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राजा ने कहाः मुझे खलनायक बना दिया गया, कोर्ट ने कहाः ऐसा न महसूस करें

2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले को लेकर इस्तीफा देने को बाध्य किए गए पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि वह ऐसा महसूस करते हैं कि उन्हें खलनायक बना दिया गया है.

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पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा
पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा

2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले को लेकर इस्तीफा देने को बाध्य किए गए पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि वह ऐसा महसूस करते हैं कि उन्हें खलनायक बना दिया गया है.

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न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी और न्यायमूर्ति ए के गांगुली की पीठ ने कहा कि उन्हें ऐसा महसूस करने की जरूरत नहीं है.

2 जी स्पेक्ट्रम मामले की सुनवाई के अन्य चरण में राजा की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता टी आर अंध्याजरुन ने कहा, ‘मेरी (राजा) स्थिति आज इतनी खराब है कि मैं जो कुछ भी कहूंगा वह मेरी प्रतिष्ठा नहीं बचा सकता.’ अंध्याजरुन ने कहा कि राजा की हर तरफ और खासतौर पर मीडिया में खलनायक के तौर पर निंदा हो रही है.

अपनी दलीलें शुरू करते हुए आम राय के मद्देनजर अंध्याजरुन ने कहा, ‘मानकों का अभाव है और दुखद एहसास है कि आज सारी संस्थाएं विफल हो गई हैं. आज मुझे खलनायक समझा जा रहा है.’

हालांकि, पीठ ने उन्हें आश्वस्त करते हुए कहा, ‘ऐसा महसूस न करें.’ अंध्याजरुन ने कहा, ‘मैं निंदित व्यक्ति के तौर पर पेश हो रहा हूं. मुझपर आरोप लगाया गया, मुकदमा चला और मीडिया की नजरों में मैं दोषी हूं.’

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उन्होंने कहा, ‘यह ऐसा है जैसे 1.76 लाख करोड़ रुपये के नुकसान के लिए मैं जिम्मेदार हूं.’ उन्होंने कहा, ‘उनकी चुप्पी को दोष की स्वीकारोक्ति के तौर पर लिया जा रहा है. धारणा यह है कि इतनी बड़ी राशि के नुकसान के लिए मैं जिम्मेदार हूं जो दिमाग चकराने वाला है.’ {mospagebreak}

इसके बाद अधिवक्ता ने कैग के निष्कषरें और संसद में अंतिम रिपोर्ट को रखे जाने से पहले जिस तरीके से मसौदा रिपोर्ट को लीक किया गया उसपर सवाल खड़े किए. इसपर पीठ ने पलटकर सवाल पूछा कि क्या रिपोर्ट की गोपनीयता को बरकरार रखने के लिए कोई नियम है क्योंकि यह ‘उच्च संवैधानिक संस्था’ है.

पीठ ने कहा, ‘क्या गोपनीयता के बारे में कोई नियम है. हम उदाहरण दे रहे हैं. जब हम जजों में से कोई मसौदा फैसला तैयार करता है तो जब तक उसपर हस्ताक्षर नहीं हो जाता और उसे सुना नहीं दिया जाता तब तक यह सार्वजनिक नहीं होता है. यह लोक संस्था के लिए जरूरी है. क्या इस तरह का कोई नियम है. यह उच्च संवैधानिक संस्थान है.’

अंध्याजरुन और सालीसीटर जनरल गोपाल सुब्रह्मण्यम दोनों ने कहा कि प्रक्रिया यह है कि पहले रिपोर्ट राष्ट्रपति को अग्रसारित की जाएगी. वह इसके बाद इसे संसद में रखने का निर्देश देंगी.

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हालांकि, सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि आरटीआई अधिनियम के तहत कैग को रिपोर्ट के खुलासे से कोई छूट नहीं हासिल है.

इसपर पीठ ने कहा, ‘क्या इसे संसद में चर्चा से पहले सार्वजनिक किया जा सकता है. फैसले बाहर सुनाए जा रहे हैं (मीडिया रिपोर्ट का वस्तुत) उल्लेख करते हुए. आज यह माहौल है कि मीडिया और (चैनलों के) स्टूडियो के पास दौड़ने का प्रयास किया जा रहा है जिसमें हमारे समुदाय के सदस्य भी शामिल हैं.’

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