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'कैश फॉर वोट' की जांच राजनीति से प्रभावित: अमर सिंह

नोट के बदले वोट घोटाले से निपटने में भूमिका को लेकर दिल्ली पुलिस को आड़े हाथों लेते हुए पूर्व सपा नेता अमर सिंह ने आरोप लगाया कि राजनीतिक मजबूरियों के चलते वे लोग आजाद घूम रहे हैं जिनके खिलाफ ठोस सबूत हैं.

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अमर सिंह
अमर सिंह

नोट के बदले वोट घोटाले से निपटने में भूमिका को लेकर दिल्ली पुलिस को आड़े हाथों लेते हुए पूर्व सपा नेता अमर सिंह ने आरोप लगाया कि राजनीतिक मजबूरियों के चलते वे लोग आजाद घूम रहे हैं जिनके खिलाफ ठोस सबूत हैं.

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मामले में आरोपी अमर सिंह ने ‘आज तक’ को दिये गये साक्षात्कार में कहा, ‘मैं अकेला हूं. रेवती रमण सिंह के खिलाफ आडियो वीडियो सबूत हैं, लेकिन क्योंकि उनके पास 22 सांसद हैं, इसलिए वे आजाद हो गये. पुलिस ने रेवती के खिलाफ साक्ष्यों को अनदेखा किया लेकिन अदालतों ने नहीं किया इसलिए अब उन्हें तलब किया जा रहा है.’

जमानत पर रिहा राज्यसभा सांसद सिंह ने अपने खिलाफ केवल परिस्थितिजन्य साक्ष्य होने का दावा करते हुए कहा, ‘यह हास्यास्पद आरोप है. मुझ पर संप्रग सरकार को बचाने का आरोप है, जो मैंने परमाणु करार के वक्त किया था.’

अमर सिंह ने कहा कि परमाणु करार का समर्थन करना राष्ट्रहित में था और अगर वह इसके लिए जेल गये तो उन्हें इस पर गर्व है.

नोट के बदले वोट घोटाले के दौरान सिंह द्वारा अपने स्तर पर काम करने के सपा नेताओं के आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने चेतावनी दी कि वे अदालत में जाकर यह बयान दें.

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उन्होंने कहा, ‘मैंने कभी कांग्रेस के लिए काम नहीं किया. यह सपा का फैसला था कि कांग्रेस को समर्थन की जरूरत है.’

भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी के इस बयान कि अमर सिंह घोटाले की केवल एक कड़ी थे, के बारे में पूछे जाने पर पूर्व सपा महासचिव ने कहा कि वह इस स्तर पर चुप रहना पसंद करेंगे. उन्होंने कहा, ‘बेहतर है कि मैं चुप रहूं. अगर मैं बोलता हूं तो अनेक लोग उजागर हो जाएंगे.’

उन्होंने कहा कि गवाही से अनेक लोग शर्मिंदा होंगे. अमर ने सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव पर सभी गलत कामों के लिए अपने इस्तेमाल करने का आरोप लगाया.

उन्होंने कहा, ‘मुझे मुलायम सिंह यादव से क्या मिला. मैं कभी सपा में वापस नहीं जाऊंगा.’

सपा में अभिनेताओं के जरिये ग्लैमर लाने की बात को खारिज करते हुए उन्होंने कहा, ‘वे नवजात बच्चे नहीं हैं जिन्हें अमर सिंह 14 साल तक दिग्भ्रमित करता रहे. मेरे सपा में आने से पहले वहां राज बब्बर और संजय डालमिया जैसे उद्योगपति थे.’

उन्होंने कहा, ‘ग्लैमर और उद्योगपतियों के लिए उनकी लालसा और भूख मुझसे काफी पहले से थी.’ सिंह ने कहा कि वर्ष 1999 में सोनिया गांधी का समर्थन नहीं करना उनके राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी भूल थी और संभवत: उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ी.

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उन्होंने इन अटकलों को भी खारिज कर दिया कि वह कांग्रेस पार्टी में जाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन राहुल गांधी यह नहीं चाहते. सिंह ने कहा कि यह कहना झूठ होगा कि वह जया बच्चन द्वारा उनसे किनारा करने से नाराज नहीं है.

अमिताभ बच्चन के साथ किसी तरह की दरार की बात से इनकार करते हुए सिंह ने कहा, ‘वह मुझे अस्पताल में देखने आये और तीन घंटे तक रहे. हमारे रिश्ते पवित्र हैं. मैं नहीं चाहता कि उन पर मेरी राजनीतिक छाया पड़े. यह मेरा फैसला था, उनका नहीं.’

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