जामा मस्जिद के शाही इमाम मौलाना अहमद बुखारी और समाजवादी पार्टी नेता आजम खान के बीच जुबानी जंग खुलकर सामने आ गयी है. मुसलमानों का असली हितैषी कौन. मुद्दा यहां से शुरू हुआ था और आखिर में शाही इमाम और आजम खान की जुबानी जंग तक पहुंच गया. इमाम बुखारी ने आजम को कौम का दुश्मन बताया तो उन्होने भी जवाबी हमला किया.
शाही इमाम के एक-एक वार का जवाब आजम खान ने सिलसिलेवार तरीके से दिया. इसकी शुरुआत हुई शाही इमाम की मुलायम के नाम चिट्ठी से. तब शाही इमाम ने विधानपरिषद की सात सीटों में से तीन मुसलमानों के लिए मांगते हुए अपने दामाद उमर अली खां का नाम वापस ले लिया था.
शाही इमाम ने ये भी कहा- 'आजम खान मुसलमानों का दुश्मन है. समाजवादी पार्टी नेता उनसे खुश नहीं है. आजम खान का कहना है कि शाही इमाम ने उनकी लोकप्रियता पर सवाल उठाया है. आठ बार एक ही सीट से चुनाव जीतने वाले आजम खान ने शाही इमाम को ही चुनाव लड़ने की चुनौती दे डाली.
आजम खान यूपी सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हैं. सियासी बिसात पर शाही इमाम और आजम खान की जुबानी जंग का मतलब चाहे जो भी हो..एक बात तय है कि तू तू मैं मैं में मुसलमानों के हित का मुद्दा कहीं पीछे छूट जाता है.