हाल के दिनों में साझा मुद्दों पर विभिन्न क्षेत्रीय दलों के एकजुट होने के बीच राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनाव में यदि संप्रग मौजूदा राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के उत्तराधिकारी के लिए किसी आम सहमति पर नहीं पहुंच पाता है, तो इस संबंध में फैसला अंतिम समय तक ही होने की संभावना है.
राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के नाम पर आम सहमति बन जाने की स्थिति में उपराष्ट्रपति पद के लिए ‘आदान-प्रदान’ के फॉर्मूले की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.
कांग्रेस और भाजपा नीत गठबंधनों के पास बहुमत नहीं है और उन्हें अपने उम्मीवारों की जीत के लिए अपने गठबंधनों से बाहर की पार्टियों से मदद लेनी होगी. कांग्रेस के पास कुल मतों की 31 प्रतिशत हिस्सेदारी है जबकि भाजपा के पास 24 प्रतिशत मत हैं.
संप्रग के पास करीब 40 प्रतिशत मत हैं जबकि पिछले चुनाव के समय उनके पास 57 प्रतिशत मत थे. राजग के पास करीब 30 प्रतिशत मत हैं. ऐसे में विभिन्न नामों पर अटकलें शुरू हो गयी हैं और तृणमूल कांग्रेस, सपा, अन्नाद्रमुक, बसपा और बीजद जैसे दलों की भूमिका अहम हो गयी है. पिछली बार वाम दलों ने प्रतिभा पाटिल का नाम सुझाया था और वह आसानी से निर्वाचित हो गयी थीं.
राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए चार महीने से भी कम का समय रह गया है और संभावित उम्मीदवार के रूप में अब तक कोई एक नाम नहीं उभर सका है. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नाम की अटकलें थीं लेकिन उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस संभावना को खारिज कर दिया.
एक अन्य संभावित नाम वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी का है, लेकिन यह कांग्रेस नेतृत्व के रुख पर निर्भर करेगा क्योंकि मौजूदा गठबंधन के दौर में जब संप्रग-दो को एक के बाद एक संकट का सामना करना पड रहा है और मुखर्जी की भूमिका बेहद अहम गयी है.
इस बार सपा और बसपा के साथ साथ तृणमूल भी मुखर है. उत्तर प्रदेश में सपा की जीत के बाद मुलायम सिंह यादव उत्साहित हैं वहीं ममता बनर्जी कांग्रेस के लिए एक मुश्किल सहयोगी हैं.
इस मुद्दे पर भाजपा से संपर्क नहीं किया गया है. पार्टी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने हाल ही में कहा कि सरकार को पहले अपना उम्मीदवार तय करना चाहिए और उसके बाद मशविरा के लिए आना चाहिए. उनसे सवाल किया गया था कि क्या भाजपा इस मामले में कांग्रेस की मदद करेगी.
मीडिया खबरों के अनुसार कांग्रेस जयललिता से हाथ मिला सकती है. ऐसी अटकलें हैं कि भाजपा भी जयललिता को अपने खेमे में लाने के लिए प्रयास कर सकती है. कहा जाता है कि जेटली ने जयललिता से मिलने के लिए इसी हफ्ते समय मांगा है.
ऐसे परिदृश्य में भाजपा नीत राजग राष्ट्रपति पद के लिए समर्थन करने के बदले उपराष्ट्रपति पद की मांग कर सकता है.
कांग्रेस के एक मुख्यमंत्री ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन उपराष्ट्रपति पद विपक्ष को नहीं दे सकता क्योंकि उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति भी होते हैं. उन्होंने कहा कि राज्यसभा में संप्रग को बहुमत नहीं हैं. कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने हालांकि आम सहमति की बात की. उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन की प्रमुख पार्टी होने के नाते कांग्रेस यह सुनिश्चित करेगी कि कोई योग्य व्यक्ति इस पद पद आसीन हों. उन्होंने कहा कि इसके लिए कांग्रेस राजनीतिक आम सहमति बनाने का प्रयास करेगी.
सपा नता मोहन सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी ने अभी इस मुद्दे पर विचार नहीं किया है वहीं बसपा नेता विजय बहादुर सिंह ने कहा कि पार्टी प्रमुख मायावती को अभी इस मामले में विचार करना है.
तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा है कि चुनाव में अभी कई महीने हैं और उन्होंने इस सवाल को टाल दिया कि क्या वह पसंद करेंगी कि अगले राष्ट्रपति उसके प्रदेश से हों.
जद यू के शिवानंद तिवारी ने कहा कि अच्छा होता कि कांग्रेस अपना ‘दर्प’ छोड़कर सभी दलों से बातचीत करे और सर्वसम्मति से कोई नाम तय करे.
संप्रग के एक वरिष्ठ नेता के हवाले से खबरों में कहा गया है कि अगर संप्रग राष्टपति पद के लिए अपना उम्मीदवार चाहता है तो पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हो सकते हैं.