पिछले लोकसभा चुनाव में गृह मंत्री पी चिदंबरम के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका को मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा खारिज किए जाने इंकार किए जाने पर भाजपा ने उन्हें मंत्रिमंडल से तुरंत बर्खास्त करने की मांग की.
पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने कहा, ‘चिदंबरम को बहुत पहले इस्तीफा दे देना चाहिए था. चिदंबरम के खिलाफ काफी सुबूत होने के बावजूद प्रधानमंत्री उन्हें बर्खास्त नहीं कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि मद्रास उच्च न्यायालय के इस फैसले के बाद तो प्रधानमंत्री को चिदंबरम से मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने को कहना चाहिए.
उच्च न्यायालय के फैसले के बहाने चिदंबरम के साथ प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी भाजपा प्रमुख ने निशाना बनाया. उन्होंने कहा, सिंह और सोनिया दोनों भ्रष्टाचार से लड़ने की दुहाई देते हैं लेकिन उनके कार्य इसकी गवाही नहीं देते.
जयललिता का हमला
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने भी गृहमंत्री पी चिदंबरम के इस्तीफे या उन्हें पद से हटाये जाने की मांग की और कहा कि उनका पद पर बने रहना ‘लोकतंत्र पर धब्बा’ होगा.
‘चिदंबरम को मामले का सामना करना चाहिए’ संबंधी अदालत के आदेश का हवाला देते हुए जयललिता ने कहा, ‘चिदंबरम का गृहमंत्री पद पर बने रहना भारतीय लोकतंत्र पर एक धब्बा होगा.’
कांग्रेस ने किया बचाव
वहीं कांग्रेस पार्टी अपने नेता के बचाव में उतर आई है. कांग्रेस पार्टी ने कहा कि यह चुनाव आयोग का मामला है. वहीं भाजपा पर पलटवार करते हुए सलमान खुर्शीद ने कहा कि भाजपा हर दूसरे दिन गृह मंत्री का इस्तीफा मांगती है.
जयललिता पर पलटवार करते हुए पी चिदंबरम ने कहा, 'पहले इस्तीफा जयललिता को देना चाहिए. उनके खिलाफ भी मुकदमा चल रहा है.'
गौरतलब है कि मद्रास उच्च न्यायालय ने पी चिदंबरम के 2009 में लोकसभा के लिए निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करने से इनकार कर दिया, हालांकि उनके खिलाफ लगे कदाचार के दो आरोपों को निरस्त कर दिया.
चिदंबरम ने अन्नाद्रमुक नेता राजा कणप्पन की याचिका को रद्द करने की गुहार लगाई थी. 2009 के लोकसभा चुनाव में शिवगंगा लोकसभा सीट पर कणप्पन को चिदंबरम ने 3,354 मतों से पराजित किया था.
कणप्पन ने 25 जून, 2009 को दायर अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि चिदंबरम के एजेन्ट द्वारा उनकी सहमति से मतों को लेकर की गई ‘जोड़तोड़’ और ‘भ्रष्ट गतिविधियों’ के कारण उनके निर्वाचन को रद्द किया जाना चाहिए.
उन्होंने पूरे निर्वाचन क्षेत्र विशेषकर अलंगुडी विधानसभा क्षेत्र में पड़े मतों की गिनती फिर से करने की भी मांग की है