scorecardresearch
 

मधुमेह 'टाइप-2' का खतरा कम करती है काली चाय

एक अध्ययन में पाया गया है कि जो लोग नियमित रूप से काली चाय का सेवन करते हैं, उन्हें मधुमेह की किस्म-2 का खतरा काफी कम होता है.

Advertisement
X

एक अध्ययन में पाया गया है कि जो लोग नियमित रूप से काली चाय का सेवन करते हैं, उन्हें मधुमेह की किस्म-2 का खतरा काफी कम होता है.

Advertisement

चाय ज्‍यादा, मोटापा कम
50 देशों से लिए गए आंकड़ों के नए विश्लेषण में पाया गया कि जिन देशों में काली चाय सबसे ज्यादा पी जाती है, वहां पर मधुमेह से जुड़ी तकलीफें कम देखने को मिलीं. यह अध्ययन ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुआ है. डेली मेल की खबर के अनुसार, अध्ययन में पाया गया कि ज्यादा चाय का उपभोग मोटापे के निम्न स्तर से संबंधित है.

कई बीमारियों में लाभदायक
वैज्ञानिकों को लगता है कि हरी चाय को काली चाय में बदलने वाली किण्वन प्रक्रिया कुछ स्वास्थ्यवर्धक जटिल यौगिकों का निर्माण भी कर सकती है. इस रिपोर्ट में काली चाय के उपभोग और विभिन्न बीमारियों की संभावना का विश्लेषण किया गया. इन बीमारियों में मधुमेह की किस्म-2 भी शामिल थी.

काली चाय की सबसे अधिक खपत आयरलैंड में
काली चाय सबसे अधिक आयरलैंड में पी जाती है. बिक्री के आंकड़ों के मुताबिक, वहां प्रति व्यक्ति एक साल में काली चाय का उपभोग दो किलोग्राम है. इसके बाद ब्रिटेन व तुर्की का स्थान है. इन तीनों ही देशों में मधुमेह का स्तर कम उपभोग करने वाले अन्य देशों की तुलना में कम है.

Advertisement

इस अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता जेनेवा स्थित डाटा माइनिंग इंटरनेश्नल के डॉक्टर एरियल बेरेस्नाइक के अनुसार, चाय पीने का संबंध अध्ययन की गई किसी अन्य बीमारी के साथ नहीं पाया गया.

बीएमजे के प्रवक्ता के अनुसार, ‘इस अध्ययन के परिणाम काली चाय के मधुमेह व मोटापे पर पड़ने वाले प्रभावों को जानने के लिए किए गए पिछले जैविक, शारीरिक, पर्यावरणीय अध्ययनों के परिणामों के अनुरूप हैं.’

Advertisement
Advertisement