प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) की जांच कर रही संसद की एक प्रमुख समिति आयकर सीमा बढ़ाकर 3 लाख करने की सिफारिश कर सकती है. साथ ही समिति 2.5 लाख रुपये तक के निवेश पर कर छूट देने का भी प्रस्ताव रख सकती है.
भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा की अध्यक्षता वाली वित्त पर संसद की स्थायी समिति की बैठक के बाद सूत्रों ने कहा, ‘इस बात पर सदस्यों के बीच सहमति है कि सालाना कर छूट सीमा को बढ़ाकर 3 लाख रुपये किया जाए.’
सूत्रों के अनुसार ऊंची मुद्रास्फीति से परेशान लोगों को राहत देने के लिये आयकर छूट सीमा को मौजूदा 1.8 लाख रुपये से बढ़ाने की जरूरत है. फिलहाल, विर्निदिष्ट क्षेत्रों में एक लाख रुपये तक के निवेश पर कर छूट मिलता है. इसके अलावा बुनियादी ढांचा बॉन्ड पर 20,000 रुपये तक के निवेश पर भी कर छूट मिलती है. वित्त पर संसद की स्थायी समिति ने दो मार्च को डीटीसी पर अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप देने का निर्णय किया है ताकि संसद 12 मार्च से शुरू हो रहे बजट सत्र में प्रत्यक्ष कर व्यवस्था पर महत्वकांक्षी सुधार पर विचार कर सके.
सूत्रों के अनुसार, ‘समिति संसद को अपनी रिपोर्ट मार्च के तीसरे सप्ताह में अपनी रिपोर्ट देगी.’ प्रस्तावित प्रत्यक्ष कर संहिता में आयकर छूट सीमा 2 लाख रुपये करने का प्रस्ताव है. साथ ही कर स्लैब में संशोधन का भी प्रस्ताव है. फिलहाल, 1.80 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक पर 10 प्रतिशत, 5 से 8 लाख पर 20 प्रतिशत तथा 8 लाख रुपये से ऊपर की आय पर 30 प्रतिशत कर लगता है.
डीटीसी आयकर कानून, 1961 का स्थान लेगा. इसे अगस्त 2010 में समिति को सौंपा गया था. कांग्रेस नेताओं ने गुरुवार को वित्त मंत्री को सौंपी अपनी मांग में ‘सभी को खुश करने वाला’ बजट बनाने तथा आयकर स्लैब बढ़ाने की बात रखी है.