विश्व की भीषणतम गैस त्रासदी के 26 वर्ष बीत जाने के बावजूद गैस पीडितों का दर्द समाप्त नहीं हुआ है और आज भी गैस के प्रभाव के चलते सैकड़ों बच्चे ऐसे हैं जो मानसिक रूप से विकलांग हैं और अन्य बीमारियों से जूझ रहे हैं.
गैस प्रभावित बस्ती में रहने वाली खुशी ऐसी ही बच्चियों में शामिल है जिसका नाम तो खुशी है लेकिन गैस जनित बीमारियों के चलते वह आज भी दुखी है. खुशी को जन्मजात विकलांगता के चलते चलने में दिक्कत है और वह किसी सहारे के बिना चल भी नहीं सकती है.
खुशी की मां तूलिका वर्मा रोज उसे इलाज के लिये बेरसिया रोड स्थित एक गैर सरकारी संगठन द्वारा संचालित चिंगारी ट्रस्ट पुनर्वास केन्द्र लेकर जाती है.
पुनर्वास केन्द्र के विशेष प्रशिक्षक तारिक अहमद ने भाषा को बताया कि खुशी भले ही शारीरिक रुप से विकलांग है लेकिन उसकी याददाश्त गजब की तेज है और वह कम्प्यूटर में भी विशेष रुप से निपुण है.
अहमद ने बताया कि खुशी के पिता संजय वर्मा गैस प्रभावित हैं और उन्हें इसके लिये मुआवजा भी मिल चुका है। खुशी बड़े होकर वैज्ञानिक बनना चाहती है.
इसी प्रकार गैस प्रभावित बस्ती रामनगर में रहने वाले मथुरा प्रसाद रायकवार का दस वर्षीय पुत्र देवेश कुमार भी मानसिक रुप से विकलांग है और उसे भी रोज इलाज के लिये इस केन्द्र पर लाया जाता है.
{mospagebreak} अहमद ने बताया कि देवेश के पिता भी गैस पीड़ित हैं. उन्होंने बताया कि देवेश कवितायें याद कर लेता है लेकिन कुछ ही देर बाद भूल भी जाता है. उन्होंने बताया कि देवेश बड़ा होकर एथलीट बनना चाहता है, वह कई दौड़ प्रतियागिताओं में पदक भी जीत चुका है.
वार्ड 11 में रहने वाले अनीस अहमद का छह वर्षीय पुत्र अयान मोहम्मद भी मानसिक रुप से विकलांग है. उसे मस्तिष्क संबंधी बीमारी है. इसी प्रकार नौ वर्षीय अरमान मियां भी मानसिक रुप से विकलांग है और उसे भी मस्तिष्क संबंधी बीमारी है.
अरमान के पिता जहांगीराबाद में रहते हैं और दो. तीन दिसंबर 2004 की रात को वे भी गैस का शिकार हुए थे. अरमान सहित उक्त सभी बच्चे इलाज के लिये रोज चिंगारी पुनर्वास केन्द्र पहुंचते हैं.
चिंगारी ट्रस्ट की प्रबंधक ट्रस्टी रशीदा बी ने बताया कि गैस प्रभावित क्षेत्र में मानसिक रुप से विकलांग और कई अन्य प्रकार की विकलांगता एवं बीमारियों का प्रतिशत सामान्य से दस गुना अधिक है.
रशीदा बी ने बताया कि पुनर्वास केन्द्र में सौ से अधिक विभिन्न बीमारियों का शिकार बच्चे रोज आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि केन्द्र में इन बच्चों का पर्याप्त इलाज किया जा रहा है और उन्हें सामान्य जीवन जीने योग्य बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं.
{mospagebreak} रशीदा ने बताया कि किसी भी बच्चे के इलाज से पहले इस बात की पूरी जानकारी ली जाती है कि उनके अभिभावक गैस पीड़ित हैं या नहीं क्योंकि ऐसे बच्चों से इलाज के लिये किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता है.
रशीदा बी ने बताया कि वर्ष 2006 में इस केन्द्र के शुरु होने के बाद विभिन्न बीमारियों से ग्रसित 24 बच्चों का आपरेशन कराया जा चुका है.
एक गैर सरकारी स्वंयसेवी संगठन संभावना ट्रस्ट के शिशु रोग विशेषज्ञ डा. मोहम्मद वसीम ने बताया कि गैस पीड़ित क्षेत्रों में पैदा होने वाले बच्चों में मानसिक विकलांगता और मस्तिष्क संबंधी बीमारियां देखने को मिल रही है.
भोपाल गैस त्रासदी मंत्री बाबूलाल गौर भी स्वीकार करते हैं कि गैस प्रभावित क्षेत्रों में पैदा होने वाले बच्चों में विकलांगता सहित अन्य कई प्रकार की बीमारियां सामान्य क्षेत्रों की अपेक्षा अधिक हैं.
गौर ने कहा कि इस सबंध में केन्द्र सरकार द्वारा अनुसंधान बंद कर दिया गया था लेकिन अब केन्द्र सरकार शीघ्र ही एक केन्द्र खोलने जा रही है.