपोर्ट आने के बाद यदि विमानन कम्पनी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाती है तो वह उसके बचाव में नहीं आएगी.
डीजीसीए विमानन कम्पनी को दिए गए उड़ान परमिट को रद्द करने पर विचार कर रहा है. उसने मंगलवार को दैनिक संचालन, विमानों की स्थिति और उड़ान योजना पर स्पष्ट तस्वीर प्रस्तुत करने के लिए विमानन कम्पनी के अध्यक्ष विजय माल्या को बुलाया था. केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री अजित सिंह ने कहा, 'हम किंगफिशर पर डीजीसीए की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं.
डीजीसीए ने सरकार को अपनी कोई रिपोर्ट नहीं सौंपी है.' सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि यदि विमानन कम्पनी पर कोई कानूनी कार्रवाई की जाती है, तो वह विमानन कम्पनी का बचाव नहीं करेगी. विमानन कम्पनी ने घाटे वाले अपने अंतरराष्ट्रीय मार्गों पर संचालन बंद कर दिया है.
डीजीसीए ने पहले उसे उड़ान योजना में कटौती की सूचना नहीं देने के लिए विमानन कम्पनी को कारण बताओ नोटिस भेजा था. किंगफिशर पर 7,057.08 करोड़ रुपये का कर्ज है. विमानन कम्पनी को मौजूदा कारोबारी साल की तीसरी तिमाही में 444.27 करोड़ रुपये का शुद्ध नुकसान हुआ था.
पिछले कारोबारी साल की तीसरी तिमाही में भी उसे 253.69 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. किंगफिशर संकट के बाद किराए में भारी वृद्धि के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि ऐसी कोई वृद्धि नहीं हुई है.