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राष्ट्रपति चुनावः BJD, AIADMK संगमा के साथ

राष्ट्रपति पद की दौड़ को लेकर चल रही अटकलों के बीच नया दृष्टिकोण पेश करते हुए क्षेत्रीय दलों बीजद और अन्नाद्रमुक ने पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीएस संगमा को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने के लिए अपना संयुक्त समर्थन जताया लेकिन संगमा की अपनी पार्टी राकांपा ने उनके इस कदम से खुद को अलग कर लिया है.

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पी संगमा
पी संगमा

राष्ट्रपति पद की दौड़ को लेकर चल रही अटकलों के बीच नया दृष्टिकोण पेश करते हुए क्षेत्रीय दलों बीजद और अन्नाद्रमुक ने पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीएस संगमा को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने के लिए अपना संयुक्त समर्थन जताया लेकिन संगमा की अपनी पार्टी राकांपा ने उनके इस कदम से खुद को अलग कर लिया है.

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ओड़िशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने पूर्वोत्तर के 65 वर्षीय जनजातीय नेता को अपना समर्थन देने की घोषणा की. दोनों पहले एनसीटीसी के गठन के मुद्दे पर भी एक राय व्यक्त कर चुके हैं और पिछले हफ्ते चेन्नई में मुलाकात कर चुके हैं.

पटनायक ने भुवनेश्वर में संवाददाताओं से कहा कि मेरा मानना है कि संगमा को इस सर्वोच्च पद का उम्मीदवार बनाया जाना चाहिए.

संगमा को प्रतिष्ठित जनजातीय नेता की संज्ञा देते हुए पटनायक ने कहा कि उन्होंने इस बारे में तमिलनाडु की मुख्यमंत्री और अन्नाद्रमुक नेता जे. जयललिता से भी बात की है.

अन्नाद्रमुक अध्यक्ष जयललिता ने बिना देर किये चेन्नई में एक बयान जारी कर कहा कि पार्टी के अंदर उपयुक्त विचार विमर्श के बाद अन्नाद्रमुक ने इस सर्वोच्च पद के लिए संगमा की उम्मीदवारी का समर्थन करने का फैसला किया है.

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संगमा के साथ 15 मई की अपनी भेंट को याद करते हुए उन्होंने कहा कि वह न केवल जनजातीय बिरादरी से आते हैं बल्कि इस महान राष्ट्र के राष्ट्रपति पद के लिए पूरी तरह योग्य हैं.

आदिवासी राष्ट्रपति बनाने के लिए अभियान चला रहे संगमा ने दोनों पार्टियों के फैसले पर उनका आभार व्यक्त किया लेकिन राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने इस घटनाक्रम पर अनभिज्ञता जाहिर की.

पवार ने कहा, ‘मैं ऐसे किसी घटनाक्रम से वाकिफ नहीं हूं. संगमा ने मुझसे बातचीत नहीं की है. हमारी कोई बातचीत नहीं हुई. हम महसूस करते हैं कि सीमित ताकत के साथ हम ऐसे बड़े पद की आकांक्षा नहीं पाल सकते.’ संगमा ने खुद भी कहा कि वह राकांपा नेता के तौर पर नहीं बल्कि निजी ओहदे से इस पद के लिए अभियान चला रहे हैं.

जुलाई में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए किसी उम्मीदवार को समर्थन करने के लिहाज से किसी राजनीतिक दल की ओर से यह पहली घोषणा की गयी है.

राष्ट्रपति पद के लिए प्रणव मुखर्जी के नाम की अटकलें पहले से ही हैं हालांकि कांग्रेस ने इस बाबत कोई आधिकारिक रुख स्पष्ट नहीं किया है.

भाजपा ने भी कोई निर्णय नहीं लिया है. पार्टी नेता सुषमा स्वराज ने कहा था कि भाजपा कांग्रेस उम्मीदवार का विरोध करेगी.

