संयुक्त राष्ट्र महासभा के 192 देशों ने सर्वसम्मति से बान की मून को दोबारा पांच साल के लिए वैश्विक निकाय का महासचिव चुना है. महासभा ने सर्वसम्मति से दक्षिण कोरिया के इस 67 वर्षीय नेता को संयुक्त राष्ट्र प्रमुख चुना. उनका दूसरा कार्यकाल एक जनवरी, 2012 से शुरू होगा.
बान को चुनौती देने के लिए उनका कोई दूसरा प्रतिद्वंद्वी नहीं था, इसलिए महासभा ने उन्हें सर्वसम्मति से चुन लिया. बान ने दो सप्ताह पहले खुद को इस पद का प्रत्याशी घोषित किया था.
बान ने अपने दोबारा चुने जाने को ‘बहुत बड़ा सम्मान’ बताया और कहा इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी जा सकती. बान का पहला कार्यकाल उनकी प्रशंसाओं और आलोचनाओं के चलते मिला-जुला रहा.
जहां एक ओर श्रीलंका और चीन में मानवाधिकार उल्लंघनों के मामलों से ठीक से न निपट पाने पर उनकी आलोचना हुई, वहीं जलवायु परिवर्तन, महिलाओं के अधिकार और पश्चिम एशिया में हाल ही में प्रदर्शनकारियों को कुचलने के विरोध में दी गई उनकी प्रतिक्रिया को सभी ने सराहा.
लीबिया और आइवरी कोस्ट में सुरक्षा परिषद् के समर्थन से हुई निर्णायक कार्रवाई में भी उनकी भूमिका बहुत अहम रही. बान के दोबारा चुने जाने का स्वागत करते हुए संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत सुजैन राइस ने कहा, ‘कोई भी इस भूमिका की जिम्मेदारियों को उतने बेहतर तरीके से नहीं समझ सकता, जितना वह समझते हैं. हमारी सरकार इस बात को लेकर कृतज्ञ है कि वह इस भूमिका को आगे भी निभाने के इच्छुक हैं.’
उन्होंने कहा, ‘महासचिव बान ऐसे नेता हैं, जो ऐसे लोगों की आवाज भी सुनते हैं, जिनकी आवाज कोई नहीं सुनता.’