कर्म की प्रेरणा देने वाले पवित्र धार्मिक ग्रंथ भगवद् गीता के रूसी भाषा में प्रस्तावित अनुवाद पर से प्रतिबंध हटाने के लिए हिन्दुओं को जहां एक लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी, वहीं कैथोलिक ईसाई बहुल पोलैंड में इस ग्रंथ का अनुवाद पोलिश भाषा में किया गया है और वह भी सीधे संस्कृत से.
यह अनुवाद पोलैंड की एक महिला ने किया है, जिन्होंने संस्कृत में शोध कर रखा है. गीता का पोलिश भाषा में अनुवाद हालांकि पहले से ही मौजूद है, लेकिन यह 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में अंग्रेजी से किया गया था.
मौजूदा अनुवाद अन्ना रैकिंस्का ने सीधे संस्कृत से पोलिश भाषा में किया है. संस्कृत सीखने के लिए वह करीब एक दशक तक वाराणसी में रही. उम्र के छठे दशक में पहुंच चुकीं रैकिंस्का ने अपनी पीएचडी दो साल पहले ओरिएंटल इंस्टीट्यूट ऑफ वारसॉ यूनिवर्सिटी से की.
चार बड़े बच्चों की मां रैकिंस्का की संस्कृत में रुचि पति की प्रेरणा से पैदा हुई. आज उनके घर में सभी बच्चे और अभिभावक संस्कृत में धाराप्रवाह बोलते हैं. वे आम तौर पर संस्कृत में ही एक-दूसरे से संवाद करते हैं. यह बाहरी लोगों को अजीब लग सकता है, लेकिन उनके घर की यह नियमित दिनचर्या है.
इन दिनों रैकिंस्का के सबसे छोटे बेटे ने अपना नाम योगानंद रख लिया है और वह वाराणसी में रह रहे हैं. वह और उनकी मां ने कई वर्षो तक साथ-साथ संस्कृत सीखा. एक अन्य बेटे फिलिप भी संस्कृत में शोध कर रहे हैं. वह 12 बार से अधिक भारत का दौरा कर चुके हैं. भारत के दौरे के लिए वे अपने आप पैसे एकत्र करते हैं और वारसॉ में निजी स्तर पर हिन्दी और संस्कृत पढ़ाते हैं.
इंडो-पोलिश सांस्कृतिक समिति के अध्यक्ष और भारतीय उपमहाद्वीप के विशेषज्ञ जैनुसज क्रजिजोवस्की ने कहा, 'यह अन्ना रैकिंस्का की बड़ी उपलब्धि है. काफी वर्षों तक वह गुमनाम रहीं और अचानक एक महान ग्रंथ का संस्कृत से पोलिश भाषा में अनुवाद कर उन्होंने हमें कृतज्ञ किया है.'
वहीं, पोलैंड में भारत की राजदूत मोनिका कपिला मोहता ने कहा, 'रैकिंस्का के इस महत्वपूर्ण काम से हमें सच में गर्व हो रहा है. उम्र के इस पड़ाव पर उन्होंने जिस तरह से और जो उपलब्धि हासिल की है, वह उनके नि:स्वार्थ भाव को दर्शाता है. वह हमारी प्रशंसा की हकदार हैं और हमें उनकी उपलब्धि पर गर्व है. हमें उम्मीद है कि आने वाली पीढ़ियों के लिए वे शोध के क्षेत्र में कुछ और महत्वपूर्ण काम करेंगी.'