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...तो बंद कर देंगे एयर इंडिया: अजित सिंह

नागर विमानन मंत्री अजित सिंह ने एयर इंडिया के हड़ताली पायलटों से सख्त लहजे में कहा कि पहले वे तय करें कि वे क्या चाहते हैं, राष्ट्रीय विमानन कंपनी को चलाना है या इसे बंद करना है.

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नागर विमानन मंत्री अजित सिंह ने एयर इंडिया के हड़ताली पायलटों से सख्त लहजे में कहा कि पहले वे तय करें कि वे क्या चाहते हैं, राष्ट्रीय विमानन कंपनी को चलाना है या इसे बंद करना है.

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एयर इंडिया ने मंगलवार को 10 हड़ताली पायलटों को नौकरी से हटा दिया और उनकी यूनियन की मान्यता समाप्त कर दी. कंपनी के करीब 200 पायलट ड्यूटी पर आने में विफल रहे जिससे कंपनी को कम से कम 13 अंतरराष्ट्रीय उड़ानें रद्द करनी पड़ीं.

विमानन मंत्री ने एक समाचार चैनल के साथ भेंटवार्ता में कहा, ‘अगर वे एयर इंडिया को बंद करना चाहते हैं तो वे यह बड़ी आसानी से कर सकते हैं. उन्हें ही यह तय करना है कि वे क्या चाहते हैं. एयर इंडिया की सफलता में भलाई का एहसास केवल पायलटों को नहीं, बल्कि सभी कर्मचारियों को होना चाहिए.’

इस बीच, एयर इंडिया ने एक बयान जारी कर कहा कि यह आंदोलन ‘अति और गैरजिम्मेदाराना’ है और इसे कंपनी बहुत गंभीरता से देखती है. ‘इसके परिणाम स्वरूप, एयर इंडिया ने इंडियन पायलट्स गिल्ड (आईपीजी) की मान्यता समाप्त कर दी है और इसके कार्यालयों को सील कर दिया है. कंपनी ने यूनियन के पदाधिकारियों की सेवाएं भी समाप्त कर दी हैं.’

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कंपनी के करीब 250 सदस्य आईपीजी के सदस्य हैं, जबकि इंडियन कामर्शियल पायलट्स एसोसिएशन (आईसीपीए) के पास 1,200 सदस्यता है. आईसीपीए ने एयर इंडिया सीएमडी रोहित नंदन को एक पत्र लिखकर परिचालन को सामान्य स्थिति में लाने के प्रबंधन के प्रयासों को बगैर किसी शर्त सहयोग देने का आश्वासन दिया है.

नागर विमानन मंत्री ने आंदोलन को ‘अवैध’ बताते हुए एक सख्त चेतावनी दी कि ‘कोई भी अति आवश्यक नहीं है.’ सोमवार रात्रि से जो उड़ानें रद्द की गईं उनमें दिल्ली-टोरंटो, दिल्ली-शिकागो, मुंबई-नेवार्क और मुंबई-हांगकांग व दिल्ली-सिंगापुर शामिल हैं. इसके अलावा, एयर इंडिया एक्सप्रेस की पश्चिम एशिया के लिए 8 उड़ानें रद्द की गईं. इनमें केरल से चार अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शामिल हैं. प्रदर्शनकारी पायलटों और एयर इंडिया अधिकारियों के बीच केन्द्रीय श्रम आयुक्त के साथ भी एक बैठक हुई जो बेनतीजा रही. वे बुधवार को फिर से बैठक करेंगे.

आईपीजी के नेता कैप्टन तौसीफ मुकद्दम ने आरोप लगाया कि एयरलाइन प्रबंधन ने 2007 में एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइन्स के विलय के बाद से अब तक पायलटों की तरक्की के लिए कोई व्यापक नीति नहीं बनाई जिससे तत्कालीन एयर इंडिया से जुड़े पायलटों का भविष्य अंधकारमय है.

कंपनी ने कहा कि वह गैरयूनियन पायलटों के साथ अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को बनाए रखने के लिए हर तरह के प्रयास कर रही है. कंपनी प्रबंधन ने उन पायलटों के घर डॉक्टरों को भी भेजा है जो बीमार पड़ गए हैं.

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