आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर ने भ्रष्टाचार के आरोप में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के एक विशेष न्यायाधीश को निलम्बित कर उनके खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं.
सीबीआई के पहले अतिरिक्त जज टी. पट्टाभी रामाराव ने ओएमसी अवैध खनन मामले में मुख्य आरोपी व कर्नाटक के पूर्व मंत्री गली जनार्दन रेड्डी को जमानत देने के एवज में कथिततौपर पांच करोड़ रुपये लिए थे. रामाराव ने 12 मई को रेड्डी को जमानत दी थी. लेकिन वह अवैध खनन के एक और मामले में बेंगलुरू जेल में बंद हैं.
अधिकारियों के मुताबिक सीबीआई की ओर से शिकायत दाखिल करने के बाद गुरुवार को मुख्य न्यायमूर्ति ने जज के खिलाफ यह कार्रवाई की. सीबीआई ने पाया कि रिश्वत का पैसा जज के परिजनों के बैंक लॉकरों में छुपाकर रखा गया है. सीबीआई ने सम्बंधित बैंकों से कहा है कि वे रामाराव या उनके किसी रिश्तेदार को लॉकर न खोलने दें.
उच्च न्यायालय ने निलम्बित रामाराव को बिना सूचना दिए हैदराबाद से बाहर जाने से मना किया है. मुख्य न्यायमूर्ति ने कानून विभाग व भ्रष्टाचार निरोधक इकाई को जांच का अदेश दिया है. सीबीआई अदालत के प्रधान न्यायाधीश ए. पुल्लैया को पहले अतिरिक्त सीबीआई न्यायाधीश का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है.
रामाराव ने दूसरी अतिरिक्त सीबीआई अदालत में नियमित जज की अनुपस्थिति में रेड्डी को जमानत दी थी. पिछले महीने के अंत तक हैदराबाद में केवल एक सीबीआई अदालत थी. बढ़ते मामलों के निपटारे के लिए तीन अतिरिक्त अदालतें शुरू की गई थीं. न्यायमूर्ति बी. नागमूर्ति शर्मा को दूसरा अतिरिक्त सीबीआई न्यायाधीश नियुक्त किया गया था. वह पहले सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश थे. ओएमसी मामला सीबीआई की मुख्य अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया.
रेड्डी ने अनुरोध किया था कि नागमूर्ति ही उनके मामले में सुनवाई कर रहे हैं इसलिए उनका मामला उन्हीं को सौंपा जाए. जब नागमूर्ति अवकाश पर थे, तब रामाराव ने रेड्डी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें जमानत दी.
सीबीआई ने पिछले साल पांच सितम्बर को अवैध खनन मामले में रेड्डी को गिरफ्तार किया था. रेड्डी पर उनकी आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में चल रही ओबुलापुरम खनन कम्पनी में अवैध खनन का आरोप है. वह हैदराबाद की चंचलगुडा जेल में बंद थे लेकिन पिछले महीने उन्हें एक अन्य मामले में बैंगलोर भेज दिया गया.