रूस के राष्ट्रपति दमित्रि मेदवेदेव ने चौथे ब्रिक्स सम्मेलन से पहले कहा कि पांच देशों का यह समूह अब ‘वैश्विक इकाई’ बन गया है और उसे वैश्विक मुद्दों पर ठोस प्रयास करने चाहिए.
मेदवेदेव ने जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय की ओर से डाक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त करने के बाद दिये अपने संबोधन में अंतरराष्ट्रीय मामलों में भारत को एक ‘गंभीर सहायक’ बताया.
रूसी राष्ट्रपति ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच और अधिक सहयोग पर जोर दिया. 47 वर्षीय मेदवेदेव को भारत..रूस मित्रता में योगदान और कई अन्य उपलब्धियों के लिए जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय के कुलपति सुधीर के सोपोरी ने मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल की मौजूदगी में डाक्टरेट की मादन उपाधि प्रदान की.
मेदवेदेव को डाक्टरेट की मानद उपाधि ऐसे समय में दी गई जब भारत और रूस के बीच कूटनीतिक संबंधों की स्थापना की 65 वीं वषर्गांठ के मौके पर समारोहों का आयोजन हो रहा है.
मेदवेदेव ने अपने 10 मिनट के संबोधन में जवाहर लाल नेहरु की यह कहते हुए प्रशंसा की कि उन्होंने अनुभवों के लिए कभी भी बाहर नहीं देखा और वह आधुनिक भारत के विकास के लिए हमेशा ही चिंतित रहे. मेदवेदेव ने कहा कि भारत और रूस ‘अच्छी नजदीकी’ और ‘पूरी तरह से मैत्री’ संबंधों के उदाहरण हैं. उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने बहुत जटिल एवं गंभीर मुद्दों पर एक आम दृष्टिकोण विकसित किया है.
मुख्य रूप से ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने आये मेदवेदेव ने इस मंच का इस्तेमाल ब्रिक्स देशों ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका को वैश्विक मंचों पर अपने प्रयासों को मजबूत करने आह्वान करने के लिए किया.