भूपेन हजारिका भारत के ऐसे विलक्षण कलाकार है जो अपने गीत खुद लिखते हैं, संगीतबद्ध करते हैं और गाते हैं. उन्हें दक्षिण एशिया के श्रेष्ठतम जीवित सांस्कृतिक दूतों में से एक माना जाता है. उन्होंने कविता लेखन, पत्रकारिता, गायन, फिल्म निर्माण आदि अनेक क्षेत्रों में काम किया है.
अद्भुत प्रतिभा वाले इस कलाकार का जन्म 8 सितंबर, 1926 को भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम के सादिया में हुआ.
भूपेन हजारिका एक बहुमुखी प्रतिभा संपन्न कलाकार थे. बचपन में ही उन्होंने अपना पहला गीत लिखा और दस वर्ष की आयु में उसे गाया भी. असमिया भाषा की फिल्मों से भी उनका नाता बचपन में ही जुड़ गया था. उन्होंने असमिया भाषा में निर्मित दूसरी फिल्म इंद्रमालती के लिए 1939 में काम किया.
छियासी साल के हजारिका को 1992 में सिनेमा जगत के सर्वोच्च पुरस्कार दादा साहब फाल्के अवॉर्ड से नवाजा गया. इसके अलावा उन्हें नेशनल अवॉर्ड एज दि बेस्ट रीजनल फिल्म (1975), पद्म भूषण (2011), असोम रत्न (2009) और संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड (2009) जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है.
यही नहीं, ‘गांधी टू हिटलर’ फिल्म में महात्मा गांधी के प्रसिद्ध भजन ‘वैष्णव जन’ को उन्होंने ही अपनी आवाज दी.
बहुमुखी प्रतिभा के धनी भूपने हजारिका ने केवल 13 साल 9 महीने की उम्र में मैट्रिक की परीक्षा तेजपुर से की और आगे की पढ़ाई के लिए गुवाहाटी के कॉटन कॉलेज में दाखिला लिया. यहां उन्होंने अपने मामा के घर में रह कर पढ़ाई की.
इसके बाद 1942 में गुवाहाटी के कॉटन कॉलेज से इंटरमीडिएट किया और फिर बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया. वहां से उन्होंने 1946 में राजनीति विज्ञान में एम ए किया. इसके बाद उन्होंने न्यूयॉर्क स्थित कोलंबिया यूनिवर्सिटी से पीएचडी की डिग्री प्राप्त की. 1993 में असोम साहित्य सभा के अध्यक्ष भी रहे.
भूपेन की गायकी से जुडा एक मजेदार वाक्या है. एक बार उन्हें कॉलेज में आए नए विद्यार्थियों के लिए रखे गए स्वागत समारोह में एक भाषण पढ़ना था. भूपेन के पिता ने उन्हें वो भाषण लिख कर भी दिया था. लेकिन स्टेज पर आते ही भूपेन वह भाषण भूल गए और वहां उन्होंने एक गाना सुनाया. वहां उपस्थित सभी लोगों को भूपेन ने अपने गाने से मंत्रमुग्ध कर दिया और इसके बाद वो अपने कॉलेज में लोकप्रिय हो गए. इसके बाद भूपेन ने संगीत से जुड़ी कई पुस्तकों का अध्ययन किया. और धीरे-धीरे संगीत के क्षेत्र में खुद को स्थापित किया.
आज भूपेन हजारिका के गाए कई प्रसिद्ध गीत है. दिल हूम-हूम करे..., गंगा... और बिहू के गीतों में भूपेन हजारिका ने अपनी चिरजीवी आवाज दी है. पिछले कुछ महीनों से उनकी तबीयत ठीक नहीं है और निमोनिया होने के बाद 23 अक्टूबर को उनकी हालत और बिगड़ गई. उनकी एक मामूली सर्जरी करनी पड़ी जिसमें डॉक्टरों ने उनके शरीर में एक खाद्य नलिका डाली.
फाल्के पुरस्कार विजेता हजारिका का 29 जून से अस्पताल में उपचार चल रहा है. सांस लेने में तकलीफ होने की शिकायत के बाद से वह लगातार अस्पताल के बिस्तर पर हैं.