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डीएमके और कांग्रेस के बीच हुआ समझौता

तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे को लेकर तीन दिन से चल रहे राजनीतिक घटनाक्रम को विराम देते हुए द्रमुक और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे को लेकर समझौता हो गया है और इसके अनुसार कांग्रेस को 63 सीटे मिलेंगी.

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तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे को लेकर तीन दिन से चल रहे राजनीतिक घटनाक्रम को विराम देते हुए द्रमुक और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे को लेकर समझौता हो गया है और इसके अनुसार कांग्रेस को 63 सीटे मिलेंगी.

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द्रमुक और कांग्रेस के आला नेताओं ने अंतत: इस बात का फैसला कर लिया कि कांग्रेस 63 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास के बाहर पार्टी नेता गुलाम नबी आजाद ने संवाददाताओं को इस बारे में जानकारी दी. कांग्रेस की सीटों की मांग में इस बार 15 का इजाफा हुआ है. 2006 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 48 सीटों पर किस्मत आजमाई थी.

समझौते की घोषणा से पहले द्रमुक नेता और केंद्रीय मंत्री दयानिधि मारन ने संसद में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रणव मुखर्जी से दो दौर में बातचीत की, जिसमें आजाद तथा सोनिया के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल भी मौजूद थे. समझौते के बाद सोनिया को धन्यवाद देने के लिए मारन और केंद्रीय मंत्री एमके अलागिरी कांग्रेस नेताओं के साथ कांग्रेस अध्यक्ष के आवास पहुंचे. {mospagebreak}

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इससे पहले सीट बंटवारे पर बने गतिरोध के चलते द्रमुक ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से अपने छह मंत्रियों के हटने की घोषणा की थी. पार्टी ने कांग्रेस पर गठबंधन खत्म करने की कोशिश करने का आरोप लगाया था. करुणानिधि ने शुक्रवार की रात को कहा था कि कांग्रेस अकारण सीटों की मांग बढ़ाती जा रही है. उसने पहले 50 से 53, उसके बाद 57 और अंत में 60 सीटों की मांग की.

द्रमुक अध्यक्ष का आरोप था कि जब 60 सीटों पर बात बन गयी तो पार्टी ने 63 सीटों की मांग कर डाली. लेकिन इस बारे में अभी स्पष्ट नहीं है कि दोनों पक्षों के बीच किस तरह का समझौता हुआ है और क्या कांग्रेस को उसकी पसंद के विधानसभा क्षेत्रों पर लड़ने की मंजूरी द्रमुक ने प्रदान की है. यह भी नहीं बताया गया है कि कांग्रेस को अतिरिक्त तीन सीटें द्रमुक के खाते में से मिलेंगी या वह अन्य सहयोगियों जैसे मुस्लिम लीग तथा पीएमके के लिए आवंटित सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी. {mospagebreak}

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद कांग्रेस और द्रमुक नेताओं ने संयुक्त रूप से इस फैसले की घोषणा की. आजाद ने कहा कि 63 सीटों पर चुनाव लड़ने के बारे में कांग्रेस और द्रमुक दोनों सर्वसम्मत ढंग से निष्कर्ष पर पहुंचे. उन्होंने दावा किया कि यह जीतने वाला गठबंधन है. उन्होंने कहा, ‘गठबंधन मिलकर काम करेगा और मिलकर प्रचार करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि विधानसभा चुनाव के बाद उसकी सत्ता में वापसी हो.’

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इस मौके पर आजाद के साथ द्रमुक नेता दयानिधि मारन और एम के अलागिरी भी मौजूद थे. यह पूछे जाने पर कि कांग्रेस के साथ समझौते का फार्मूला क्या था अलगिरी ने कहा यह जीतने वाला फार्मूला है. यह पूछे जाने पर कि इस समझौते के लिए श्रेय किसे दिया जाना चाहिए उन्हें या मारन का, 'अलागिरी ने कहा कि यह पार्टी कार्यकर्ताओं की आकांक्षा थी कि सौहार्दपूर्ण समाधान होना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘द्रमुक गठबंधन ने कांग्रेस को 63 सीटें दी हैं. सोनिया गांधी ने इसे ओके कर दिया है. द्रमुक प्रमुख फैसला करेंगे कि कांग्रेस को तीन और सीटें कैसे दी जायें. उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी का पूरा कैडर गठबंधन के लिए काम करेगा और हम सत्ता में लौटेंगे. सोमवार रात सोनिया के साथ द्रमुक नेताओं की बैठक के दौरान बातचीत टूट जाने के बाद दोनों पक्षों ने मंगलवार सुबह से विचार विमर्श का नये सिरे से प्रयास शुरू किया और मतभेदों को दूर करने की कोशिश की.

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