भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस की तरफ से देश के भावी प्रधानमंत्री के रूप में देखे जा रहे उसके महासचिव राहुल गांधी की क्षमता पर सवाल उठाते हुए कहा कि अच्छा हो कि राहुल गांधी एक बार प्रधानमंत्री बन ही जाएं ताकि देश की जनता देख ले कि उनमें कितनी क्षमता है.
पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने संवाददाताओं के एक सवाल के जवाब में कहा, एक बार राहुल गांधी प्रधानमंत्री बन ही जायें, देश की जनता भी देख ले कि उनमें देश की समस्याओं की कितनी समझ और उनके समाधान की कितनी क्षमता है.
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनने के लिए केवल इतना ही तो कहना है कि मनमोहन सिंह जी आप कुर्सी से उतरिए हम बैठेंगे.. अब भी दो साल का समय बाकी है देश की जनता भी देख ले कि उनमें कितनी क्षमता है. यह सवाल एक न्यूज चैनल को दिये साक्षात्कार में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष एवं केन्द्रीय कृषि मंत्री शरद पवार की इस टिप्पणी के बारे में पूछा गया था जिसमें पवार ने कहा है कि राहुल गांधी को उत्तर प्रदेश में चुनाव अभियान की कमान सौप कर कांग्रेस ने एक जुआ खेला है क्योंकि यदि कांग्रेस अच्छा नहीं कर पाई तो सारी जिम्मेदारी उनके सिर जायेगी.
पवार ने यह भी कहा था कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का चुनाव परिणाम अच्छा भी हो तो भी राहुल गांधी को तत्काल प्रधानमंत्री पद के लिए 'प्रोजेक्ट' नहीं किया जा सकता.
भाजपा प्रवक्ता ने पवार की टिप्पणी को कांग्रेस नीत संप्रग में उठापटक का संकेत बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री सोनिया गांधी और राहुल गांधी कहते है कि सरकार को प्रतिपक्ष का समर्थन नहीं मिलता... मैं पूछना चाहता हूं कि संप्रग के घटक दल एक दूसरे को कितना समर्थन देते है.
प्रसाद ने कांग्रेस, सपा और बसपा में मुस्लिम वोटों के लिए प्रतिस्पर्धा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि तीनों दल अपने पक्ष में मुसलमान मतों की गोल बंदी करने की साजिश में लगे है. उन्होंने कहा, ‘उत्तर प्रदेश की आबादी 20 करोड़ है.. क्या अल्पसंख्यक ही मतदाता है.. क्या प्रदेश की शेष आबादी मतदाता नहीं है या फिर वे भूख भ्रष्टाचार महंगाई और बेरोजगारी से परेशान नहीं है.’
भाजपा प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि पिछड़े वर्ग के लिए निर्धारित आरक्षण के 27 प्रतिशत कोटे में अल्पसंख्यकों के लिए साढ़े चार प्रतिशत का अलग कोटा देने का निर्णय एक सोची समझी साजिश का हिस्सा है.
उन्होंने कहा, ‘इसके और भी उदाहरण है. सलमान खुर्शीद ने कहा कि उत्तर प्रदेश में सरकार बनी तो अल्पसंख्यकों का आरक्षण 9 प्रतिशत कर दिया जायेगा. दिग्विजय सिंह ने बटला हाउस मुठभेड़ को फर्जी बताया है और केन्द्रीय गृह मंत्री चिदम्बरम द्वारा उसे सही बताए जाने पर कहा कि उन्हें उनके पद से हटाना उनके अधिकार में नहीं है. सारे प्रकरण पर सोनिया गांधी और राहुल गांधी चुप रहे.’
विवादास्पद लेखक सलमान रुश्दी की भारत यात्रा को लेकर मचा शोर चौथा उदाहरण बताते हुए प्रसाद ने कहा, ‘पिछले सात साल में रुश्दी पांच बार भारत यात्रा कर चुके हैं और दो साल पहले वे जयपुर के साहित्य समारोह में भी भाग लेने आये थे. मगर इस बार राजस्थान पुलिस ने कहा कि उसे महाराष्ट्र पुलिस से जानकारी मिली है कि यदि वे भारत आते है तो उनकी जान को खतरा है जबकि महाराष्ट्र पुलिस महानिदेशक ने राजस्थान पुलिस को ऐसी कोई खुफिया जानकारी देने की बात से इंकार किया है.’
प्रसाद ने भाजपा शासित गुजरात में मुसलमानों की स्थिति देश में सबसे अच्छी और तीन दशक से अधिक सीपीएम सरकार वाले पश्चिम बंगाल में सबसे खराब होने का दावा करते हुए कहा कि सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव मुसलमानों को 18 प्रतिशत आरक्षण देने का वादा कर रहे हैं, जो कि संविधान की मौजूदा व्यवस्था और सर्वोच्च न्यायालय की तरफ से 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण पर लगी रोक के मद्देनजर संभव ही नहीं है. उन्होंने कांग्रेस और सपा पर राजनीति को सांप्रदायिक रंग देने का आरोप लगाते हुए कहा कि बसपा इस मुद्दे पर उन्हें मौन समर्थन दे रही है.
प्रसाद ने कहा कि देश और भाजपा प्रदेश की 20 करोड जनता को एक नजर से देखती है और मानती है कि मुसलमान भी भय, भूख, भ्रष्टाचार और महंगाई से त्रस्त हैं मगर इसके लिए अधिकांश समय तक सत्ता में रही कांग्रेस और पिछले नौ साल से प्रदेश की सत्ता में रही बसपा और सपा जिम्मेदार है.
उन्होंने कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह पर निशाना साधते हुए कहा कि आज वे ओसामा बिन लादेन का समर्थन करने के लिए इमाम बुखारी की आलोचना कर रहे हैं, जबकि वे स्वयं लादेन को 'ओसामा जी' कहते रहे हैं.
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस, सपा और बसपा वोट के लिए मुसलमानों के साथ विकृति से भरा नाटक खेल रही हैं, जो प्रदेश के मुसलमानो के लिए अच्छा नहीं है.
कांग्रेस पार्टी के ‘विजन’ डाक्यूमेंट (दृष्टि पत्र) को ‘डिविजन’ डाक्यूमेंट बताते हुए प्रसाद ने कहा, ‘‘भाजपा पूरे प्रदेश का बिना किसी जाति अथवा धार्मिक भेद भाव के चौरतफा विकास करना चाहती है और इसी लक्ष्य के साथ चुनाव मैदान में है, जबकि विपक्षी दल राजनीति को सांप्रदायिक रंग देना चाह रहे हैं.