सर्वोच्च न्यायालय ने 2जी स्पेक्ट्रम के 122 लाइसेंस रद्द करने के अपने फैसले के पुनर्विचार के लिए केंद्र सरकार की ओर से दायर याचिका वापस लेने की अनुमति उसे गुरुवार को दे दी. ये लाइसेंस जनवरी, 2008 में तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए. राजा ने जारी किए थे.
न्यायमूर्ति जी. एस. सिंघवी की अध्यक्षतावाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने सरकार को पुनर्विचार याचिका वापस लेने की अनुमति तो दे दी, लेकिन आठ मई के उस पत्र पर आपत्ति जताई, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस. एच. कपाड़िया से अपील की गई थी कि इसे किसी उचित पीठ के समक्ष रखा जाए.
न्यायालय ने इस पर आश्चर्य जताया कि जब इस मामले की सुनवाई 10 मई को होनी थी तो सरकार को इसके लिए पत्र लिखने की क्या आवश्यकता थी? सर्वोच्च न्यायालय ने इस वर्ष फरवरी में राजा के कार्यकाल के दौरान आवंटित 122 स्पेक्ट्रम लाइसेंसों को निरस्त करने का आदेश दिया था.
न्यायालय ने यह व्यवस्था भी दी थी कि सभी प्राकृतिक संसाधनों का आवंटन नीलामी के जरिये हो. केंद्र सरकार अब नीलामी प्रक्रिया के जरिये लाइसेंस आवंटन की तैयारी में है. 2जी मामले में राजा ने 14 नवम्बर 2010 को तब मंत्री पद से इस्तीफा दिया था जब नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट में कहा गया कि 2008 में 'पहले आओ पहले पाओ' के आधार पर 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन के राजा द्वारा लिए गए फैसले से राजकोष को 1.76 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है.
सीबीआई ने राजा को पिछले वर्ष दो फरवरी को गिरफ्तार किया था. इस घोटाले में 19 व्यक्तियों के अलावा छह दूरसंचार कम्पनियों के नाम भी सामने आए हैं.