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तृणमूल कांग्रेस, सपा, जदयू, बसपा और वाम दल जहां स्थिति पर नजर रखे हुए हैं वहीं इनमें से कुछ दलों ने अनौपचारिक तौर पर संकेत दिया है कि उन्हें मुखर्जी या उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के नाम पर कोई आपत्ति नहीं है.

जब संगमा से पूछा गया कि क्या वह किसी अन्य आदिवासी नेता का समर्थन राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में करेंगे तो उन्होंने कहा कि वह अकेले जनजातीय नेता नहीं हैं जो राष्ट्रपति बन सकते हैं.

उन्होंने कहा, ‘कोई भी आदिवासी हो. किशोर चंद्र देव (आदिवासी मामलों के मंत्री), अरविंद नेताम (कांग्रेस), करिया मुंडा (भाजपा), कोई भी हो सकते हैं. इस बार कोई आदिवासी होना चाहिए.’ हालांकि संगमा ने कहा कि मुखर्जी इस पद के लिए बहुत योग्य हैं लेकिन अन्य काबिल लोग भी हैं.

उन्होंने कहा, ‘मैं इस बात से बहुत खुश हूं और मैं दोनों नेताओं (पटनायक और जयललिता) के प्रति अत्यंत आभारी हूं. वे हमारी आकांक्षाओं के प्रति बहुत उत्साही रहे. इसलिए भारत में आदिवासियों, जिनकी संख्या 10 करोड़ से ज्यादा है, की ओर से मैं उन्हें शुक्रिया अदा करता हूं.’

संगमा ने अन्य दलों से भी आदिवासी उम्मीदवार को समर्थन जताने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि वह इस मामले में राकांपा नहीं बल्कि पूरे आदिवासी समुदाय का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.

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संगमा ने कहा, ‘हमारे समूह में सभी दलों के सांसद हैं, विधायक हैं और पूर्व सांसद हैं. मैंने किशोर चंद्र देव से बात की है और उन्होंने कहा है कि हमें अपने मुद्दे के लिए लड़ना चाहिए. इसलिए हम एक हैं.’ पटनायक ने उन्हें एक प्रमुख जनजातीय नेता बताया जिन्हें लोकसभा अध्यक्ष पद का अनुभव हैं.

बीजद नेता का कहना था कि उन्हें बुधवार को राकांपा नेता की ओर से एक पत्र मिला. पटनायक ने कहा कि उन्होंने संगमा को समर्थन जताने से पहले पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से बातचीत की है.

रोचक बात यह है कि संगमा की अपनी पार्टी ने राष्ट्रपति चुनाव के संबंध में कोई फैसला नहीं किया है. राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से इस मामले में बातचीत की थी.

पटनायक ने कहा कि राज्य की कुल जनसंख्या का एक चौथाई हिस्सा जनजातियों से ताल्लुक रखता है इसलिए संगमा जैसे उम्मीदवार का समर्थन करना उचित होगा.

इससे पहले ग्रामीण विकास राज्य मंत्री अगाथा संगमा ने यहां पटनायक से मुलाकात की थी. अपने पिता पीए संगमा के साथ अगाथा ने इसी हफ्ते जयललिता से भी मुलाकात कर समर्थन मांगा था. जयललिता ने कहा, ‘भारतीय गणतंत्र के पिछले 60 साल के दौरान विभिन्न समुदायों और अलग अलग क्षेत्रों की जानी मानी हस्तियों ने राष्ट्रपति के पद को सुशोभित किया लेकिन जनजातीय समुदाय से किसी को भी अबतक यह अवसर नहीं मिला.’ मुख्यमंत्री ने कहा कि राकांपा नेता संगमा की उम्मीदवारी का समर्थन करते हुए अन्नाद्रमुक गर्व महसूस करती है.

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वर्तमान राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल का कार्यकाल 25 जुलाई को समाप्त हो रहा है और क्षेत्रीय नेताओं के आधिकारिक रूप से अपने उम्मीदवार पेश करने के साथ ही रायसीना हिल के लिए दौड़ तेज होने की संभावना है.

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