वर्ष 1983 में विश्वकप दिलाने वाले भारत के पूर्व क्रिकेट कप्तान कपिल देव का मानना है कि आगामी विश्व कप में भारतीय टीम का मजबूत पक्ष उसकी बल्लेबाजी होगी, लेकिन अगर भारत को 28 साल बाद इस क्रिकेट महाकुंभ में इस बार खिताब हासिल करना है, तो टॉस के समय महेंद्र सिंह धोनी को भाग्य की भी जरूरत होगी.
कपिल ने साक्षात्कार में कहा, ‘‘बल्लेबाजी हमारी मजबूती है और मेरा मानना है कि हमें इस पर निर्भर होकर विश्वास रखना चाहिए. कई बार भाग्य भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. हर मैच में टॉस जीतना काफी महत्वपूर्ण है. अगर हम टॉस हारते हैं और विपक्षी टीम हमारे लिए 300 या इससे अधिक रन का विशाल लक्ष्य देती है, तो काफी मुश्किल हो जायेगा.’’
उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम पहले बल्लेबाजी करते हैं और 300 या इससे अधिक रन बनाते हैं, तो हमारे गेंदबाज हर मैच जीतने के लिए बचा हुआ काम पूरा कर सकते हैं.’’
ज्यादातर लोगों ने विश्वकप की भारतीय टीम को संतुलित बताने के साथ अदद ऑलराउंडर की कमी पर चिंता व्यक्त की है, लेकिन कपिल ने कहा कि विकेटकीपर बल्लेबाज के तौर पर धोनी उस जगह को ठीक तरह से भर देंगे.{mospagebreak}
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी कोई बात नहीं है क्योंकि विकेटकीपर को भी ऑलराउंडर माना जाता है. टीम में ऑलराउंडर के तौर पर हमारे पास धोनी है. आशा है कि वह इतिहास रचने और भारत को विश्वकप दिलाने में मदद करने के लिए अच्छा प्रदर्शन करेंगे. वैसे आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि किसी मेजबान ने अब तक विश्वकप नहीं जीता है.’’
उपमहाद्वीप में 19 फरवरी से शुरू हो रहे विश्वकप में भारत की संभावनाओं के बारे में कपिल ने कहा, ‘‘कागज पर भारत बिना किसी शक के प्रबल दावेदारों में शामिल है. हमारी टीम में कई मैच विजेता खिलाड़ी हैं, लेकिन क्षेत्ररक्षण और विकेटों के बीच दौड़ पर शक है, क्योंकि टीम में कुछ कमजोर कड़ियां हैं. कुल मिलाकर टीम की बल्लेबाजी काफी मजबूत है, जो आपको बेहतर स्थिति में पहुंचा सकती है.’’
कपिल ने कहा कि धोनी का असाधारण नेतृत्व टीम की मजबूती है. उन्होंने कहा, ‘‘टीम में कप्तान महत्वपूर्ण व्यक्ति होता है और यह हमारे लिए खुशी की बात है. अगर वह चला जाये तो उसका स्थान लेने वाला कोई नहीं होता.’’ टीम में तीन स्पिनरों के चुने जाने की काफी आलोचना की जा चुकी है लेकिन कपिल इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते.{mospagebreak}
उन्होंने कहा, ‘‘कुछ पार्टटाइम गेंदबाजों के साथ टीम में बस एक अतिरिक्त स्पिनर है और अंतिम एकादश का चुनाव कप्तान के नजरिए पर निर्भर करता है.’’ पूछे जाने पर कि क्या घरेलू मैदान पर खेलने का दबाव टीम के लिए परेशानी पैदा कर सकता है तो कपिल ने कहा, ‘‘मैं कहना चाहता हूं कि यह दोनों तरीके से काम करता है. लोगों की आशाएं बहुत ज्यादा हैं और कई बार उम्मीदें काफी ज्यादा हो जाती हैं. फायदेमंद यह है कि दर्शकों का समर्थन आपको मदद करने जा रहा है. वैसे निर्भर करता है कि टीम के खिलाड़ी इसे कैसे लेते हैं.’’
कपिल ने इस बात पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि दक्षिण अफ्रीकी निवर्तमान कोच गैरी कर्स्टन के विश्व कप के बाद चले जाने से टीम को उनकी कमी महसूस होगी. उन्होंने कहा, ‘‘मैं नहीं जानता क्योंकि मैं टीम के साथ नहीं हूं और मैं जवाब नहीं दे सकता कि टीम के प्रदर्शन पर कोच का क्या असर पड़ा. टीम के साथ पिछले नौ या दस साल से कोई न कोई विदेशी कोच लगातार बने रहे हैं.’’
कपिल ने कहा, ‘‘मैं इन बातों से चितिंत नहीं होता क्योंकि यह पूरी तरह से भारतीय क्रिकेट बोर्ड का काम है.’’ पूछे जाने पर कि वह भारत को विश्व कप जीतने के लिए क्या सलाह देना चाहते हैं तो कपिल ने कहा, ‘‘मैं खुद को सलाह देने के काबिल नहीं मानता, लेकिन उन्हें अपने खेल का लुत्फ उठाना चाहिए और कड़ी क्रिकेट खेलनी चाहिए.’’{mospagebreak}
अपने 1983 विश्वकप खिताब को याद करते हुए कपिल ने कहा कि किसी ने कप जीतने की की उम्मीद नहीं की थी लेकिन हर मैच के साथ विश्वास बढता गया. उन्होंने कहा, ‘‘किसी को कोई उम्मीद नहीं थी क्योंकि टीम और टीम प्रबंध के किसी भी सदस्य ने हमारी जीत के बारे में नहीं सोचा था. विश्वकप के किये स्वदेश से जाते समय हमने कभी ऐसा नहीं सोचा था.’’
कपिल ने कहा, ‘‘हमने अपने लिए कोई लक्ष्य नहीं बनाया, लेकिन हमने हर लीग मैच जीतने पर ध्यान केन्द्रित किया. हम सबसे पहले अपने सभी लीग मैच और इसके बाद सभी नॉकआउट मैच जीतना चाहते थे. जब हम फाइनल में पहुंचे तो सभी बहुत खुशी मना रहे थे और उस समय हमने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की ठानी. टीम के एकजुट प्रयास से हम खिताब हासिल करने में सफल रहे.’’