scorecardresearch
 

भंवरी प्रकरण: अब पड़ा कोर्ट का कोड़ा

हाइकोर्ट में गहलोत सरकार को तगड़ी लताड़. मामले की अब दैनिक निगरानी. व्यापक पड़ताल में कई और पहलू निकलकर सामने आए. भंवरी से जुड़ी खबरें मीडिया में आने पर मदेरणा गहलोत से मिले. गहलोत ने उन्हें कांग्रेस विधायक मलखानसिंह बिश्नोई से मिलने को कहा पर मलखान ने उन्हें भाव ही नहीं दिया.

Advertisement
X
राजस्थान हाइकोर्ट
राजस्थान हाइकोर्ट

Advertisement

राजस्थान हाइकोर्ट ने अशोक गहलोत सरकार से कहा है कि अगर वे ठीक से शासन नहीं चला सकते तो गद्दी छोड़ दें. अपने एक मंत्री को बचाने के लिए प्रदेश की एक लापता नर्स भंवरी देवी का डेढ़ महीने बाद भी पता न लगा पाने पर हाइकोर्ट की जोधपुर स्थित मुख्य पीठ ने गहलोत सरकार को अब तक की सबसे कमजोर सरकार करार दिया. पीठ भंवरी के पति अमरचंद की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

ऊंचे सियासी दायरों में उठने-बैठने वाली नर्स, लोकनर्तकी भंवरी एक गरीब पृष्ठभूमि की होने के बावजूद अच्छी कमाई कर शान की जिंदगी जी रही थी. 1 सितंबर को वह जोधपुर के बिलाड़ा से एकाएक लापता हो गई. पुलिस की ओर से दाखिल प्रगति रिपोर्ट को ''कूड़ेदान में फेंकने लायक'' करार देते हुए अदालत ने मामले की निगरानी रोजाना के आधार पर करने का फैसला किया.

Advertisement

न्यायमूर्ति गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार जैन की खंडपीठ ने मामला सीबीआइ को सौंपने के राज्‍य सरकार के फैसले को पलायनवादी बताया क्योंकि वह अपने एक कैबिनेट मंत्री के खिलाफ जांच करने से बचना चाहती थी. गृह मंत्री शांति धारीवाल ने सितंबर में मीडिया को बताया था कि जांच में जन स्वास्थ्य और अभियांत्रिकी मंत्री महिपाल मदेरणा का नाम आने की वजह से मामला सीबीआइ को दिया जा रहा है.

स्थानीय मीडिया ने कोर्ट की टिप्पणियों को प्रमुखता से छापा और दिखाया. मामले को अपने हाथ में लेने जा रही सीबीआइ ने पता लगाने के लिए कम-से-कम छह महीने का समय मांगा तो कोर्ट ने कहा कि ''हम छह दिन भी इंतजार नहीं करने वाले.'' अगले दिन सुनवाई के वक्त उसने यह और जोड़ा कि मामला सीबीआइ को सौंप देने से राज्‍य सरकार की जिम्मेदारी खत्म नहीं हो जाती.

मूल प्राथमिकी दर्ज होने के 18 दिन बाद लिखवाई एक शिकायत में और बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में अमरचंद ने मदेरणा को मुख्य संदिग्ध बताया है. उसका आरोप है कि भंवरी के साथ आपत्तिजनक दशा में अपनी एक वीडियो रिकॉर्डिंग करवाकर उसी को दिखा करके वे उसके साथ बार-बार बलात्कार करते थे.

मदेरणा के खिलाफ अभी तक कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है. जांचकर्ताओं का मानना है कि भंवरी के अपहरण के पीछे उसे खत्म करने की मंशा थी क्योंकि उसके पास या तो टेप या फिर वीडियो रिकॉर्डिंग की सीडी थी. गहलोत कहते रहे हैं कि ''वीडियो किसी ने देखा नहीं है. ऐसे में सुनी-सुनाई बातों के आधार पर कोई नतीजा निकालना ठीक नहीं.''

Advertisement

असल में गहलोत खुद को बचाने के लिए भाग रहे हैं. इस मामले में अगर वे मदेरणा को निशाना बनाते दिखे तो उनकी जान सांसत में फंस जाएगी क्योंकि मदेरणा दिग्गज जाट नेता परसराम मदेरणा के बेटे हैं. प्रदेश की 25 लोकसभा सीटों में से आठ पर और विधानसभा की 200 में 35 सीटों पर जाट निर्णायक भूमिका में हैं. जाट पारंपरिक रूप से कांग्रेस के वोटर थे पर अपने पिछले कार्यकाल में गहलोत ने जाटों को पिछड़े वर्ग का दर्जा दिए जाने का विरोध किया तो वे कांग्रेस से छिटकने लगे.

परसराम मदेरणा ने 1977 में गहलोत को संसदीय चुनाव का पहली बार टिकट दिया था लेकिन गहलोत ने 1998 में मुख्यमंत्री पद की दावेदारी में उन्हें पछाड़ दिया. मामले को सीबीआइ को सौंपे जाने को जाट मदेरणा को परेशान करने की गहलोत की तरकीब मान रहे हैं. धारीवाल मदेरणा की सहमति से मामला सीबीआइ को दिए जाने की बात कहते रहे हैं.

