केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा है कि देश की उच्च शिक्षा में सुधार के लिए प्रयास शुरू किये गये है और उन्हें पूरा विश्वास है कि इसी दशक में भारतीय उच्च शिक्षा विश्व की सर्वोत्तम होगी.
सिब्बल ने बांदर सीन्दरी स्थित राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह में कहा कि विदेशी शिक्षा संस्थानों के भारत में प्रवेश का कार्य संसद के प्रावधानों के अनुसार होगा और इस संबंध में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा गत माह ही अपने प्रावधान संसद को प्रस्तुत किये गये है.
उन्होंने छात्र-छात्राओं के अपने अनुभव के आधार पर जीवन को सफल बनाने के लिए पांच मूल मंत्र बतायें, जो ‘जुनून’, ‘उत्कृष्ठता’, ‘कठोर परिश्रम’, ‘जीवन का सफर’ और ‘स्वयं को अलग प्रस्तुत करने की कोशिश करना’ हैं.
सिब्बल ने कहा कि विश्व में बदलाव हो रहे है और पूरा विश्वास है कि देश की युवा पीढी जाति, धर्म, लिंग, भाषा और क्षेत्रवाद की सीमा की बाधाओं को तोडकर देश में नई क्रांति लायेंगे. यह व्यवस्था इस देश के सामाजिक, सांस्कृतिक क्षेत्र में बदलाव के लिए जरूरी है.
केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री ने कहा कि देश को अग्रणी बनाने के लिए सबसे पहले भारतीय बनना होगा. उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि सूचना क्रांति एवं वैश्वीकरण के युग में शिक्षा ग्रहण करने की प्रक्रिया उसका आधारभूत ढांचा और कार्यप्रणाली बदलती जा रही है. इन परिस्थितियों में उनको समय के अनुकूल बनना होगा. आज विश्व के देश भी भारतीय शिक्षा व्यवस्था की ओर देख रहे है.