बीहड़ की दुरूह और तिरस्कृत जिंदगी से निजात पाने के बाद सार्वजनिक जीवन में कदम रखने वाली पूर्व दस्यु सीमा परिहार के टेलीविजन रियलिटी शो बिग बास में प्रवेश से समाज का उनके परिजनों के प्रति नजरिया बदला है और उनमें अपने बेहतर भविष्य की उम्मीद जगी है.
वर्ष 2003 में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने वाली सीमा अपने घर से बहुत दूर बिग बास के मकान में सेलेब्रिटीज के बीच मौजूद हैं. वहीं, इसी वजह से इटावा से सटे औरैया जिले के दिबियापुर में रहने वाले उनके परिजनों को अब नई पहचान और अपेक्षित सम्मान मिलने लगा है.
पुलिस मुठभेड़ में मारे जा चुके दुर्दात दस्यु निर्भय गुर्जर की कथित पूर्व पत्नी सीमा की बड़ी बहन मंजू परिहार ने कहा, ‘सीमा के बिग बास कार्यक्रम में जाने के बाद हमारे घर के सदस्यों के प्रति लोगों के रवैये में बदलाव हुआ है. वे अब हमें इज्जत की नजर से देखते हैं.’
मंजू ने कहा, ‘लोग अब असल सीमा को पहचानने लगे हैं. उस पर से उसकी पुरानी पहचान का ग्रहण हट रहा है. अब लोग उसे पूर्व डाकू के तौर पर नहीं बल्कि एक सामान्य और मिलनसार इंसान के तौर पर देखते हैं. लोगों के व्यवहार से यह जाहिर भी होता है.’ दूसरी ओर, सीमा का 12 साल का बेटा सागर अपनी मां के बिग बास कार्यक्रम में शामिल होने से खुश है. मगर उसे मां से दूर रहने का रंज भी है.{mospagebreak}
सीमा के बेटे सागर को अपनी मां की गोद की याद सताती है. उसका कहना है, ‘जब मेरे स्कूल के शिक्षक और विद्यार्थी मेरी मां और बिग बास कार्यक्रम के बारे में बात करते हैं तो अच्छा लगता है, लेकिन मुझे अपनी मां की बहुत याद आती है और वह मुझे सिर्फ टीवी पर ही दिखाई देती है.’
सीमा के परिवार से पिछले काफी समय से वाकिफ उनके पड़ोसी गिरिजा शंकर ने कहा, ‘न सिर्फ पड़ोसी बल्कि स्थानीय पुलिस ने भी सीमा के परिवार के लोगों से सम्मानपूर्ण बर्ताव शुरू कर दिया है. इसका श्रेय बिग बास कार्यक्रम को जाता है.’ जर्जर मकान में रह रहे सीमा के परिजन को अब उम्मीद है कि बिग बास से सीमा को मिलने वाले मेहनताने से उनका भविष्य बेहतर हो जाएगा.
बिग बास शो से पहले सीमा को वर्ष 2006 में बनी अपने जीवन पर आधारित फिल्म ‘वून्डेड’ में भी अपनी जिंदगी की कहानी कहने का मौका मिला था. सीमा ने वर्ष 2003 में औरैया पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया था. उन पर 29 आपराधिक मुकदमे दर्ज थे, जिनमें से 15 में उन्हें दोषमुक्त किया जा चुका है.