पर सूत्र तो कुछ और ही कहानी बताते हैं. मदेरणा ने इसे बड़ा मामला न मानते हुए इसकी उचित जांच कराने पर सहमति जताई थी. धारीवाल ने जब उन्हें बताया कि गहलोत मामला सीबीआइ को सौंपने का फैसला कर चुके हैं, तो मदेरणा ने कहा, ''आप पहले ही फैसला कर चुके हैं तो फिर इसमें मैं क्या कह सकता हूं? बाहर तो मैं यही कंगा कि इसमें मेरी सहमति है.'' इस कदम से आहत दिख रहे मदेरणा ने 5 अक्तूबर को पिता के जन्मदिन आयोजन में बड़े पैमाने पर बिरादरी के नेताओं-जिनमें भाजपा के नेता भी शामिल थे-को जुटाकर दिखाया कि जाट उनके साथ हैं. विपक्षी भाजपा ने इस मामले में सधी चुप्पी अख्तियार करके रखी है. एक हलका मदेरणा के साथ दिखा है तो अधिकृत रवैया उनकी बरखास्तगी की मांग का रहा है.

Advertisement

इंडिया टुडे को पता चला है कि जून में जब एक महिला का एक वीडियो टेप दिखाकर एक मंत्री से 1.5 करोड़ रु. मांगने की खबरें स्थानीय मीडिया में छपीं तो अपना पक्ष रखने के लिए मदेरणा गहलोत से मिले. गहलोत ने वीडियो विवाद के संदिग्ध कांग्रेस विधायक मलखानसिंह बिश्नोई से बात करने को कहा. मलखान सालों से भंवरी के घनिष्ठ के रूप में जाने जाते थे. वे मदेरणा के भी खास थे लेकिन कुछेक साल पहले स्थानीय राजनीति की वजह से दोनों में खटास पड़ गई.

गहलोत की सलाह पर मदेरणा ने मलखान से बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने कोई तवज्‍जो ही नहीं दी. मदेरणा के करीबियों का मानना है कि अमरचंद ने उनके सियासी विरोधियों के दबाव में बहुत बाद में जाकर संदिग्ध के तौर पर उनका नाम लिया. मदेरणा ने भंवरी से कब बात की, इस बारे में अमरचंद अपने बयान बदलता रहा हैः भंवरी के गायब होने के दो हफ्ते से लेकर चार साल पहले तक.

पुलिस को लीजिए. परदे के पीछे वह सभी संदिग्धों को मदेरणा के बेहद करीब बताती रही लेकिन उनको उसने सवालों की एक सूची तक भेजना मुनासिब नहीं समझा. फरार शहाबुद्दीन इस मामले का एक प्रमुख संदिग्ध है, जो कि कत्ल के एक पहले के मामले में अभियुक्त है. उसकी बोलेरो गाड़ी गुजरात के पालनपुर से बरामद हुई थी, जिसमें से कुछ बाल-संदिग्ध रूप से भंवरी के-भी पाए गए थे.

Advertisement

पालनपुर में चोरी की गाड़ियां अक्सर बिकने आती हैं. ओसियां के थानेदार लाखन सिंह भंवरी देवी के अपहरण के मामले में संदिग्ध भूमिका के मद्देनजर निलंबित हैं. बताते हैं, भंवरी को बिलाड़ा से ओसियां लाया गया था. पुलिस ने पहले मदेरणा के एक करीबी ठेकेदार सोहनलाल बिश्नोई को गिरफ्तार किया था. वह मलखान सिंह का चचेरा भाई है लेकिन पुलिस का दावा है कि हादसे के काफी पहले से ही दोनों का आपस में कोई संपर्क नहीं था.

पुलिस के मुताबिक, उसकी जांच बताती है कि कथित वीडियो बरामद होने के बाद भंवरी को अगवा कर उसे खत्म कर दिया जाना था. पर कहानी का एक और पहलू चर्चा में हैः मलखान और मदेरणा के साथ प्रेण त्रिकोण के तहत भंवरी लापता हुई.

अपहरण के दिन जोधपुर के पूर्व उप-जिला प्रमुख सहीराम बिश्नोई ने सोहनलाल बिश्नोई से फोन पर 27 बार बात की थी. मदेरणा दो दशक से ज्‍यादा समय तक जोधपुर के जिला प्रमुख रहे हैं. उनकी जगह अब उनकी पत्नी लीला मदेरणा ने ले ली है. अब फरार चल रहा सहीराम फोन के वक्त मदेरणा के सरकारी आवास पर ही था. सोहनलाल ने शहाबुद्दीन को फोन किया. मदेरणा के एक सहयोगी गोवर्धन से भी शहाबुद्दीन को फोन करने की बाबत पूछताछ हुई है.

Advertisement

मदेरणा के नजदीकी लोग वीडियो रिकॉर्डिंग होने की संभावना से इनकार नहीं कर रहे हैं लेकिन इस पर उनका कहना है कि मान लीजिए, वह मिल गई तो उसके बाद उसकी सत्यता की भी जांच करनी पड़ेगी ना. उनके लोग बगैर किसी आधार के मदेरणा को हटाने का विरोध करने के अलावा उन्हें इस मामले में घसीटने को भी गलत बताते हैं. मदेरणा के नजदीकियों का कहना है, ''मान लीजिए कि भंवरी देवी जिंदा लौट आती है या फिर मदेरणा का सियासी कॅरिअर खत्म करने के लिए उन्हें विरोधियों ने मान लीजिए, उसे कहीं भगा दिया हो और वह कभी न मिले तो?''

जहां तक मदेरणा की बात है तो वे कहते हैं कि उन्होंने चल रही जांच का सम्मान करने के वास्ते चुप्पी धारण कर रखी है ''लेकिन इसे मेरी कमजोरी न समझ जाए.'' कुल मिलाकर भंवरी देवी के रहस्यमय ढंग से लापता होने से मदेरणा से ज्‍यादा गहलोत कमजोर होकर उभरे हैं.

Advertisement
Advertisement