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एयर इंडिया की वित्तीय पुनर्गठन योजना को बैंकों की मंजूरी

वित्तीय संकट से जूझ रही राष्ट्रीय एयरलाइन एयर इंडिया के लिए कुछ राहत की बात है. बैंकों के समूह ने एयरलाइन की वित्तीय पुनर्गठन योजना (एफआरपी) को मंजूरी दे दी.

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वित्तीय संकट से जूझ रही राष्ट्रीय एयरलाइन एयर इंडिया के लिए कुछ राहत की बात है. बैंकों के समूह ने एयरलाइन की वित्तीय पुनर्गठन योजना (एफआरपी) को मंजूरी दे दी. इस कदम से एयर इंडिया को पहले साल ही कई 100 करोड़ रुपये की बचत की उम्मीद है.

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एफआरपी के तहत एयर इंडिया ने भारतीय स्टेट बैंक की अगुवाई वाले बैंकों के समूह के साथ शुक्रवार शाम चार करार पर हस्ताक्षर किए. इनमें मास्टर पुनर्गठन समझौता, कार्यशील पूंजी सुविधा समझौता, सुविधा एजेंट नियुक्ति समझौता और न्यासी नियुक्ति समझौता शामिल है.

अधिकारियों ने कहा कि एयरलाइन में पूंजी डालने के लिए अभी कैबिनेट की मंजूरी का इंतजार है. अगले कुछ सप्ताह में यह मंजूरी मिलने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि एयरलाइन में अतिरिक्त पूंजी डालने के मसले पर केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद एफआरपी के क्रियान्वयन पर काम किया जाएगा. इन करारों पर दस्तखत के मौके पर 19 बैंकों के अधिकारी मौजूद थे.

करार की एक खास बात एयलाइन की 10,500 करोड़ रुपये की कार्यशील पूंजी को दीर्घावधि ऋणण में बदलना है. इस पर 11 प्रतिशत सालाना ब्याज देय होगा. उन्होंने कहा कि पहले साल के ब्याज को एक अलग वित्तपोषित ब्याज सावधि योजना के तहत एकत्रित किया जायेगा, इससे कंपनी को 2012-13 में करीब 1,000 करोड़ रुपये की बचत होगी. अधिकारियों ने बताया कि इसके अलावा सरकार से गारंटी प्राप्त 7,400 करोड़ रुपये के गैर परिवर्तनीय डिबेंचरों (एनसीडी) को जारी किया जाएगा और निवेशकों को दिया जाएगा.

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एनसीडी से प्राप्त राशि का इस्तेमाल बैंकांे को भुगतान के लिए किया जाएगा. इसके साथ ही 3,500 करोड़ रुपये की कार्यशील पूंजी के एक हिस्से का पुनर्गठन नकद ऋण व्यवस्था के रूप में किया जाएगा. एफआरपी के तहत एयर इंडिया ने प्रस्ताव किया है कि सरकार 2012-21 की अवधि में एयरलाइन में 30,231 करोड़ रुपये की इक्विटी डाले. इसमें लघु अवधि के 7,000 करोड़ रुपये के कार्यशील पूंजी ऋण को कुल तरजीही शेयरों या एनसीडी में बदलने का भी प्रस्ताव है. लगभग 14,000 करोड़ रुपये के कर्ज को वापस करने के लिए अधिक समय दिया जाएगा.

सरकार ने एयर इंडिया में 2009-10 में 800 करोड़ रुपये, 2010-11 में 1,200 करोड़ रुपये और 2011-12 में भी 1,200 करोड़ रुपये की इक्विटी डाली है. ऋण के बोझ से दबी इस एयरलाइन पर कुल 67,520 करोड़ रुपये कर्ज है. इसमें से 21,200 करोड़ रुपये कार्यशील पूंजी ऋण, 22,000 करोड़ रुपये का दीर्घावधि ऋण जो विमानों की खरीद को लिया गया था और वेंडरों को 4,600 करोड़ रुपये का बकाया है. एयरलाइन का कुल नुकसान 20,320 करोड़ रुपये का है. पिछले साल दिसंबर में एयरलाइन पर 21,714.38 करोड़ रुपये का लघु अवधि का कार्यशील पूंजी ऋण था. कंपनी को सालाना 2,600 करोड़ रुपये का ब्याज अदा करना पड़ता है.

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